कार्य बहिष्कार में शामिल होने वालों को कॉरपोरेशन की चेतावनी, 5000 अभियंताओं को थमाया नोटिस
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में 29 मई से प्रस्तावित बिजली कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के पहले पावर कॉरपोरेशन ने तकरीबन 5000 अभियंताओं को नोटिस थमा दी है।

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में 29 मई से प्रस्तावित बिजली कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के पहले पावर कॉरपोरेशन ने तकरीबन 5000 अभियंताओं को नोटिस थमा दी है। कॉरपोरेशन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वे कार्य बहिष्कार में शामिल होते हैं या अन्य को इसके लिए प्रेरित करते हैं तो उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। कॉरपोरेशन ने इस नोटिस को अभियंताओं की व्यक्तिगत पत्रावली और चरित्र पंजिका में रखे जाने की भी बात कही है।
कॉरपोरेशन ने कहा है कि 20 और 21 मई को ये अभियंता शक्ति भवन पर हुए आंदोलन में शामिल हुए, जिसकी पुष्टि आंदोलन की वीडियोग्राफी से हो रही है। इससे विद्युत वितरण निगम में अशांति की स्थिति उत्पन्न हुई है। कॉरपोरेशन ने कहा कि 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की बात कही गई है, जिसके मायने हड़ताल ही हैं। इससे प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
अगर इस प्रस्तावित कार्य बहिष्कार में अभियंता शामिल होते हैं और इसमें हिस्सा लेने के लिए अन्य को उकसाते हैं और बिजली आपूर्ति में व्यवधान होता है तो इसे समाज विरोधी कार्य मानते हुए कठोरतम विभागीय व विधिक कार्रवाई की जाएगी। कॉरपोरेशन ने आंदोलन के दौरान दिए जा रहे बयानों को निजीकरण के विरुद्ध अनर्गल आरोप मानते हुए इसे पावर कॉरपोरेशन और शासन की नीतियों का विरोध माना है।
न हों कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन
कॉरपोरेशन ने नोटिस में कहा है कि 29 मई से प्रस्तावित कार्य बहिष्कार में शामिल होने को विद्युत आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न करना और हड़ताल माना जाएगा। यह सुनिश्चित करें कि किसी भी सरकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन न किया जाए। अन्यथा अभियंता उन पर विभागीय कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे। इस नोटिस को ही उचित कार्रवाई के लिए नोटिस माना जाए। कॉरपोरेशन ने कहा कि एस्मा लागू होने के बाद विरोध प्रदर्शन से शासकीय काम प्रभावित हो रहे हैं।
जो नहीं आए शक्ति भवन उन्हें भी दी गई नोटिस - संघर्ष समिति
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि जो अभियंता बीते छह महीने में एक बार भी शक्ति भवन नहीं आए उन्हें भी नोटिस दी गई है। यह सब पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन निजी घरानों के साथ मिलीभगत के चलते कर रहे हैं। वह निजी स्वार्थों की वजह से निजीकरण के लिए इतने आतुर हैं कि भीषण गर्मी में बिजली कर्मचारियों का दमन कर हड़ताल थोपना चाहते हैं। सभी नोटिसों में एक ही भाषा का इस्तेमाल किया गया है।