धुंधकारी-गोकर्ण की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता
Basti News - बस्ती के प्रहलाद कॉलोनी में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन, कथावाचक पंडित देवस्य मिश्र ने गोकर्ण और धुंधकारी की कथा सुनाई। आत्मदेव और उनकी पत्नी धुंधुली की संतान न होने से परेशान होकर ऋषि से मदद मांगी।...
बस्ती। प्रहलाद कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक पंडित देवस्य मिश्र ने गोकर्ण और धुंधकारी की कथा का रसपान कराया। उन्होंने बताया कि तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव और उनकी पत्नी धुंधुली रहती थी। धुंधुली झगड़ालू किस्म की थीं। संतान नहीं होने के कारण पति परेशान रहते थे। उन्होंने अपनी पीड़ा एक ऋषि को बताई। ऋषि ने एक फल देकर कहा कि तुम यह फल पत्नी को खिला देना। आत्मदेव ने फल पत्नी को दिया, लेकिन पत्नी ने फल को नहीं खाया और उसे गाय को खिला दिया। धुंधुली ने अपनी बहन के बच्चे को ले लिया। आत्मदेव ने बच्चे का नाम धुंधकारी रखा। इसके बाद गाय ने भी एक बच्चे को जन्म दिया जो मनुष्य के रूप में था पर उसके कान गाय के समान थे। उसका नाम गोकर्ण रख दिया। बउ़ा होने पर धुंधकारी नशेड़ी, चोर निकला और एक दिन अपनी मां को मार डाला। पिता व्यथित होकर वन चले गए। धुंधकारी वेश्यागमन करने लगा। एक दिन वेश्याओं ने धुंधकारी को मार डाला। मरने पर धुंधकारी प्रेत बन गया। गोकर्ण त्रिकाल संध्या की पूजा करते थे। उन्होंने भागवत कथा सुनकर धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्त कराया। कथावाचक ने नारद चरित्र और कलयुग आगमन की कथा सुनाई। कथा में श्याम नारायण पाल, लालमति पाल, सौरभ पाल, सुधा, सुनीता, नेहा, पिंकी, बृंदा, हर्षित शुक्ला, अनुराग मिश्रा, प्रदीप, धर्मेंद्र पाल आदि मौजूद रहे।
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