बरेली- बदायूं समेत 24 जिलों में 25 हजार आशा कार्यकत्रियां परेशान, भटक रहीं मानदेय के लिए
- बरेली और बदायूं समेत प्रदेश के 24 जिलों में करीब 25 हजार आशाओं का मानदेय नहीं हुआ है। बरेली समेत कई जिलों में आशाओं ने कमीशन, रिश्वत मांगने के भी आरोप लगाए हैं। भुगतान में हो रही देरी पर शासन ने नाराजगी जताई है और तत्काल आशाओं, संगीनियो को भुगतान करने का निर्देश दिया है।

स्वास्थ्य विभाग के अभियान और कार्यक्रमों को गांव-देहात तक पहुंचने वाली आशा कार्यकत्रियां और संगीनियों को ही मानदेय की खातिर चक्कर काटना पड़ रहा है। बरेली और बदायूं समेत प्रदेश के 24 जिलों में करीब 25 हजार आशाओं का मानदेय नहीं हुआ है। बरेली समेत कई जिलों में आशाओं ने कमीशन, रिश्वत मांगने के भी आरोप लगाए हैं। भुगतान में देरी पर शासन ने नाराजगी जताई है और तत्काल आशाओं, संगीनियो को भुगतान करने का निर्देश दिया है।
आशा कार्यकत्रियों और संगिनियों को अलग-अलग अभियान और कार्यक्रम में काम करने पर मानदेय मिलता है। इनकी ओर से अक्सर शिकायत आती हैं कि मानदेय के भुगतान में जान-बूझकर देरी की जाती है। मानदेय के लिए रिश्वत की मांग की जाती है।
शासन ने आशाओं और संगीनियों के मानदेय के भुगतान की बीते 21 अगस्त को समीक्षा की। समीक्षा में सामने आया कि 37 जिलों में सौ फीसदी आशाओं, संगीनियों को भुगतान हुआ है। लेकिन बरेली, बदायूं समेत 24 में भुगतान की हालत खराब है। इन 24 जिलों में करीब 25 हजार आशाएं ऐसी हैं जिनको मानदेय नहीं मिला है। इसमें फिरोजाबाद में हालत सबसे खराब है जहां सिर्फ 29.8 फीसदी आशाओं को मानदेय मिला है। मानदेय अटकाने वाले जनपदों में दूसरे स्थान पर बस्ती जिला है जहां में 45.6 प्रतिशत आशाओं को मानदेय मिला है। बहराइच में 48, मिर्जापुर में 55.7 और ललितपुर में 64.7 फीसदी आशाओं का ही भुगतान हुआ है।
मानदेय अटकाने में बरेली का प्रदेश में है छठवां स्थान
आशाओं, संगीनियों को मानदेय का भुगतान करने में बरेली मंडल की हालत खराब है। यहां एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां सौ फीसदी आशाओं को भुगतान किया गया हो। आशाओं का मानदेय अटकने वाले जिलों में बरेली छठवें स्थान पर है। बरेली में 65.7 आशाओं को ही मानदेय मिला है। मुड़िया नबी बक्श में आशाओं ने कमीशनबाजी की शिकायत भी की है जिसकी जांच हो रही है। प्रदेश में 13वे स्थान पर शाहजहांपुर है जहां 70.4 फीसदी भुगतान हुआ है। 21वें स्थान पर बदायूं है। जहां 86.9 फीसदी आशाओं का भुगतान हुआ है। प्रदेश में 26वें स्थान पर पीलीभीत है। जहां 89.2 प्रतिशत आशाओं को मानदेय मिला है।