Women Lawyers Fight for Basic Facilities in Ghazipur Court बोले गाजीपुर-वकीलों की ‘लड़ाई वॉशरूम और कॉमन रूम पर आई, Ghazipur Hindi News - Hindustan
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बोले गाजीपुर-वकीलों की ‘लड़ाई वॉशरूम और कॉमन रूम पर आई

Ghazipur News - गाज़ीपुर में महिला अधिवक्ता विभिन्न समस्याओं का सामना कर रही हैं। केवल एक वॉशरूम, पार्किंग की कमी और लचर सुरक्षा व्यवस्था से वे परेशान हैं। महिला अधिवक्ताओं ने कॉमन रूम और बेहतर सुविधाओं की मांग की...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाजीपुरFri, 14 Feb 2025 04:52 PM
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बोले गाजीपुर-वकीलों की ‘लड़ाई वॉशरूम और कॉमन रूम पर आई

गाजीपुर। दूसरों के अधिकारों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली महिला अधिवक्ताओं को मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कर्मचारियों के व्यवहार से वे नाराज दिखीं। वॉशरूम और कॉमन रूम न होने से उन्हें दिक्कत होती है। कचहरी परिसर में लचर सुरक्षा व्यवस्था से वे चिंतित दिखीं। उनका कहना है कि वे पूरी ईमानदारी से काम करती हैं। इसके बाद भी उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों होता है? जिला न्यायालय परिसर में ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान महिला अधिवक्ताओं ने कई समस्याएं साझा कीं। साक्षी सिंह ने बताया कि उन्होंने बड़े मन से कानून की पढ़ाई की। फिल्मों में वकीलों की बहस देख उनके मन में ‘कुछ करने की भावना हिलोरे मारने लगी। एलएलबी करने के बाद कोर्ट पहुंचने पर उन्हें पता चला कि ‘रील और ‘रियल लाइफ में जमीन-आसमान का फर्क है। शुरू में सौ रुपये कमाना मुश्किल होता है। सीनियर वकीलों के साथ काम सीखना पड़ता है।

वॉशरूम और पेयजल न मिलने से दिक्कत : आरती वर्मा ने बताया कि कचहरी परिसर में महिला अधिवक्ताओं के लिए सिर्फ एक वॉशरूम है। कचहरी में करीब 40 महिला वकील प्रैक्टिस करती हैं। कई महिला वादकारी भी बड़ी संख्या में यहां आती हैं। शौचालय नहीं होने से उन्हें दिक्कत होती है। कॉमन शौचालय में जाना ठीक नहीं लगता है। किशोर न्यायालय में समस्या और अधिक है। मुकदमों के सिलसिले में वहां जाना पड़ता है। वॉशरूम नहीं होने से परेशान होती है। वह बताती हैं कि पेयजल के लिए भी महिला अधिवक्ताओं और वादकारियों को भटकना पड़ता है। चार मंजिली इमारत में ऊपरी तल पर पीने के पानी की व्यवस्था है। उससे महिला अधिवक्ताओं को बहुत फायदा नहीं है। प्रत्येक फ्लोर पर आरओ मशीन लगनी चाहिए। गर्मी में समस्या बढ़ेगी। सिविल बार भवन में सिर्फ एक आरओ मशीन है। यहां भी इनकी संख्या बढ़ायी जानी चाहिए।

पार्किंग नहीं होने से बेतरतीब खड़े रहते हैं वाहन: क्षमा त्रिपाठी बताती हैं कि सिविल बार में 13 हजार वकील पंजीकृत हैं। ताज्जुब है कि इतने वकीलों के वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। कचहरी की ओर आने वाले मार्ग पर बेतरतीब तरीके से वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। सड़क पर ही स्कूटी को भी खड़ा करना पड़ता है। कचहरी परिसर में पार्किंग का इंतजाम होना चाहिए।

साफ-सफाई का हो इंतजाम: चंद्रप्रभा ने बताया कि कचहरी परिसर में गंदगी रहती है। पुरुष अधिवक्ता और वादकारी पान-गुटखा खाकर दीवारों पर थूक देते हैं। कहा कि इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। शौचालय में गंदगी की वजह से जाना मुश्किल होता है। कचहरी मार्ग पर अस्थायी शौचालय बनाए गए हैं। इसकी वजह से दिक्कत होती है।

मोबाइल पर गेम खेलने वाले सुरक्षाकर्मियों पर कार्रवाई हो: विद्युत प्रभा ने बताया कि कचहरी परिसर में महिला पुलिसकर्मी मोबाइल गेम या मैसेज में व्यस्त रहती हैं। उनकी लापरवाही से परिसर में आए दिन अराजक तत्व गड़बड़ी करते रहते हैं। कई बार वकीलों के साथ अभद्रता की घटनाएं भी हो चुकी हैं। सिविल बार आला अफसरों से कार्रवाई की मांग भी कर चुका है लेकिन ठोस पहल नहीं की गई। सिविल बार की महासचिव ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया कि कचहरी परिसर की सुरक्षा-व्यवस्था ठीक नहीं है। इसमें कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। मोबाइल गेम और मैसेज में व्यस्त रहने वाली महिला सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

कॉमन रूम बने, जहां कर सकें लंच: रीना चौधरी कहती हैं कि यहां करीब 40 महिला अधिवक्ता हैं। उनके बैठने के लिए कॉमन रूम की व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि लंच करने के लिए भी उन्हें जगह खोजनी पड़ती है। महिला वादकारियों से केस के सिलसिले में निजी बात करने का भी स्थान नहीं है। कचहरी में महिला अधिवक्ताओं के लिए कॉमन रूम बनना चाहिए।

कचहरी परिसर में बैठने की जगह मिले

रीना त्रिपाठी ने बताया कि वह वर्ष 2017 से नोटरी का काम कर रही हैं। कचहरी परिसर में नोटरी अधिवक्ताओं के बैठने की जगह निर्धारित नहीं है। अलग से चैंबर भी नहीं बनाए गए हैं। इससे काम करने में दिक्कत होती है। वकीलों की संख्या अधिक होने से दिक्कत होती है।

चैंबर तो सपने जैसा है। नए भवन नहीं बनाए जा रहे हैं। पुराने चैंबर और स्थान पहले से ही अन्य लोगों को एलॉट हैं। ऐसे में किसी सीनियर की मदद लेनी पड़ती है। महिला वकीलों के लिए नए चैंबर बनाए जाने चाहिए। चंद्रप्रभा ने बताया कि जूनियर वकीलों को कुर्सी रखने की जगह भी नहीं दी जाती है। इसके लिए भी उन्हें मशक्कत करनी पड़ती है।

किशोर न्यायालय दूर होने से दिक्कत : सुधा कश्यप ने बताया कि किशोर न्यायालय कचहरी से करीब दो किलोमीटर दूर है। केस के सिलसिले में वहां जाना पड़ता है। दूरी होने से महिला अधिवक्ताओं और वादकारियों को दिक्कत होती है। एक ही दिन जिला और किशोर न्यायालय में मुकदमे होने से हमलोगों की दुर्दशा हो जाती है। किशोर न्यायालय भी कचहरी परिसर में ही होना चाहिए। मोटर क्लेम न्यायालय भी मुख्य परिसर से बाहर है। अलग-अलग जगह कोर्ट होने से भागदौड़ करनी पड़ती है।

ई-लाइब्रेरी का पता नहीं

सीमा शौकत ने बताया कि वह घरेलू हिंसा के मुकदमे देखती हैं। बताया कि कुछ महीने पहले कचहरी परिसर में ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन जोर-शोर से किया गया। उम्मीद जगी कि ऑनलाइन पुस्तकालय का लाभ सिविल बार को मिलेगा। बाद में सबकुछ हवा-हवाई साबित हुआ। न तो कोई ऐप जारी नहीं किया गया न ही वेबसाइट बनाई गई। अधिवक्ता समझ नहीं पा रहे हैं कि लाभ कैसे लिया जाए।

सुझाव और शिकायतें

1. महिला अधिवक्ताओं के लिए कचहरी परिसर में चार वॉशरूम बनाए जाने चाहिए। इससे वादकारियों को भी सहूलियत होगी।

2. कचहरी परिसर में महिला वकीलों के लिए कॉमन रूम बनाया जाना चाहिए। वे अपने वादकारियों से मुकदमों के सिलसिले में वार्ता कर सकेंगी।

3. सिविल बार परिसर में बैठने की व्यवस्था की जानी चाहिए। महिला वकीलों के लिए अभी अलग से चैंबर की व्यवस्था होनी चाहिए।

4. परिसर के नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए। पान-गुटखा खाकर थूकने वालों जुर्माना लगना चाहिए। शौचालय की सफाई हो।

5. कचहरी परिसर में पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे मुख्य मार्ग पर जाम नहीं लगेगा।

1. 1. महिला अधिवक्ताओं के लिए कचहरी परिसर में सिर्फ एक वॉशरूम बनाया गया है। उनकी संख्या करीब 40 है। महिला वादकारी भी रोजाना आती हैं।

2. पूरे कचहरी परिसर में महिला वकीलों के लिए कॉमन रूम नहीं है। इससे लंच करने के लिए भी जगह तलाशनी पड़ती है।

3. महिला अधिवक्ताओं के लिए अलग से चैंबर और बैठने की अलग से व्यवस्था नहीं है। सीनियर वकीलों के चैंबर में बैठकर काम करना पड़ता है।

4. कचहरी परिसर में गंदगी बहुत अधिक है। कोर्ट की दीवारों पर लोग पान-गुटखा खाकर थूक देते हैं। शौचालय साफ नहीं होते हैं।

5. कचहरी में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से वाहन बेतरतीब खड़े रहते हैं जिससे जाम लगा रहता है।

कचहरी परिसर में पार्किंग की समस्या है। स्कूटी खड़ी करने में दिक्कत होती है। जाम लग जाता है।

क्षमा त्रिपाठी

नोटरी अधिवक्ताओं को बैठने के लिए अलग से जगह नहीं है। उनके लिए अलग चैंबर बनाया जाए।

रीना त्रिपाठी

जूनियर महिला वकीलों को बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। मजबूरी में सीनियर के चैंबर में काम करते हैं।

रीना

महिला अधिवक्ताओं और वादकारियों के लिए कचहरी परिसर में केवल एक वॉशरूम है। दिक्कत है।

सुधा कश्यप

महिला वकीलों के लिए कॉमन रूम नहीं बनाया गया है। लंच करने की भी जगह खोजनी पड़ती है।

आरती वर्मा

कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं है। सिपाही मोबाइल गेम खेलने के सिवाय कुछ नहीं करती हैं।

रीना चौधरी

मोटर क्लेम न्यायालय कचहरी परिसर से दूर बनाया गया है। वहां जाने में दिक्कत होती है।

ज्योत्सना श्रीवास्तव

शुरुआत में सीनयर के साथ काम सीखना और करना पड़ता है लेकिन पैसा नहीं मिलता है।

साक्षी सिंह

कचहरी परिसर में गंदगी रहती है। पुरुष अधिवक्ता पान-गुटखा खाकर थूक देते हैं। दिक्कत होती है।

चंद्रप्रभा

घरेलू हिंसा के केसों की सुनवाई करने वाली कोर्ट बहुत छोटी है। खड़े होने की जगह नहीं मिलती है।

सीमा शौकत

बोले जिम्मेदार

महिला अधिवक्ताओं की समस्याओं की जानकारी है। वॉशरूम और कॉमन रूम के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ वार्ता की गई। उनकी अन्य समस्याओं के समाधान के लिए भी बार एसोसिएशन हमेशा प्रयासरत है।

रामयश यादव, अध्यक्ष, सिविल बार

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