बोले बस्ती : कमीशन के भरोसे रोजी रोटी, प्रोत्साहन की मांग
Basti News - बस्ती के डाकघर से जुड़े बचत अभिकर्ता कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कमीशन में कटौती, लाइसेंस नवीकरण में देरी और सुरक्षा की कमी जैसी परेशानियाँ उन्हें परेशान कर रही हैं। अभिकर्ता मांग कर रहे हैं कि...

Basti News : जिले के छोटे-बड़े और प्रधान डाकघर से जुड़े अल्प बचत अभिकर्ताओं को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस नवीकरण में देरी, कमीशन में कटौती, कुछ योजनाओं में कमीशन का बंद होना, सुविधाओं और सुरक्षा की कमी, आदि वजहें हैं। इन समस्याओं के निराकरण के लिए अभिकर्ताओं द्वारा आंदोलन भी किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अभिकर्ता यह मांग कर रहे हैं कि योजनाओं के कमीशन में बढ़ोतरी की जाए और दूसरी योजनाएं शुरू की जाएं ताकि अभिकर्ताओं को लाभ हो सके। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में प्रधान डाकघर के बचत अभिकर्ताओं ने अपनी समस्याएं साझा कीं। जिले में 42 छोटे-बड़े डाकघर और एक प्रधान डाकघर है। इनमें बचत अभिकर्ताओं की संख्या 900 के करीब है। इनमें 250 से अधिक महिलाएं हैं। अभिकर्ताओं का कहना है कि डाकघरों की बचत योजनाओं के मुख्य आधार अभिकर्ता ही होते हैं, बावजूद इसके उन्हें उनके हक से दूर रखा जाता है। केंद्रीय योजनाओं का लाभ दिलाने और सरकार की बैकिंग व्यवस्था को मजबूत करने में अभिकर्ताओं की भूमिका कम नहीं है बावजूद इसके उनका हक छीना जाता है। प्रधान डाकघर ही नहीं बल्कि शहर और ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न डाकघरों में अल्पबचत योजनाओं में राशि जमा कराने वाले अभिकर्ताओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कार्यस्थल पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है। खास कर बैठने की उचित व्यवस्था नहीं होती है। इन्हें अलग से कमरे भी नहीं मिलते हैं, जहां आमजन को सरकार की अल्प बचत की योजनाओं को विस्तार से समझा सकें। डाकघर में प्रिंटर खराब होने और काउंटर नहीं रहने के कारण पासबुक प्रिंट कराने में बहुत दिक्कत होती है। स्टेशनरी का भी अभाव है। एटीएम कार्ड एक्सपायरी होने पर नए कार्ड के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पासबुक नहीं बनता। डाकघर का लिंक फेल रहने की वजह से ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। डाटा इंट्री ऑपरेटर नहीं रहने पर भुगतान में निवेशकों को विलंब होता है। इससे असंतोष की भावना पैदा होती है और अभिकर्ताओं को शक की नजर से देखा जाता है। पेयजल और शौचालय की अलग से व्यवस्था नहीं है।
बचत अभिकर्ताओं ने बताया कि पहले बचत योजनाओं में निवेश कराने के एवज में अभिकर्ताओं को डाक विभाग की ओर से दो प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। बाद में इस कमीशन की राशि को घटा कर एक प्रतिशत कर दी गई। वर्तमान में कमीशन की राशि फिर से घटाकर मात्र आधा प्रतिशत कर दी गई है। अभिकर्ताओं ने कहा कि महंगाई इतनी तेजी से बढ़ रही है लेकिन उनका कमीशन घटया जा रहा है। इसके कारण जीविका चलाना भी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब तो उन लोगों को डर सता रहा है कि पहले कमीशन दो प्रतिशत फिर में एक प्रतिशत और अब आधा कर दिया गया है। कहीं भविष्य में सरकार द्वारा जीरो प्रतिशत न कर दिया जाए। नई-नई कई बचत योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें उनका कमीशन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। अभिकर्ताओं ने कहा कि लाइसेंस के नवीकरण में काफी परेशानी होती है। जिला कार्यालय में सुविधा शुल्क की मांग की जाती है और साथ ही पुलिस वेरिफिकेशन भी कराया जाता है। उनकी मांग है कि परेशानियों का निदान करते हुए प्रोत्साहन दें और मानदेय फिक्स हो। आयुष्मान कार्ड की सुविधाएं दी जाएं और दुर्घटना बीमा हो। चूंकि फील्ड में जाकर यह कार्य करना पड़ता है, रिस्क होता है। सुरक्षा का भी अभाव होता है और कलेक्शन कर जमा करने के लिए सुदूर डाकघर में जाना पड़ता है। कोई घटना होने पर रियायत भी नहीं मिलती है। जब जिला बचत कार्यालय से अभिकर्ता जुड़े हैं तो एक कर्मी मनाते हुए उन्हें मानदेय दिया जाए। विकास विभाग को इसके लिए कुछ करना होगा।
जान जोखिम में डालकर करते हैं काम
अभिकर्ताओं ने बताया कि कई बार मोटी रकम लेकर डाकघर में जमा कराने आते हैं, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण हमेशा अपराधियों का डर सताता रहता है। अभिकर्ताओं के साथ ऐसी कई घटना घटित हो चुकी हैं लेकिन विभाग के आला अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत किए जाने के बावजूद आजतक कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। अभिकर्ताओं ने बताया कि हमें डाक विभाग की रीढ़ बताया जाता है लेकिन हमारे साथ विभाग सौतेला व्यवहार करता है। महंगाई के दौर में कमीशन बढ़ाने सहित सुरक्षा व बीमा की सुविधा देने की मांग लगातार की जाती है, लेकिन अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं। मेडिकल की सुविधा नहीं है। फील्ड में किसी प्रकार का हादसा होने पर कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं होता है।
बिना कमीशन वाली योजनाओं में निवेश के लिए बनाते दबाव
अभिकर्ताओं ने बताया कि अधिकारी दबाव बनाकर ऐसी बचत योजनाओं के लक्ष्य को पूरा करने को कहते हैं जिनमें कमीशन नहीं मिलता है। वर्तमान में सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक जमा योजना, महिला सम्मान योजना में किसी प्रकार का कमीशन निर्धारित नहीं है। बावजूद विभागीय अधिकारी इन योजनाओं का लक्ष्य देकर इसे पूरा करने का दबाव अभिकर्ताओं पर बनाते रहते हैं। यह एक तरह से प्रताड़ित करते हैं।
प्रोत्साहन राशि को चालू करने की मांग
अभिकर्ताओं ने कहा कि पहले राज्य सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाती थी लेकिन करीब 20 वर्ष पहले इसे बंद कर दी गई। हमलोगों की मांग है कि बंद पड़ी प्रोत्साहन राशि को राज्य सरकार पुन: चालू करें।
इन योजनाओं में करवाते हैं निवेश
बस्ती। अभिकर्ताओं ने बताया कि किसान विकास-पत्र, राष्ट्रीय बचत-पत्र, मासिक आय योजना व साविधिक जमा योजना। इन योजनाओं के साथ-साथ महिला प्रधान क्षेत्रीय बचत योजना, आवर्ती जमा योजना जैसी अल्प बचत योजनाओं के माध्यम से आम लोग छोटी बचत से बड़े-बड़े सपने को पूरा पाते हैं। इन जमा योजनाओं पर सरकार अन्य बैंकों की जमा योजनाओं से अधिक ब्याज देती है। इन योजनाओं में निवेश कराने में राष्ट्रीय अल्प बचत अभिकर्ताओं की भूमिका अहम होती है। डाकघर की विभिन्न अल्प बचत योजनाओं में निवेश का करीब 90 प्रतिशत अभिकर्ताओं के माध्यम से होता है।
शिकायतें
-डाकघरों में अभिकर्ताओं के लिए किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बैठने के लिए जगह नहीं है।
-अभिकर्ताओं के लाइसेंस नवीकरण में परेशानी होती है। इस पर डाक विभाग ध्यान नहीं देता है।
-महंगाई दिनों-दिन बढ़ रही है, लेकिन कमीशन की दरों में कटौती लगातार की जा रही है। इससे जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है।
-बिना कमीशन वाली योजनाओं का टारगेट देकर इसे पूरा करने का दबाव बनाया जाता है।
-अभिकर्ताओं के लिए प्रिटिंग काउंटर नहीं है। पासबुक प्रिंट कराने में बहुत दिक्कत होती है।
सुझाव
-डाकघरों में अभिकर्ताओं के बैठने के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए।
-महंगाई को देखते हुए कमीशन की दरों में बढ़ोतरी करनी चाहिए, तभी जीविका चलाने में दिक्कतें नहीं होगी।
-जिन योजनाओं में कमीशन हटाया गया है, उन्हें पुन चालू किया जाना चाहिए।
-डाक विभाग की ओर से बचत अभिकर्ताओं को पेंशन, मेडिकल की सुविधा मिलनी चाहिए।
- अभिकर्ताओं के लिए अलग से काउंटर हो, ताकि ग्राहकों की पासबुक प्रिंटिंग में दिक्कत न हो।
हमारी भी सुनें
डाकघर में अभिकर्ताओं को बैठने की व्यवस्था की जाए। अलग से प्रिटिंग काउंटर दिया जाए। कमीशन में बढ़ोतरी की जाए। बंद कमीशन को पुन: चालू किया जाए।
अरुण कुमार श्रीवास्तव
महंगाई बढ़ती जा रही है और कमीशन घटता जा रहा है। ऐसे में अभिकर्ताओं के सामने जीविका चलाने की समस्या उत्पन्न हो गई हैं। इस पर सरकार ध्यान दे।
दुर्गा प्रसाद चौधरी
हमलोग जान जोखिम में डालकर फील्ड में काम करते हैं। इसके बावजूद हमारा बीमा है न ही मेडिकल की सुविधाएं हैं। हमें भी डाककर्मी के बराबर सुविधाएं मिले।
राम अचल
डाक विभाग की ओर से अभिकर्ताओं पर टारगेट के लिए दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। कमीशन को कम करने की बजाय बढ़ाने का निर्देश दिया जाए। बीमा की सुविधाएं मिले।
प्रदीप श्रीवास्तव
एटीएम कार्ड एक्सपायरी होने पर नये कार्ड को तुरंत उपलब्ध कराया जाए। निवेशकों का भगुतान समय से कराया जाए। तभी ग्राहकों का विश्वास हम लोगों पर बना रहेगा।
राम सजीवन
यूपीआई पर जोर है लेकिन डिजिटल पोर्टल पर अमाउंट भुगतान की सुविधा नहीं दी जा रही है। हमलोगों का जीवन बीमा भी नहीं है। ऐसी योजना नहीं कि भविष्य में काम आए।
वीना श्रीवास्तव
पहले जो कमीशन मिलता था, उसमें भी कटौती कर ली गई है, हमारा हक मारा जा रहा है। सभी सीजन में कार्य करने वाले अभिकर्ताओं के लिए सरकार योजनाएं लाए।
श्रीकांत शुक्ल
ड्यूटी टाइम से भी अधिक कार्य करने पर जो कमीशन आता है, वह काफी कम होता है। इससे किसी भी अभिकर्ता को परिवार चलाने में परेशानी होती है।
रामशंकर मिश्र
अभिकर्ताओं को सम्मान मिले। छीने गए हक को वापस दिलाया जाए। कमीशन तो मिले ही, साथ ही एक निश्चित मानदेय भी होना चाहिए, ताकि भविष्य सुधरे।
गणेश नारायण मिश्र
एक उपभोक्ता का जीवन सुरक्षित करने के लिए काफी प्रयास करते हैं, लेकिन सरकार हमारी सुरक्षा का ध्यान नहीं दे रही है। जीविकापार्जन पर भी सरकार अनदेखी कर रही है।
निशा श्रीवास्तव
अक्सर सर्वर डाउन रहने की परेशानियां झेलनी पड़ती है। इससे लेनदेन प्रभावित होता है। एक ही कार्य के लिए कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं।
कंचनबाला श्रीवास्तव
पहले पीपीएफ में एक % कमीशन मिलता था, अब आधा प्रतिशत कर दिया गया, सुकन्या योजना, सीनियर सिटीजन पर कोई कमीशन देय नहीं है, इससे परिवार चलाना मुश्किल है।
शारदा जायसवाल
एनएससी, किसान विकास पत्र, टाइम डिपाजिट पर जो कमीशन मिलता है उस पर टीडीएस की भी कटौती कर ली जाती है। मानदेय के साथ हेल्थ बीमा का कवर दिया जाए।
अर्चना गुप्ता
डाकघरों से जुड़े एजेंट के लिए पेयजल तक की सुविधाएं नहीं हैं। पंखा खराब रहता है, बैठने के लिए कुर्सी तक की व्यवस्था नहीं मिलती है। सर्वर डाउन का दंश अभिकर्ता आए दिन झेलते हैं।
किरन
ठंडी, गर्मी, बरसात आदि दिनों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के अभिकर्ता काफी शिद्दत के साथ काम कर रहे हैं, फिर भी उन्हें हक नहीं मिल रहा है।
नीलम यादव
टारगेट देते समय अधिकारी यह नहीं सोचते कि पूरा होने पर उन्हें प्रोत्साहनराशि देकर प्रोत्साहित भी करना है। इससे वंचित रहना पड़ता है।
शीला पाठक
बोले जिम्मेदार
पेयजल की सुविधा प्रधान डाकघर में है, बेच आदि लगे हैं। अभिकर्ता हमारे परिवार की तरह हैं, वह आते हैं तो स्वागत है, लेकिन उनका काम फील्ड का है। फील्ड से आएं और अपना पैसा जमा करें और फिर अपने काम के लिए चले जाएं। पंखा बनवाया जाएगा। कमीशन कटौती और बढ़ोत्तरी का कार्य सरकार के अधीन है। सर्वर डाउन होने के कारण भुगतान नहीं होने की शिकायत को सुनते हुए उसे सही कराया गया है। पहले किसी कंपनी का नेटवर्क था, जो अब बीएसएनएल से है। प्रिंटर खराब होने पर तत्काल बनवाने का प्रबंध किया जाता है, चूंकि इसमें भी बाध्यता रहती है। किसी अभिकर्ता को कोई शिकायत होती है तो सुनवाई करते हुए निराकरण कराया जाता है।
सतीश चंद्र वर्मा, पोस्टमास्टर, प्रधान डाकघर, बस्ती
जिला बचत कार्यालय से संबंध सभी अभिकर्ताओं के हक के लिए निरंतर संघर्ष जारी है। केंद्र की तमाम योजनाएं चल रही हैं लेकिन उनमें कमीशन का जो लोचा है उसके लिए जल्द ही एक मीटिंग करके वार्ता करते हुए मांग पत्र केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। जिस स्कीम में कमीशन की कटौती हुई है उसे बढ़ाने के लिए संघर्ष होगा। कमीशन दो प्रतिशत हो इसके लिए प्रयास होगा। डिजिटल भुगतान के लिए भी मांग की गई है। सर्वर डाउन रहने के कारण जो परेशानी होती है इसकी भरपाई हो। प्रिंटर तत्काल दुरुस्त हो, पासबुक नियमित बनें। बिना किसी लाइन और झंझट के अभिकर्ताओं का लेनदेन तत्काल किया जाए। बीमा व आयुष्मान कार्ड तथा ई-श्रम कार्ड बनवाने के लिए वार्ता होगी। सूर्यप्रकाश पांडेय, सचिव, अभिकर्ता संघ, बस्ती
ग्राहकों का पैसा लेकर आने और डिपॉजिट करने में हमेशा डर बना रहता है। लंबे समय तक इधर-उधर भटकना पड़ता है। इससे काफी परेशानी होती है। इसके अलावा यह भी मांग है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो और पुरुष अभिकर्ताओं के लिए भी सुरक्षा की व्यवस्था हो। वाहन भत्ता भी मिले और दुर्घटना होने पर परिवार को एकमुश्कत रकम की व्यवस्था हो।
मनोज तिवारी, अध्यक्ष, अभिकर्ता संघ, बस्ती
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