अपनी डिग्री पर फर्जी अस्पताल चलता देख दंग रह गए डॉक्टर, सीएमओ से लगाई गुहार
- गोरखपुर के सर्जन के शैक्षणिक प्रमाण पत्र का दुरुपयोग कर कुशीनगर में अस्पताल संचालित किए जाने का मामला सामने आया है। यह सर्जन हैं डॉ. वीरेंद्र बहादुर सिंह। उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र पर कुशीनगर के पडरौना में फर्जी तरीके से जीवन रक्षक अस्पताल संचालित करने का आरोप लगा है।

स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की डिग्री का दुरुपयोग कर फर्जी अस्पताल संचालन का मामला खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। गोरखपुर के सर्जन के शैक्षणिक प्रमाण पत्र का दुरुपयोग कर कुशीनगर में अस्पताल संचालित होने का मामला सामने आया है। यह सर्जन हैं डॉ. वीरेंद्र बहादुर सिंह। उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र पर कुशीनगर के पडरौना में फर्जी तरीके से जीवन रक्षक अस्पताल संचालित करने का आरोप लगा है। इसको लेकर चिकित्सक ने कुशीनगर के सीएमओ और अपर निदेशक स्वास्थ्य को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि वह कुशीनगर के ऐसे किसी अस्पताल से कभी नहीं जुड़े रहे। उन्होंने किसी अस्पताल को अपना शैक्षणिक प्रमाण पत्र उपयोग करने की मंजूरी भी नहीं दी है। डॉ. वीरेंद्र ने बताया कि 8 अप्रैल को डिप्टी सीएमओ डॉ. राकेश गुप्ता का फोन कुशीनगर से आया था। तब प्रकरण की जानकारी हुई। यह फर्जीवाड़ा है। इस अस्पताल को मेरे शैक्षणिक प्रमाण पत्र पर लाइसेंस कैसे मिला, इसकी जांच होनी चाहिए। किसने वेरिफिकेशन किया यह भी जांच हो। इसको लेकर सीएमओ और एडी हेल्थ को पत्र लिखा है। उन्होंने मामले की जांच करने व जांच की रिपोर्ट भी तलब की है।
तीन साल पहले भी आया था मामला
डॉ. वीरेंद्र के शैक्षणिक प्रमाण पत्र से कुशीनगर के खड्डा में अस्पताल संचालन का यह दूसरा मामला है। तीन साल पहले किसी अस्पताल ने अल्ट्रासाउंड लाइसेंस के लिए डॉ. वीरेंद्र के शैक्षणिक प्रमाण पत्र का उपयोग किया था। उस दौरान वेरिफिकेशन के लिए फोन कुशीनगर सीएमओ कार्यालय से फोन डॉ. वीरेंद्र के पास आया था। उस मामले में स्क्रीनिंग में ही पता चल गया। हालांकि तब भी मामला दबा दिया गया। सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी हैं संलिप्त: डॉ. वीरेन्द्र ने कहा कि इस मामले की गहनता से जांच होनी चाहिए। आखिर फर्जी तरीके से चल रहे अस्पताल में कैसे इलाज हो रहा था।
कुशीनगर के डिप्टी सीएमओ के फोन से सामने आया मामला
दरअसल, कुशीनगर के पडरौना स्थित जीवन रक्षक अस्पताल हाल ही में विवादों में आया है। अस्पताल के संचालन की किसी ने शिकायत स्वास्थ्य विभाग में की। इसकी जांच शुरू हुई। इसी क्रम में कुशीनगर के डिप्टी सीएमओ ने पंजीकृत अस्पताल से संबंधित चिकित्सक से संपर्क करने का फैसला किया। उन्होंने सर्जन डॉ. वीरेंद्र को फोन किया। तब डॉ. वीरेन्द्र को पता चला कि उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर कुशीनगर में अस्पताल का संचालन हो रहा है।