सामान्य प्रसव के दौरान क्षतिग्रस्त हो जा रहा गुदाद्वार
Gorakhpur News - चिंताजनक सामान्य प्रसव में भी झोलाछाप लगा दे रहे लंबा चीरा बीआरडी मेडिकल कॉलेज में

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। सामान्य प्रसव के दौरान कई बार गर्भस्थ शिशु फंस जाता है। उसका पोश्चर सही नहीं होता। ऐसे में प्रसव को पूरा करने के लिए छोटा चीरा लगाकर योनी के आकार को बढ़ाया जाता है। इसे एपिसियोटोमी कट कहते हैं। गांव में प्रसव कराने वाली दाई, नर्स या झोलाछाप इस कट को सही से नहीं लगा रहे हैं। इसके कारण महिलाओं का गुदाद्वार क्षतिग्रस्त हो जा रहा है। इसकी मरम्मत नहीं हो पा रही। महिलाओं को एनल इनकांटिनेंस हो जा रहा है। बिहार के सिवान की रहने वाली सविता और कुशीनगर निवासी विराजिता का इलाज जनरल सर्जरी विभाग में चल रहा है।
दोनों का सामान्य प्रसव हुआ। इस दौरान नवजात का सिर नहीं निकल पा रहा था। ऐसे में गांव के झोलाछाप ने योनी से लेकर गुदाद्वार तक लंबा चीरा लगा दिया। इससे प्रसव की प्रक्रिया तो हो गई मगर महिला का गुदाद्वार क्षतिग्रस्त हो गया। इसे पेरिनियम टीयर कहते हैं। जनरल सर्जरी व गायनी में पहुंच रहे मरीज एपिसियोटोमी कट के कारण गुदाद्वार क्षतिग्रस्त होने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह ग्रेड थ्री या फोर का कट होता है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर महीने पांच से छह मरीज सिर्फ गायनी विभाग में भर्ती होते हैं। जबकि इतनी ही संख्या में मरीज जनरल सर्जरी में भी भर्ती हो रहे हैं। इनमें बिहार, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज के मरीजों की संख्या सर्वाधिक हैं। इन मरीजों के गुदाद्वार के मांसपेशियों को बचाने के लिए सर्जरी करनी पड़ती हैं। हालांकि इसमें सफलता दर सिर्फ 70 फीसदी है। यह होता है पेरिनियम टीयर वैजाइनल डिलीवरी के दौरान योनि और गुदा के बीच खिंचाव होता है। कई बार इसमें इतना खिंचाव बढ़ जाता है। इसे पेरिनियम स्ट्रेच कहते हैं। योनि और गुदाद्वार के बीच की त्वचा खिंचाव बढ़ने से फटने लगती है। कभी-कभी त्वचा की पहली परत ही फटती है। इसमें टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे फर्स्ट डिग्री टीयर कहा जाता है। जैसे-जैसे इसमें त्वचा की दूसरी परत, मांसपेशियां शामिल होती हैं। इसका ग्रेड बढ़ जाता है। तीसरे और चौथे ग्रेड में सर्जरी कर टांके लगाए जाते हैं। महिलाओं की वैजाइनल डिलीवरी के दौरान एपिसियोटोमी कट होता है। अगर इसे झोलाछाप ने किया है तो वह गुदाद्वार को क्षतिग्रस्त कर देता है। इस दौरान गुदाद्वार की मांसपेशियों का स्वत: प्रतिक्रिया करने वाला तंत्रिका तंत्र टूट जाता है। जिसकी मरम्मत कठिन है। -डॉ. अभिषेक जीना, प्रोफेसर, जनरल सर्जरी ------------ एपिसियोटोमी कट के कारण एनल रैप्चर के केस अक्सर सामने आते हैं। यह शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से आते हैं। ज्यादातर यह अप्रशिक्षित लोगों के द्वारा कट लगाने से होता है। एनल इनकांटिनेंस का लंबा इलाज चलता है। -डॉ. रूमा सरकार, विभागाध्यक्ष, गायनी
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