Gorakhpur s Textile Industry Faces Crisis Amidst School Dress Policy Changes बोले गोरखपुर: रिवर्स गियर में कपड़ा कारोबार विकसित हो टेक्सटाइल मार्केट, Gorakhpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsGorakhpur NewsGorakhpur s Textile Industry Faces Crisis Amidst School Dress Policy Changes

बोले गोरखपुर: रिवर्स गियर में कपड़ा कारोबार विकसित हो टेक्सटाइल मार्केट

Gorakhpur News - गोरखपुर का टेक्सटाइल उद्योग, जो कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देता है, संकट में है। स्कूल ड्रेस के लिए पुरानी व्यवस्था खत्म होने से रेडीमेड गारमेंट और पावरलूम प्रभावित हुए हैं। बिजली की बढ़ती कीमतें और...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरFri, 2 May 2025 08:42 PM
share Share
Follow Us on
बोले गोरखपुर: रिवर्स गियर में कपड़ा कारोबार विकसित हो टेक्सटाइल मार्केट

गोरखपुर। बुनकरों के चलते गोरखपुर से लेकर संतकबीर नगर तक टेक्सटाइल उद्योग कभी देश में पहचान रखता था, लेकिन मगहर के कताई मिल से लेकर सहजनवा का जूट मिल तक एक-एक कर सब बंद हो गए। वक्त की मार के चलते सैकड़ों पावरलूम तो बंद हुए ही, डाइंग फैक्ट्रियों में भी ताला लग गया। रेडीमेड गारमेंट को एक जिला, एक उत्पाद में स्थान मिला लेकिन बाजार नहीं मिलने से छोटी-छोटी यूनिटें दम तोड़ चुकी हैं। बांग्लादेश में भी रेडीमेड गारमेंट की तबाही का लाभ स्थानीय कारोबारी नहीं उठा सके। एक जिला एक उत्पाद में सरकार की योजनाओं का लाभ ऐसे लोगों को मिल गया, जिनके लिए ऋण कारोबार बढ़ाने के बजाए अन्य काम के लिए जरूरी था।

कुल मिलाकर भीलवाड़ा की टक्कर लेने की क्षमता वाले गोरखपुर में टेक्सटाइल इंडस्ट्री बर्बादी के मुहाने पर खड़ी है। टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार स्कूल ड्रेस में पुरानी व्यवस्था बहाल कर दे तो स्थितियां काफी हद तक सुधर जाएंगी। भीलवाड़ा और सूरत की तर्ज पर टेक्सटाइल मार्केट विकसित हो तो गोरखपुर का कपड़ा उद्योग पूर्वांचल की बेरोजगारी दूर करने की क्षमता रखता है। कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार पैदा करने वाला सेक्टर टेक्सटाइल इंडस्ट्री है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री में एक करोड़ के निवेश पर 30 लोगों को रोजगार मिलता है। लेकिन आंकड़े तस्दीक कर रहे हैं कि गोरखपुर के पिछले दिनों हुए करोड़ों के निवेश के बाद भी बेरोजगारी के मामले में स्थितियां नहीं सुधरी हैं। प्रति एक करोड़ के निवेश पर बमुश्किल 5 से 6 को ही रोजगार मिलता दिख रहा है। कोरोना की दुश्वारियों के बीच गोरखनाथ, रसूलपुर, जाहिदाबाद से लेकर गीडा तक 1000 से अधिक पावरलूम बंद हुए। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा रेडीमेड गारमेंट को ओडीओपी उत्पाद के रूप में चयनित करने के बाद बेहतरी को लेकर उम्मीदें जगीं। सरकार की तरफ से भी सस्ते ऋण के साथ प्रशिक्षण के कार्यक्रम सुनिश्चित किये गए। टेक्सटाइल कारोबारी रसूल कहते हैं कि सरकार के प्रयास को झटका प्राथमिक स्कूलों में ड्रेस को लेकर बदली नीति से सर्वाधिक पड़ा है। पूरे प्रदेश में स्कूल ड्रेस के कपड़ों की डिमांड गोरखपुर और अंबेडकरनगर से पूरी होती है। सरकार बच्चों के स्कूल ड्रेस के लिए 1200 रुपये अभिभावकों के खाते में भेज रही है। लेकिन स्कूल ड्रेस की हकीकत किसी भी स्कूल में बच्चों के ड्रेस को देखने से हो जाती है। पिपरौली में स्कूल ड्रेस को लेकर यूनिट स्थापित करने वाले तौफीक अहमद कहते हैं कि स्कूल ड्रेस के चलते पिपरौली से लेकर मगहर तक रेडीमेड गारमेंट की दर्जनों यूनिटें वजूद में आ गई थीं। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। पिपरौली में रेडीमेड गारमेंट की फैक्ट्री लगाने वाले अफरोज का कहना है कि 50 से अधिक रेडीमेड गारमेंट की यूनिटों में 500 से अधिक कारीगर काम करते थे। बमुश्किल 20 फीसदी यूनिट जैसे तैसे संचालित हो रही है। तमाम कारीगर या तो महानगरों को पलायन कर चुके हैं या फिर ई-रिक्शा या मजदूरी कर परिवार का पालन कर रहे हैं। लघु उद्योग भारती के मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के स्कूल ड्रेस की रकम सीधे अभिभावकों के खाते में भेजे जाने का असर टेक्सटाइल से जुड़ी यूनिटों पर साफ दिख रही है। धागा, पावरलूम से लेकर प्रोसेसिंग हाउस में मशीनें आधी क्षमता से भी नहीं चल रही हैं। इसे लेकर जनप्रतिनिधियों के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों को कई ज्ञापन दिया जा चुका है। पावरलूम चलाने पर 36 लाख का बिजली बिल बकाया: गोरखनाथ क्षेत्र में पावरलूम संचालित करने वाले मसीहुद्दीन पर बिजली विभाग का 36 लाख रुपये बकाया है। वह कहते हैं कि फिक्स चार्ज को लेकर नीति अप्रैल, 2023 में लागू हुई। तभी से विभाग एकतरफा कार्रवाई करते हुए बिजली बिल में बढ़ोतरी करता रहा। वर्तमान में बिजली बकाया 36 लाख रुपये हैं। रात के 12 बजे मोबाइल पर बकाया को लेकर मैसेज आता है तो पूरी रात करवटों में गुजारनी पड़ती है। विभाग के अधिकारियों से कई बार जांच को कहा। हकीकत यह है कि जो सब्सिडी हथकरधा विभाग को देनी है, वह रकम जोड़कर बकाया बिल भेजा जा रहा है। नसीम अख्तर का कहना है कि बिजली बिल को लेकर प्रदेश में गजब फरमान है। लूम हार्सपावर के हिसाब से बिजली की खपत करता है। मऊ में फिक्स चार्ज 400 रुपये है तो वहीं गोरखपुर में 850 रुपये। इसे लेकर मुख्यमंत्री से लेकर ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखा। विभाग संज्ञान नहीं ले रहा है। आधी क्षमता से चल रहीं टेक्सटाइल से जुड़ी यूनिटें स्कूलों के ड्रेस की सप्लाई नहीं होने से रेडीमेड गारमेंट की यूनिटें प्रभावित हैं। गीडा की एक बड़ी फैक्ट्री में पिछले तीन महीने से एक मीटर कपड़ा भी नहीं बना है। लाखों रुपये के स्टाक को किसी तरह खपाने में उद्यमी दूसरे शहरों की भाग दौड़ कर रहे हैं। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में टेक्सटाइल की पांच बड़ी यूनिटें हैं। कमोबेश सभी में 30 से 40 फीसदी क्षमता से उत्पादन हो रहा है। कारोबारी लालजी सिंह का कहना है कि स्कूल ड्रेस की रकम अभिभावकों के खाते में जाने से कपड़े की डिमांड खत्म हो गई है। पहले तीन महीने में ही पूरे साल का कारोबार हो जाता था। इससे धागा बनाने वाली यूनिट, पावर लूम, प्रोसेसिंग हाउस से लेकर टेलरिंग का काम करने वालों पर बड़ा असर पड़ा है। गीडा में किसी के पास ऑर्डर नहीं है। पहले बने कपड़े की बिक्री भी मुश्किल से हो रही है। बरगदवा क्षेत्र में बीएन डायर्स में बने कपड़ों का निर्यात दक्षिण अफ्रीका से लेकर अन्य देशों को होता है। विदेशों का ऑर्डर तो मिल रहा है, लेकिन स्थानीय स्तर में डिमांड नहीं होने से यूनिट में उत्पादन को ठप करने की स्थिति बन रही है। नोएडा की तर्ज पर गीडा सेक्टर 13 में फ्लैटेड फैक्टरी नोएडा की तर्ज पर गीडा में भी फ्लैटेड फैक्ट्री बनाई जा रही है। सेक्टर 13 में स्थापित यह फैक्टरी 10,800 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में है। इसकी कुल लागत करीब 34 करोड़ रुपये है। भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय और प्रदेश सरकार के सहयोग से इसका निर्माण कार्य चल रहा है।इसमें 80 फीसदी फ्लैट रेडिमेड गारमेंट्स और शेष 20 फीसदी अन्य उद्योगों को दिया जाना प्रस्तावित है। यहां अभी उत्पादन नहीं शुरू हो सका है। अधिकारियों का दावा है कि यह एक ऐसी बिल्डिंग है, जिसमें 80 फ्लैट बनाए जा रहे है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि टेक्सटाइल पार्क से लेकर फ्लैटेड फैक्ट्री बेहतर सोच हो सकती है। लेकिन पहले के कारोबार को नया जीवन दिये बिना टेक्सटाइल हब बनाने का दावा मूर्त रूप नहीं लेगा। लघु उद्योग भारती के दीपक कारीवाल कहते हैं कि गोरखपुर में निट्रा से लेकर हैंडलूम विभाग का कार्यालय है। यहां के अधिकारियों को लूम में बनने वाले कपड़ों की बिक्री सुनिश्चित करने के साथ ही नई यूनिटों की स्थापना को लेकर संजीदा होना चाहिए। शिकायतें गोरखपुर टेक्सटाइल इंडस्ट्री का बड़ा हब है। लेकिन सुविधाएं और बाजार के अभाव में कारोबार प्रभावित है। स्कूल ड्रेस की पुरानी व्यवस्था खत्म होने से रेडीमेड गारमेंट सेक्टर के साथ ही पावरलूम प्रभावित हो रहे हैं। प्रति पावरलूम बिजली का फिक्स चार्ज पूरे प्रदेश में 400 रुपये है। सिर्फ गोरखपुर में 850 रुपये वसूला जा रहा है। 100 से अधिक बुनकर और पावरलूम संचालक बिजली विभाग की मनमानी से लाखों के बकाएदार हैं। सरकारी विभागों में हैंडलूम उत्पादों की आपूर्ति नहीं हो रही है। जिससे बुनकरों की आय प्रभावित हो रही है। सुझाव गोरखपुर की पहचान पावरलूम को दोबारा स्थापित करने के प्रयास होने चाहिए। भीलवाड़ा की तर्ज पर टेक्सटाइल मार्केट विकसित हो। प्राथमिक स्कूलों में स्कूल ड्रेस को लेकर पुरानी व्यवस्था बहाल हो। स्कूल या बेसिक शिक्षा विभाग से ड्रेस खरीद सुनिश्चित होनी चाहिए। हार्सपावर के हिसाब से बिजली दरें निर्धारित होनी चाहिए। प्रति पावरलूम 400 रुपये बुनकरों से लिया जाना चाहिए। बुनकरों और पावरलूम के बकायेदारों में जिनका बिजली बिल गलत है, उसे सुधार कर लूम मालिकों को राहत दी जाए। सरकारी विभागों में खरीद सुनिश्चित होनी चाहिए। बुनकर और लूम मालिकों से सीधे खरीद होगी तो बिचौलिये प्रभावित होंगे। बोले जिम्मेदार स्कूलों के साथ ही ड्रेस रोडवेज, मेडिकल कॉलेज में भी होती है। पुलिस की वर्दी के लिए ऑर्डर मिल सकता है। टेक्सटाइल कारोबारी प्रस्ताव बनाकर देते हैं तो इसे लेकर पत्राचार किया जाएगा। पूर्व में स्कूल ड्रेस में कारोबारियों को लाभ हुआ है। क्वालिटी मानक पर होगी तो ऑर्डर मिल सकता है। -एस.अंसारी, रेजिडेंट मैनेजर, निट्रा पावरलूम से जुड़े लोगों की दिक्कतों को विभाग को संज्ञान है। स्कूल ड्रेस की नीति को लेकर शासन स्तर से निर्णय होना है। स्थानीय यूनिटों को टेक्सटाइल नीति 2022 के मुताबिक लाभ दिलाने का प्रयास है। बिजली बिल को लेकर शासन स्तर पर चर्चा हो रही है। -राजकुमार, एडीआई, हैंडलूम बोले टेक्सटाइल कारोबारी टेक्सटाइल सेक्टर में एक करोड़ के निवेश पर 30 लोगों को रोजगार मिलता है। बाजार, कारीगर, निवेशक सब यहां है। इसके बाद भी टेक्सटाइल सेक्टर रिवर्स गियर में है। -एसके अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष,चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज गोरखपुर में भीलवाड़ा बनने की पूरी क्षमता है। लेकिन सरकारी नीतियों के चलते पॉवरलूम, रेडीमेड गारमेंट, डाइंग से लेकर दुकानदार के पास ऑर्डर नहीं है। -विष्णु अजीतसरिया, पूर्व अध्यक्ष,चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज स्कूल ड्रेस की जब पुरानी व्यवस्था थी तो तीन महीने की बिक्री से पूरे साल का खर्च निकल जाता था। ओडीओपी के बाद भी बेरोजगारी बढ़ी है। -लालजी सिंह कपड़े की क्वालिटी निट्रा के अधिकारी चेक करें। अधिकारी पावरलूम वालों के पास जाएं। सिर्फ बिजली बिल बढ़ाने और चीन से आयात से स्थितियां नहीं सुधरेंगी। -रसूल पहले प्रति पॉवरलूम 143 रुपये बिजली खर्च दे रहे थे। इसे बढ़ाकर 850 रुपये कर दिया गया। दिलचस्प यह है कि प्रदेश के अन्य जिलों में 400 रुपये लिये जा रहे हैं। -नसीम अख्तर स्कूल ड्रेस को लेकर पुरानी व्यवस्था थी तो 15 कारीगर फैक्ट्री में काम कर रहे थे। ये कारीगर या तो दूसरे शहर चले गए या फिर रिक्शा आदि चला रहे हैं। -मसीहुद्दीन बिजली महंगी हुई, इसके साथ ही यूपिका और निट्रा जैसी संस्थाएं सिर्फ कागजों में संचालित होने से कारोबार तबाह हो गया। नये सिरे से प्लानिंग बनानी होगी। -इम्तियाज हैंडलूम की सप्लाई सरकारी विभागों में सुनिश्चित होनी चाहिए। बिचौलियों के बजाए पॉवरलूम वालों से सीधे खरीद सुनिश्चित होनी चाहिए। -अब्दुल वला पिपरौली में रेडीमेड गारमेंट की 100 से अधिक छोटी यूनिटें पिछले दो साल में बंद हुई हैं। तमाम लोग मुंबई या सऊदी चले गए हैं। इस पर ध्यान देने के जरूरत है। -तौफीक अहमद बिक्री सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता से समझौता के चलते गोरखपुर का टेक्सटाइल सेक्टर बर्बाद हुआ। हमें क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहिए। -अखिलेश दुबे सर्वाधिक रोजगार देने वाले सेक्टर की अनदेखी से हजारों लूम बंद हुए। फ्लैटेड फैक्ट्री, टेक्सटाइल पार्क से पहले पुराने लोगों को बचाने की जरूरत है। -आरिफ स्कूल ड्रेस के लिए पुरानी व्यवस्था में अब गोलमाल की संभावना बायोमेट्रिक के चलते काफी कम है। ऐसे में अभिभावकों के खाते के बजाए पुरानी व्यवस्था लागू होनी चाहिए। -आमिर हसन

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।