बोले सहारनपुर : कच्चे माल पर महंगाई की मार और बदलते स्वरूप से पिछड़े कारीगर
Saharanpur News - भारतीय जूता कारीगरों को महंगाई, बदलती युवा रुचियां और ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से उनके कारोबार में कमी आई है। सरकार को कारीगरों के...
जूता कारीगर भारतीय समाज का अहम हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने अपने हुनर और मेहनत से कई पीढ़ियों तक अपनी कला को संजोकर रखा है, लेकिन वर्तमान समय में जूता कारीगरों के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। महंगाई, युवाओं की बदलती रुचि, ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ता चलन और कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने इन कारीगरों की स्थिति को दयनीय बना दिया है। जिससे इन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जूता कारीगरों ने अपने हुनर और मेहनत से कई पीढ़ियों तक अपनी कला को संजोकर रखा है। हाथ से बने जूते ना केवल एक पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि ये जूता कारीगरों के लिए आजीविका का भी साधन रहे हैं। लेकिन वर्तमान समय में जूता कारीगरों के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। महंगाई, युवाओं का बदलता रुचि, ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ता चलन और कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने इन कारीगरों की स्थिति को दयनीय बना दिया है। इस लेख में हम जूता कारीगरों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे और उनके समाधान के संभावित रास्तों पर भी विचार करेंगे।
आजकल के जूता कारीगरों के सामने सबसे बड़ी समस्या महंगाई है। चमड़ा, कीलें, सिलाई के सामान जैसे कच्चे माल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। पहले जिन सामग्रियों को वे सस्ते में खरीद लेते थे, अब उनका दाम कई गुना बढ़ चुका है। चमड़ा से लेकर कीलें, रिबन और ब्रश आदि की कीमतों में भी वृद्धि ने कारीगरों की स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। कच्चे माल की बढ़ी हुई कीमतों के कारण जूता कारीगरों को अपनी निर्माण लागत को नियंत्रित करना कठिन हो गया है। यही कारण है कि कारीगरों का कारोबार 40 फीसदी तक घट चुका है। इससे न केवल उनकी आय प्रभावित हुई है, बल्कि कई कारीगरों को अपने परिवारों की जरूरते पूरी करने में भी कठिनाई हो रही है। जूता कारीगरों का कहना है कि सरकार को कच्चे माल की खरीदारी में सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए। इसके साथ ही कारीगरों के लिए विशेष ऋण योजनाओं की शुरुआत होनी चाहिए, ताकि वे अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चला सकें। जूता कारीगरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है, जिससे वे नई तकनीकों और आधुनिक उपकरणों का उपयोग सीख सकें और अपने उत्पाद की गुणवत्ता को बेहतर बना सकें। आधुनिक समय में ऑनलाइन खरीदारी का चलन बढ़ा है, लेकिन यह जरूरी है कि स्थानीय बाजारों को भी बढ़ावा दिया जाए। जूता कारीगरों को अपनी कला को प्रमोट करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही, स्थानीय सरकारी संस्थाएं और एनजीओ उन्हें स्थानीय स्तर पर प्रमोशन, विपणन और बिक्री के लिए सहायता प्रदान कर सकते हैं।
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युवाओं में घटी हाथ से बने जूतों की लोकप्रियता
वर्तमान समय में युवाओं का ध्यान प्रौद्योगिकी और आधुनिक फैशन की ओर बढ़ चुका है। हाथ से बने जूते जो कभी एक फैशन स्टेटमेंट माने जाते थे, अब वे युवाओं के बीच लोकप्रिय नहीं रहे। आजकल युवाओं को स्पोर्ट्स शूज और ब्रांडेड जूते ज्यादा पसंद आते हैं। क्योंकि वे स्टाइलिश और फैशन के हिसाब से उन्हें ठीक लगते है। इसके परिणामस्वरूप कारीगरों के पास ग्राहकों की संख्या में भारी कमी आई है। पुराने समय में जूता बनवाने के लिए लोग जूता कारीगरों के पास जाते थे, लेकिन अब उन्हें स्पोर्ट्स शूज या ऑनलाइन प्लेटफार्मों से जूते खरीदने की आदत बन चुकी है।
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ऑनलाइन खरीदारी और सेल विक्रेताओं का प्रभाव
ऑनलाइन शॉपिंग और सेल विक्रेताओं का विस्तार भी जूता कारीगरों के व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रहा है। लोग अब आसानी से ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स से ब्रांडेड और सस्ते जूते खरीद सकते हैं, जो उन्हें कारीगरों के जूतों से कहीं सस्ते और आकर्षक लगते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर दी जाने वाली छूट और मुफ्त डिलीवरी ने पारंपरिक दुकानों को और भी पीछे छोड़ दिया है। इस कारण से जूता कारीगरों के लिए अपने व्यवसाय को बनाए रखना और उसे बढ़ाना एक बड़ा चुनौती बन गया है।
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ग्राहक को आकर्षित करने के लिए दिए जा रहे ऑफर
महंगे कच्चे माल और घटते व्यापार के बावजूद कई जूता कारीगरों ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अनोखे ऑफर देना शुरू किया है। जूता कारीगर ग्राहकों को एक वर्ष तक मुफ्त जूते मरम्मत सेवा देने का ऑफर दे रहे हैं। यह ऑफर ग्राहकों को आकर्षित करने का एक प्रयास है, लेकिन इससे जूता कारीगरों पर और अधिक दबाव बढ़ता है। उन्हें अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए अपनी सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए लागत को नियंत्रित करने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ता है।
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घर चलाने में कठिनाई और सुविधाओं की कमी
महंगाई और घटते कारोबार के कारण, जूता कारीगरों को अपने परिवारों का पालन-पोषण करना कठिन हो गया है। अधिकांश कारीगर अब संघर्ष कर रहे हैं और उनके पास अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रुपये नहीं हैं। इन कारीगरों को स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाएं सुविधाओं की भी आवश्यकता है। उनकी कठिनाइयां और समस्याएं केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक भी हैं।
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कारीगरों की मांग स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान कार्ड का मिले लाभ
जूता कारीगरों की एक और बड़ी मांग यह है कि उन्हें स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान कार्ड जैसे सरकारी लाभ मिलें, जिससे वे किसी बीमारी या दुर्घटना के दौरान आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सके। चूंकि अधिकांश जूता कारीगर नियमित रूप से अपनी कमाई से परिवार का पालन करते हैं, किसी भी अप्रत्याशित संकट का सामना करने के लिए उनके पास कोई सुरक्षा नहीं होती। आयुष्मान कार्ड और स्वास्थ्य बीमा जैसे योजनाओं से उनकी स्थिति में सुधार हो सकता है।
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युवाओं को आकर्षित करने में सफल हो तो बने बात
जूता कारीगरों को अपने उत्पाद में बदलाव लाने की आवश्यकता है। वे युवा पीढ़ी के ट्रेंड्स और स्टाइल्स के अनुसार जूते बना सकते हैं, जिससे उनकी मांग बढ़े। इसके साथ ही जूता कारीगरों को डिजाइन और पैटर्न में नयापन लाकर आकर्षक और स्टाइलिश जूते बनाने चाहिए। इससे युवा आकर्षित होगा तो कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी। इतना ही नहीं, जूता कारीगरों की कला को बचाए रखने के लिए सरकार को विशेष योजनाएं शुरू करनी चाहिए, जो उनके काम को संरक्षित कर सकें। पारंपरिक शिल्प का संरक्षण न केवल इन कारीगरों के लिए रोजगार सृजन करेगा, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धरोहर को भी संजोने में मदद करेगा।
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हमारी भी सुनों....
महंगाई ने कच्चे माल की कीमतें बढ़ा दी हैं, जिससे काम करना मुश्किल हो गया है। सरकार को हमें सब्सिडी और आर्थिक मदद देनी चाहिए ताकि हम अपने परिवार का पालन सही तरीके से कर सकें। -लोकेश
हमारे लिए कारोबार में कमी आई है, युवाओं को हाथ से बने जूते अब कम पसंद आते हैं। अगर हम अपनी कला को प्रमोट करें और नई डिजाइनों को अपनाएं तो शायद थोड़ी मदद मिल सके। -बिजेंद्र
चमड़े और अन्य सामग्री की कीमत बढ़ने से लागत भी बढ़ गई है, जिससे हमारा मुनाफा कम हो रहा है। सरकार से वित्तीय सहायता की आवश्यकता है ताकि हम कच्चे माल को सस्ते दरों पर प्राप्त कर सकें। -विजयपाल
युवाओं का ध्यान स्पोर्ट्स शूज और ब्रांडेड जूतों पर ज्यादा है। हमें अपनी पारंपरिक कला को फिर से नया रूप देना होगा, ताकि हम युवाओं को आकर्षित कर सकें और कारोबार बढ़ा सकें। -प्रदीप
ऑनलाइन शॉपिंग का दौर बढ़ा है, जिससे स्थानीय दुकानों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। हमें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके अपने उत्पाद को प्रमोट करना होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक हमसे जुड़ें। -राजेश गौतम
हमारा परिवार ठीक से नहीं चल पा रहा है, महंगाई ने हमें बहुत प्रभावित किया है। सरकार को हमें स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का लाभ देना चाहिए ताकि हम किसी भी अप्रत्याशित संकट से बच सकें। -बसंता
कच्चे माल की कीमतों के बढ़ने से हमारे लिए काम करना कठिन हो गया है। हमें व्यवसाय चलाने के लिए विशेष ऋण योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि हम आगे बढ़ सकें और परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें। -मांगेराम
हमारे पास अब पर्याप्त ग्राहक नहीं आ रहे हैं। हमे अपने जूतों के डिजाइन को आधुनिक बनाना होगा और कुछ आकर्षक ऑफर भी देना होगा, ताकि लोग फिर से हमारी ओर आकर्षित हों। -राजेश
हमारी कला पुरानी हो रही है और अब ज्यादा लोग हमें चुनते नहीं। सरकार को जूता कारीगरों के लिए प्रशिक्षण और नई तकनीके सीखने के लिए योजनाएं बनानी चाहिए ताकि हम अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ा सकें। -मदन
ऑनलाइन खरीदारी ने हमारे कारोबार को प्रभावित किया है। हमें ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर सर्विस और डिजाइनों के साथ-साथ ऑफर भी देने होंगे, ताकि लोग हमारी तरफ रुझान बढ़ाएं। -मौ शाद
हमारे लिए अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। अगर सरकार हमें कच्चे माल पर सब्सिडी देती और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती तो हमें अपने व्यापार को बनाए रखने में मदद मिल सकती थी। -सुभाष
महंगाई ने हमारा कारोबार तोड़ा है। अगर सरकार हमें स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान कार्ड जैसे लाभ दे, तो हमारी स्थिति में सुधार हो सकता है और हम अपने काम को सही तरीके से जारी रख सकते हैं। -अश्वनी
समस्याएं
1.चमड़ा, कीलें और सिलाई के सामान की बढ़ती हुई कीमतें
2.युवाओं का हाथ से बने जूते में रुचि न होना
3.ऑनलाइन शॉपिंग और सेल विक्रेताओं का प्रभाव
4.वर्तमान में नए ग्राहकों की घटती संख्या
5.कच्चे माल की गुणवत्ता में बदलाव
6.सेल विक्रेताओं से दामों की प्रतिस्पर्धा
7.जूता कारीगरों के पास स्वास्थ्य बीमा या सुरक्षा योजना नहीं
8.महंगाई और कम ग्राहकों के कारण व्यवसाय चलाने में कठिनाई
9.कम आय के कारण परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल
10.स्पोर्ट्स शूज की बढ़ती लोकप्रियता
समाधान
1.सरकार को महंगाई और कच्चे माल पर सब्सिडी देनी चाहिए।
2.कारीगरों को डिजाइनों को आधुनिक बनाना होगा।
3.सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर उत्पादों का प्रचार हो।
4.ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए डिस्काउंट्स दे, साथ ही बिक्री सेवा को सुधारे।
5.सामग्री की गुणवत्ता के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सप्लायर्स से जुड़ना होगा।
6.पारंपरिक कारीगरी और गुणवत्ता का प्रचार करना होगा।
7.कारीगरों को स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं का लाभ मिले।
8.नए प्रशिक्षण प्राप्त करने होंगे और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना होगा।
9.सरकार द्वारा कारीगरों को आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
10.कारीगरों को जूतों को और स्टाइलिश बनाना होगा।
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