मॉक ड्रिल: भारत-पाक तनाव के बीच मॉक ड्रिल आज, सभी तैयारियां पूरी
Bulandsehar News - भारत-पाक तनाव के बीच मॉक ड्रिल आज, सभी तैयारियां पूरी भारत-पाक तनाव के बीच मॉक ड्रिल आज, सभी तैयारियां पूरी भारत-पाक तनाव के बीच मॉक ड्रिल आज, सभी तैय

बुलंदशहर। पहलगाम में पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और कभी भी युद्ध हो सकता है। दोनों देशों में तनाव के बीच भारत सरकार ने पूरे देश में मॉक ड्रिल कराने का फैसला किया है। इसके लिए आज देश के लगभग सभी राज्यों में मॉक ड्रिल होगा। जनपद की बात करें तो मंगलवार को पूरे दिन अधिकारी मॉक ड्रिल की तैयारियों में जुटे रहे। सिविल डिफेंस की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। भारत सरकार की ओर से मॉक ड्रिल की घोषणा किए जाने के बाद जंग की आशंका और बढ़ गई है।
इससे पूर्व 54 साल पहले यानि दिसंबर 1971 में देश में मॉक ड्रिल हुआ था। भारत से युद्ध के बाद पाकिस्तान की भगौलिक स्थिति बदल गई थी और बांग्लादेश के रूप में आजाद मुल्क का जन्म हुआ था। 1971 के युद्ध से चार दिन पहले हुआ था मॉक ड्रिल बुलंदशहर, संवाददाता। बुजुर्गों और जनकारों की मानें तो वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच आधिकारिक तौर पर युद्ध 3 दिसंबर से 16 दिसंबर के बीच चला था, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव काफी पहले से चल रहा था। मॉक ड्रिल की शुरुआत युद्ध से दो-चार दिन पहले शुरू हुई और युद्ध की समाप्ति तक चली थी। इस दौरान देश भर में सिविल डिफेंस की तैयारियां की गईं। इस ड्रिल का मकसद जनता को युद्ध की स्थिति लेकर जागरूक करना था। क्या हुआ था मॉक ड्रिल के दौरान 1971 की मॉक ड्रिल में कई तरह की गतिविधियां शामिल थीं। मॉक ड्रिल का मकसद जनता को युद्ध के लिए मानसिक तौर पर तैयार करने के साथ उनमें जागरूकता लाना था। हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए गए थे। सायरन की आवाज सुनते ही लोगों को अपनी जगह छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाना होता था। रात में शहरों में लाइट बंद करने की प्रैक्टिस कराई गई थी, ताकि दुश्मन के हवाई हमलों से बचा जा सके। इसके अलावा जनता को बंकर या सुरक्षित जगहों पर ले जाने की भी ट्रेनिंग दी गई थी। उन्हें बताया गया कि हवाई हमले या बमबारी की स्थिति में कैसे अपनी जान बचानी है। मॉक ड्रिल के दौरान लोगों में दहशत के साथ-साथ रोमांच भी था, लेकिन जनता को अपने देश की सेना पर पूर्ण विश्वास था कि युद्ध हुआ तो जीत अपनी ही होगी। संस्मरण : बोले बुजुर्ग, सायरन की आवाज ने धड़का दिया था दिल -1971 के युद्ध से पहले किया गया था जनपद में मॉक ड्रिल बुलंदशहर, संवाददाता। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान नागरिक सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल्स किए गए थे। इनका उद्देश्य लोगों को युद्ध और आपात स्थिति से निबटने के लिए तैयार करना था। मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजाकर लोगों को हिदायत दी जाती थी, जिससे की वह सुरक्षित स्थानों पर जा सकें। इसके अलावाा्रात के समय सभी रोशनी बंद करके ब्लैक आउट किया जाता था ताकि दुश्मन को आबादी क्षेत्रों का पता न चल सके। 1971 में हुए मॉक ड्रिल को लेकर बुजुर्गों ने हिन्दुस्तान के साथ अपने संस्मरण साझा किए हैं। बोले बुजुर्ग :::: मॉक ड्रिल में यह बताया गया था कि जैसे ही सायरन की आवाज सुनाई दे तो लोग सतर्क हो जाएं और सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। दहशत वाले दिन थे और खौफनाक रातें थीं। -जेपी शर्मा, वयोवृद्ध मॉक ड्रिल के दौरान एनसीसी के कैडेट्स का बहुत बड़ा और अच्छा रोल था। कैडेट्स स्कूल में जाकर सुरक्षा के बारे में जानकारी देते थे। ब्लैक आउट के बारे में बताया जाता कि रात के समय कोई भी रोशनी न की जाए। -अलीजान, बुजुर्ग 1971 के युद्ध के दौरान हुए मॉक ड्रिल अच्छी तरह से याद है कि किस तरह से लोग सायरन की आवाज सुनते ही सजग हो जाते थे। साथ ही आकाशवाणी समाचारों का एकमात्र साधन हुआ करता था, जिस पर भारतीय सेना की वीरता की गाथाएं सुनते थे। -मास्टर मीर सिंह चौधरी, वयोवृद्ध मॉक ड्रिल के माध्यम से लोगों को आपातकालीन स्थिति से निबटने के लिए तैयार रहने का एक तरह से प्रशिक्षण दिया गया था। लोगों को सिखाया गया था कि हमला होने की स्थिति में अपने आपको कैसे सुरक्षित रखें। -ऋषिपाल शर्मा, ब्लैक आउट के दौरान रात में घरों से किसी भी प्रकार की रोशनी नहीं निकलनी चाहिए थी, लोगों को यदि कोई काम होता था तो घरों के अंदर जाकर रोशनी किया करते थे। जिससे दुश्मन को वास्तविक स्थिति का पता न चल सके। -महावीर सिंह, स्वतंत्रता सैनानी स्कूल, दफ्तर और घरों में रहने वाले लोगों को सिखाया गया था कि खतरे की स्थिति में कैसे और कहां छिपना है। कैसे सतर्क रहना और किन-किन चीजों का ख्याल रखना है। -मंजू भारती
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