लोकदृष्टि एक चेतना है जो हिंदी संबंधों कों साधती
Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद, संवाददाता। हिंदी साहित्य भारती की ओर से डॉ.प्रभात अवस्थी की पुस्तक लोक दृष्टि

फर्रुखाबाद, संवाददाता। हिंदी साहित्य भारती की ओर से डॉ.प्रभात अवस्थी की पुस्तक लोक दृष्टि की समीक्षा करते हुए डॉ.मधुबाला अवस्थी ने कहा कि लोकदृष्टि एक चेतना है। जो हिंदी संबंधों को साधती है। रस्तोगी इंटर कालेज में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री रविंद्र शुक्ला मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। समीक्षक डॉ.कृष्णकांत अक्षर ने लोकदृष्टि की समीक्षा करते हुये उसके महत्व पर चर्चा की। डॉ.राजकुमार सिंह ने भाषायी स्वतंत्रता की ओर ध्यान आकर्षित किया। प्रोफेसर रामबाबू मिश्रा रत्नेश ने कहा कि विचार गहन मंथन के बाद ही शब्द के रूप में प्रकट होता है। डॉ.शशिकिरण सिंह ने कहा कि लोक चिंतन के बिना लोक साधना संभव नही है। पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब तक दृष्टि सुधारण नही होगा तब तक लोक की शुद्धता सुधार पर विचार करना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि एकात्मकता के सूत्र से भारत की संस्कृति को बचाना है। इससे पहले प्रीति तिवारी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। स्मृति अग्निहोत्री ने भगवान राम का स्तुति गान किया। इस दौरान डॉ.श्रीनिवास शुक्ल, अपर आयुक्त जीएसटी डॉ.पंकज सिंह, अमरनाथ दुबे, संतोष कुमार पांडेय, पीयूष त्रिपाठी, राजेंद्र कुमार त्रिपाठी, आलोक शुक्ला, अर्चना अवस्थी, प्रवीन कटियार, अनुराग अग्रवाल, प्रज्ञा दीक्षित, देवेश नरायन अवस्थी, संजय गर्ग, प्रवीन पाल आदि मौजूद रहे।
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