Increasing Dog and Monkey Attacks Amid Rising Heat in Eta India बोले एटा: खूंखार कुत्तों के खौफ में जीने को मजबूर हैं यहां के बाशिंदे, Etah Hindi News - Hindustan
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बोले एटा: खूंखार कुत्तों के खौफ में जीने को मजबूर हैं यहां के बाशिंदे

Etah News - एटा में गर्मी के साथ कुत्तों और बंदरों के हमले बढ़ रहे हैं। लोग आवारा जानवरों के हमलों से घायल हो रहे हैं और एंटी रेबीज वेक्सीन लगवाने के लिए अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। जनपद में इन जानवरों की बढ़ती...

Newswrap हिन्दुस्तान, एटाFri, 11 April 2025 05:44 PM
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बोले एटा: खूंखार कुत्तों के खौफ में जीने को मजबूर हैं यहां के बाशिंदे

वातावरण में गर्मी बढ़ने के साथ ही कुत्ता-बंदर के हमले बढ़ते जा रहे हैं। आये दिन लोग आवारा जानवरों का शिकार होने से घायल हो रहे है। आवारा घूम रहे जानवर गर्मी और भूखे रहने के कारण हिंसक हो रहे है। इनके हमले में हर उम्र, वर्ग के लोग शिकार हो रहे है। कुत्तों के काटने के बाद लोग एंटी रेबीज वेक्सीन लगवाने के लिए मेडिकल कालेज, सीएचसी, पीएचसी पर पहुंच रहे हैं। मेडिकल कालेज में प्रतिदिन 250 तक लोगों को एआरवी लगायी जा रही है। सीएचसी, पीएचसी पर भी 50 से 80 तक लोग वेक्सीन लगवाने आ रहे हैं। इससे प्रतिमाह जनपद में 10 से 12 हजार लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे है। इसके बाद भी इन आवारा जानवरों को पकड़े जाने की जनपद में कोई व्यवस्था नहीं है।

तेजी से बढ़ रही जनसंख्या रोकने को कोई व्यवस्था नहीं: बंदर, कुत्तों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इन आवारा जानवरों के छह माह में एक बार बच्चे पैदा होते हैं। जिससे गली-मोहल्लों, गांव, बस्ती में इनको खासी तादात में देखा जा सकता है। कुत्ते, बंदर अपने छोटे बच्चों के पास आने वालों पर भी हमला कर देते हैं। इनकी बढ़ती तादात को रोकने के लिए जनपद में इनकी नसबंदी कराये जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। महानगरों में नगर निकाय के माध्यम से आवारों जानवरों को पकड़कर नसबंदी कर दी जाती है। जिससे इनकी बढ़ती जनसंख्या रुक सके।

नगर निकायों में पंजीकरण की नहीं कोई व्यवस्था: जनपद के नगर निकायों को पालतू कुत्ता, बंदरों का पंजीकरण कराये जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। शासन से नगर निकायों को आदेशित किया जा चुका है कि वह पालतू जानवरों का अपने यहां पंजीकरण कराये। जिससे विवाद की स्थिति में पालतू जानवर के स्वामियों पर संबंधित कार्रवाई की जा सके। पीड़ित को न्याय दिलाने में उसकी मदद की जा सके।

ये दर्द गहरा है

गांव-देहात में कुत्ते, बंदर आदमियों पर अचानक हमला कर काट लेते हैं। जिससे खाने-पीने का सामान लेकर आने-जाने में काफी डर लगता है। उनको भी कुत्ते ने काट लिया। काटने के बाद होने वाली परेशानी से बचने के लिए मेडिकल कालेज में वेक्सीन लगवाने आये है। यहां बताया गया है कि तीन बार वेक्सीन लगवानी होगी।

-सहदेव,सैंथरी (एटा)

गांव में गली से घूमने वाले कुत्ते ने उनके बच्चे को काट लिया। उससे बच्चे के पैर में जख्म हो गया। उनको डर है कि बच्चे को कुत्ता काटे का असर न हो जाये। जिससे बच्चे की जान पर बन सकती है। इसी डर की वजह से बच्चे को डाक्टर को दिखाया। डाक्टर ने एंटी रैवीज वेक्सीन लगवाने के लिए कहा। वेक्सीन लगवाने आए है।

-राजू, नगला फरीद, (एटा)

गांव में आवारा कुत्तों के झुंड के झुंड रहते हैं। लोग इनको खाने-पीने के लिए भी देते है। उसके बाद भी यह आये दिन लोगों को काट रहे है। इनको मारपीट कर भगा दो। एक-दो दिन के बाद यह वापस आ जाते हैं। सरकार को आवारा जानवरों को पकड़वाने की व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे लोग इनके हमले से सुरक्षित रहे।

-संतोष,नगला फरीद, (एटा)

कुत्ते हमेशा से ही घर-परिवार, गली-मोहल्ले में रहते आ रहे हैं। यह काटते भी है। उसके बाद भी लोग इनको सबसे अधिक वफादार मानकर पालते हैं। खाना-पानी देते हैं।अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने आये है। हमको भी कुत्ता पालने का शौक है। रात में यह घर के बाहर रहकर देखभाल करते हैं।

-रामवती, असरौली (एटा)

गर्मी के मौसम में ही कुत्ता काटने की घटना बढ़ती है। भूखे-प्यासे और गर्मी से परेशान होने पर कुत्ते काट लेते हैं। गांव में कुत्ते मार पीटने पर ही लोगों को काटते हैं। वैसे गली-मोहल्ले में शांति से रहते हैं। गांव में लोग इनको सुबह-शाम खाना देते हैं। ताकि यह रात में अंजाने खतरे से भौंक कर आगाह करने का काम करते हैं।

-लक्ष्मण, मानिकपुर (एटा)

गर्मी बढ़ने से गांव में कुत्ता काटने की घटना बढ़ गई है। परेशान आवारा कुत्ते अचानक हमला कर देते है। हमले में दांत लगने से जख्म हो जाता है। काटने के बाद कुत्ते को मारपीट कर भगा दिया। उसके बाद पहले गांव में ही जख्म की दवा ली। मेडिकल कालेज में वेक्सीन लगवायी है। गांव के लोगों ने काटने वाले कुत्तों को गांव से भगाया है।

-मोहर देवी, बनवारी नगला (एटा)

सरकार को बंदर, कुत्तों को पकड़वाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इनकी तादात बढ़ने से लोगों को परेशानी होना स्वाभाविक है। घर, गली-मोहल्ले में रहने के बाद भी यह बच्चों के हाथ में खाने-पीने की चीज देखकर हमला कर देते हैं। वजह से बंदर, कुत्तों से हमेशा डर बना रहता है। इनको पकड़ने की व्यवस्था होनी चाहिए।

-मिथलेश कुमारी, उज्जैपुर

गांव में हमेशा से कुत्ते रहते आ रहे हैं। जिनको रोटी खाने को दे दी जाती है। कभी यह काटते और हमला नहीं करते है। गर्मी बढ़ने के साथ ही अचानक कुत्तों के रहन-सहन में परिवर्तन आ गया है। गर्मी से परेशान होने के कारण यह बार-बार भगाने, डांटने पर हमला कर देते हैं। हमला करने पर लोग इनको मारपीट कर भगा देते हैं।

-सुमन, हरचंदपुर कलां (एटा)

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