गंगा मैया के अवतरण की कथा सुन भक्त भाव विहोर हुए
Hapur News - राजा भगीरथ की तपस्या से भगवान ब्रह्मा ने गंगा को धरती पर लाने की प्रार्थना स्वीकार की। गंगा की जलधारा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में समाहित किया। गंगा का अवतरण ज्येष्ठ दशहरा के दिन हुआ, जिससे राजा...

राजा भगीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने मोक्ष दायिनी गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर अवतरित करने की प्रार्थना स्वीकार की थी, परंतु धरती पर अवतरित होने से पहले मां गंगा की जलधारा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में समा लिया था। मुक्ति धाम ब्रजघाट की अमृत परिसर धर्मशाला में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन मोक्ष दायिनी गंगा मैया के अवतरण की कथा हुई। वृंदावन धाम से आए व्यास मोहन दास ने कहा कि कपिल ऋषि के श्रास से भस्म हुए अपने पूर्वजों की मुक्ति को राजा भगीरथ ने हजारों वर्ष तक घोर तपस्या की थी।
जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर भेजने की प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। परंतु गंगा मैया के आगमन से जलधारा के तेज वेग के कारण देवी देवताओं ने समूचे श्रृष्टि नष्ट होने की बात कही थी। जिसको लेकर विनती किए जाने पर भगवान शिव गंगा मैया की जलधारा को अपनी जटाओं में लेने पर सहमत हो गए थे। स्वर्ग से आई गंगा मैया सबसे पहले भगवान शिव की जटाओं में समाने के बाद ज्येष्ठ दशहरा के दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, जिसकी जलधारा के स्पर्श मात्र से ही राजा भगीरथ के पूर्वजों को ऋषि के श्राप से मुक्ति मिल गई थी। व्यास ने किसी भी स्तर पर गंगा मैया की जलधारा में प्रदूषण न करने का संकल्प भी दिलाया। मुख्य यजमान के रूप में कथा आयोजक दुर्विजय सिंह दिल्ली वाले, श्री गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष विनय कुमार मिश्रा, दीपक शर्मा, मोनू शर्मा, राहुल शर्मा, सोनू कश्यप, प्रवेश राणा, लोकेश शर्मा, वीरेंद्र अग्रवाल, राजीव चौहान समेत सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया।
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