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बोले बुलंदशहर : रेहड़ी वालों को मिले पक्का ठिकाना

Bulandsehar News - सड़कों पर रेहड़ी-पटरी वाले छोटे व्यापारी आम लोगों के लिए आवश्यक हैं, लेकिन उन्हें स्थायी ठिकाने और सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। ये विक्रेता पुलिस और स्थानीय दुकानदारों से भी परेशान हैं। उनकी...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरThu, 10 April 2025 11:05 PM
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बोले बुलंदशहर : रेहड़ी वालों को मिले पक्का ठिकाना

सड़कों पर जगह-जगह रेहड़ी-पटरी वाले आम लोगों के जीवन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह छोटे व्यापारी न केवल अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, बल्कि आम जनता को सस्ते और सुलभ तरीके से सामान भी उपलब्ध कराते हैं। इसके बावजूद इन विक्रेताओं को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनके पास स्थायी ठिकाने नहीं होते, उन्हें वेंडर जोन में व्यापार करने की सुविधा नहीं मिलती और सरकारी योजनाओं का लाभ भी उचित रूप से नहीं मिल पाता। इन व्यापारियों ने अब मांग उठाई है कि उन्हें कम से कम पक्के ठिकाने उपलब्ध हो जाएं तो काम बन जाए। इसके अलावा सड़कों पर लगाने वाले इन रेहड़ी-पटरी संचालकों की एक प्रमुख समस्या और है, वो है पुलिस और आसपास के दुकानदार। जो अक्सर आकर इन्हें भयभीत और स्थान छोड़ने की धमकी देते हैं।

बुलंदशहर के प्रमुख स्थान भूड़ चौराहा, कालाआम, स्याना बस अड्डा, अनूपशहर बस अड्डा, जहांगीराबाद अड्डा, शिकारपुर अड्डा, खुर्जा बस स्टैंड, काली नदी रोड, अंसारी रोड, लल्ला बाबू चौराहा, रेलवे रोड सहित शायद ही ऐसा कोई इलाका होगा, जहां आपको सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी पर अस्थाई दुकानदार ना मिलते हों। रेहड़ी, पटरी और छोटे दुकानदारों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास कोई स्थायी जगह नहीं होती। उन्हें दिन-प्रतिदिन अपनी दुकानें हटानी पड़ती हैं और सड़क किनारे बेतरतीब तरीके से अपना सामान रखना पड़ता है। कई बार उन्हें पुलिस से भी डर लगने लगता है, क्योंकि वह कहीं भी बिना किसी अनुमति के अपना व्यवसाय चला रहे होते हैं। स्थायी ठिकाने का न होना उनके लिए ना केवल मानसिक तनाव का कारण बन रहा है, बल्कि यह उनकी आजीविका को भी प्रभावित कर रहा है।

इसलिए इन विक्रेताओं की सबसे बड़ी मांग यह है कि उन्हें स्थायी ठिकाना मिलना चाहिए। सरकार को इन लोगों के लिए विशेष वेंडर जोन बनानी चाहिए। जहां पर यह व्यापारी बिना किसी भय के अपने व्यवसाय को आसानी से चला सकें। स्थायी ठिकाने मिलने से यह विक्रेता ना केवल बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। बल्कि उन्हें रोजगार में स्थिरता भी मिलेगी। जब तक इन विक्रेताओं को स्थायी ठिकाना नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें बिना किसी कारण के हटाना एक अन्य बड़ी समस्या है। कई बार पुलिस, स्थानीय दुकानदार और नगर पालिका की टीम बिना किसी पूर्व सूचना के इन विक्रेताओं को उनके स्थान से हटाने की धमकी देते हैं। जिससे उनका व्यापार ठप हो जाता है।

रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं का कहना है कि नगर पालिका और विकास प्राधिकरण की ओर से शहर में पुरानी जेल रोड पर स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के लिए वेंडर जोन बनाया गया है। यदि शहर में अन्य किसी जगह रेहड़ी-पटरी पर दुकान करने वाले विक्रेताओं के लिए भी स्थाई वेंडर जोन बन जाएगा तो इससे व्यापार में काफी राहत मिल सकेगी। कई रेहड़ी-पटरी विक्रेता तो ऐसे हैं, जो पिछले 40 से 45 सालों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर काम कर रहे हैं। जब तक ऐसे अस्थाई रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को स्थाई ठिकाना नहीं मिलता है तब तक पुलिस प्रशासन उन्हें हटाने का प्रयास नहीं करे। क्योंकि ऐसा होने से उनका परिवार भूखमरी के कगार पर भी पहुंच सकता है।

बच्चों को मिलनी चाहिए फ्री शिक्षा :

रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं का कहना है कि उनके बच्चों के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। वह बच्चों के स्कूलों की फीस और अन्य खर्चों की वजह से अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में मजबूरन बच्चों को रेहड़ी-पटरी पर लाना पड़ता है। सरकार को इस वर्ग के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि वह भी अपनी मेहनत के बदले बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें। इस तरफ ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है।

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स्वास्थ्य सेवाओं का भी मिलना चाहिए लाभ

रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं का कहना है कि सड़क किनारे अस्थाई ठिकाना सिर्फ गरीब तबके का वर्ग ही करता है। इस तबके को ना तो सरकार की किसी योजना का लाभ मिल पाता है और ना ही स्वास्थ्य सेवाओं का। यदि सरकार की ओर से इस तबके के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा तो इससे इस वर्ग के लोगों को काफी सुविधा प्राप्त होगी। क्योंकि निजी अस्पतालों में उपचार काफी महंगा होता है। जबकि सरकारी अस्पतालों में गिनी-चुनी बीमारियों का ही उपचार होता है। सरकारी अस्पतालों में ना तो अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हो पाती है और ना ही पर्याप्त मात्रा में दवाएं ही मिल पाती है। इस वर्ग को आयुष्मान योजना का लाभ मिलना चाहिए।

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सस्ती दरों पर ऋण मिलने की हो सुविधा

रेहड़ी-पटरी वाले और छोटे व्यापारी अक्सर अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए पूंजी की कमी से जूझते रहते हैं। इन्हें सस्ती दरों पर ऋण की सुविधा मिलनी चाहिए। जिससे वह अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकें। सस्ती दरों पर ऋण मिलने से रोजगार में नए पंख लगेंगे। जिससे छोटे व्यापारियों को काफी राहत मिलेगी। इसके अलावा सरकार को उनके लिए आसान शर्तों पर ऋण की योजना बनानी चाहिए। ताकि वह बिना किसी जटिलता के ऋण प्राप्त कर सकें।

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अनावश्यक रूप से परेशान करती है पुलिस

रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं का कहना है कि सड़क किनारे अपना व्यापार करने वालों के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आती हैं। सबसे बड़ी परेशानी पुलिस है। क्योंकि यदि सड़क पर जाम लग जाए तो वह गलती अस्थाई रूप से रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को इसका दोषी मानती है। जबकि रेहड़ी-पटरी विक्रेता नियमानुसार जिस स्थान पर वाहन नहीं चलते उस स्थान पर ही अपना व्यापार करते हैं। ऐसे में पुलिस किसी का ठेला पलट देती है तो किसी के साथ र्दुव्यवहार होता है। जिससे काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।

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रेहड़ी-पटरी वालों का दर्द

रेहड़ी-पटरी वालों को भी वेंडर जोन के तहत व्यापार करने की जगह मिलनी चाहिए। ताकि वह बिना किसी डर के काम कर सकें। सरकारी सहायता और सुविधाएं मिल जाए तो काम बन जाए।

-मोहम्मद अशरफ

कारोबार को बढ़ाने के लिए रेहड़ी-पटरी वालों को सस्ती दरों पर ऋण मिलने की सुविधा मिलनी चाहिए। ताकि व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके।

-सलमान

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रेहड़ी-पटरी वालों के आयुष्मान कार्ड बनने चाहिए। क्योंकि जब इलाज की आवश्यकता होती है तो पास में रुपये नहीं होते। ऐसे में आयुष्मान कार्ड से काफी फायदा हो सकता है।

-जुनैद

रेहड़ी-पटरी वाले सिर्फ आजीविका चलाने के लिए स्थाई ठिकानों पर व्यापार करते हैं। कई बार पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से खरी-खोटी सुननी पड़ती है।

-बहादुर

कई रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती। यदि सरकारी योजनाओं की जानकारी समय से मिलने लगे तो काफी फायदा हो सकता है।

-नितिन

बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पर्याप्त रुपयों का बंदोबस्त नहीं हो पाता। यदि सरकार मुफ्त में शिक्षा की व्यवस्था कर दें तो बच्चों को कौन नहीं पढ़ाना चाहेगा।

-मोहम्मद यूसुफ

रेहड़ी-पटरी वालों को यदि स्थाई ठिकाना मिल जाएगा तो सारा ही झंझट खत्म हो जाएगा। क्योंकि स्थाई ठिकानों पर ना तो पुलिस का कोई भय होगा और ना ही दुकानों के आगे ठिकाना लगाने से होने वाली दिक्कतों का।

-हबीब

काली नदी रोड पर स्थित अस्थाई ठिकानें पहले पार्क में संचालित होते थे। अब पार्क को विकसित कर दिया गया है। जिस वजह से यह ठिकाने सड़क पर आ गए हैं। हमें स्थाई ठिकानें मिलने चाहिए।

-सलीम

रेहड़ी-पटरी वालों के पास कोई स्थाई जगह नहीं है। हर दिन डर के साथ काम करना पड़ता है। यदि स्थाई जगह मिल जाएगी तो जीवन बहुत ही सरल हो जाएगा।

-सलमान

परिवार को पालने के लिए अस्थाई स्थानों पर व्यापार करना पड़ता है। ऐसे में परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतें आती है। इनका शीघ्रता से समाधान होना चाहिए।

-संजू

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सुझाव:

1.स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ देने के लिए बनाए जाए आयुष्मान कार्ड।

2.पक्के ठिकाने होने से रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को मिल सकती है राहत।

3.अतिक्रमण के नाम पर होने वाले शोषण को बंद करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

4.बच्चों की शिक्षा के लिए करने चाहिए उचित प्रबंध। ताकि इनके बच्चे भी शिक्षा भी मुख्य धारा में आए।

5.रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के अस्थाई ठिकानों के पास शुद्ध पानी और शौचालय की व्यवस्था से हो सकती है राहत।

शिकायत:

1.रेहड़ी-पटरी वालों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलें।

2.रेहड़ी-पटरी वालों के लिए भी पक्के ठिकानें बनने चाहिए।

3.अतिक्रमण के नाम पर झेलते हैं रेहड़ी-पटरी विक्रेता शोषण।

4.इनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी हो पर्याप्त इंतजाम।

5.शुद्ध पानी और कम से शौचालय का भी होना चाहिए इंतजाम।

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कोट:

रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की समस्याओं का जल्द से जल्द निस्तारण कराया जाएगा। स्थानीय स्तर पर उनकी जो भी समस्याएं हैं, उनका संबंधित विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर निस्तारण होगा।

-प्रदीप चौधरी, विधायक, सदर

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