रक्त है भरपूर फिर भी जरूरतमंदों से दूर
ब्रज की द्वारा देहरी कहे जाने वाले हाथरस नगर में लोग महादान की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। पूरे शहर में सालभर में शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल के अलावा बड़ी-छोटे ब्लड बैंक लगभग 3 हजार यूनिट ब्लड डोनेट कर रहे हैं।
ब्लड बैंक संचालकों का मानना है कि जागरूकता अभियान और सोशल मीडिया के दम पर 4 से 5 हजार यूनिट ब्लड डोनेट हो सकता है। रक्त की उपलब्धता शहर के मरीजों के लिए काफी है। इसके बाद भी मरीजों को समय पर खून नहीं मिल पाता। ब्लड बैंक का पता नहीं होने का अभाव, मोबाइल नंबर का नहीं होना, अस्पताल में खून का नहीं मिलना, ब्लड ग्रुप मैच के लिए इधर भटकना बड़ी समस्या है। ब्लड बैंकों में भरपूर रक्त होने के बाद भी तमाम जरूरतमंद रक्त से दूर रहते हैं। मंगलवार को हिन्दुस्तान के अभियान ‘बोले हाथरस’ के तहत टीम ने शहर के अलीगढ़ रोड मंडी समिति स्थित एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स के जिला कार्यालय पर रक्तदानियोंसे संवाद किया।
हाथरस में नियमित रक्तदान करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हजारों लोग इसे महादान मानकर इस नेक काम में जुटे हैं। सामाजिक संस्थाएं रक्त की हर बूंद को जरूरतमंदों तक सुरक्षित पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। शहर में जगह-जगह रक्तदान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। आपात स्थिति में रक्त की कमी न हो, इसके लिए जनमानस एकजुट होकर संकल्प निभा रहा है। ब्लड डोनेशन कैंपों में युवाओं की सक्रिय भागीदारी दिखाई दे रही है। खासकर युवाओं की टोलियां हर छह माह में सामूहिक रूप से रक्तदान करती हैं। इनका लक्ष्य सिर्फ एक है-इस सामाजिक मिशन को मजबूत करना। चिकित्सकों के मुताबिक 20 से 35 वर्ष की उम्र के युवाओं में रक्तदान के प्रति सबसे अधिक जागरूकता है। 18 से 60 वर्ष की आयु सीमा तक स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है, बशर्ते वह तय मानकों को पूरा करता हो। इन प्रयासों के बावजूद मरीजों के तीमारदारों को कई बार खून के लिए भटकना पड़ता है। सड़क दुर्घटनाओं, ऑपरेशन या थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए समय पर रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता। एक जैसी रक्त समूह की कमी और जानकारी के अभाव में मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल में आमतौर पर रक्त उपलब्ध रहता है, वहीं शहर में निजी ब्लड बैंक भी संचालित हैं। इसके बावजूद सही समय पर रक्त की उपलब्धता अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। रक्तदानियों का सुझाव है कि सभी अस्पतालों में शहर के ब्लड बैंकों के मोबाइल नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएं। स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। इससे समय की बचत होगी और जरूरतमंदों को त्वरित सहायता मिल सकेगी।
ब्लड डोनेशन कैंप की संख्या बढ़ाने पर जोर
शहर में वर्षभर रक्तदान शिविर आयोजित होते हैं, विशेषकर रक्तदान दिवस पर बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करते हैं। इसके बावजूद विशेषज्ञों की राय है कि शिविरों की संख्या और बढ़नी चाहिए। समाजसेवी शैलेंद्र सावलियां का कहना है कि नियमित रक्तदान के लिए सामाजिक संस्थाओं को आगे आना होगा। अगर दस संस्थाएं भी हर माह एक-एक कैंप लगाएं तो बड़ी मात्रा में रक्त एकत्र किया जा सकता है। जागरूकता अभियान चलाकर युवाओं को इस दिशा में प्रेरित किया जाना जरूरी है। नियमित रक्तदान से आपातकालीन स्थितियों में खून की कमी को रोका जा सकता है।
जागरूकता से कई लोग नियमित रक्तदाता बन रहे
रक्तदान को महादान माना जाता है। लोग समझने लगे हैं कि रक्त देकर किसी की जान बचाई जा सकती है। युवा वर्ग इसमें सबसे आगे है, लेकिन जागरूकता अब भी सीमित है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स के प्रवीन वाष्णे्रय ने बताया कि संस्थान द्वारा साल में छह बार रक्तदान शिविर लगाती है। वाष्र्णेय का कहना है कि हमारा उद्देश्य जरूरतमंदों तक समय पर रक्त पहुंचाना है। संस्था जिन लोगों को ब्लड देती है, उन्हें भविष्य में रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाता है। इस प्रयास से कई लोग नियमित रक्तदाता बन रहे हैं। हालांकि अब भी ब्लड डोनेशन की गति धीमी है। प्रवीन के अनुसार अस्पताल में मरीज को तुरंत जानकारी मिलनी चाहिए कि रक्त कहां से मिलेगा। सभी अस्पतालों में शहर के सभी ब्लड बैंकों के मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किए जाने चाहिए। इससे मरीजों को त्वरित सहायता मिल सकेगी।
अस्पतालों में ब्लड बैंकों के नंबर अनिवार्य किए जाएं
स्वेच्छा से रक्तदान करने का चलन लोगों में बढ़ रहा है। शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल में और दो निजी ब्लड बैंक हैं। रोजान यहां लोग अपनी मर्जी से रक्तदान करने पहुंचते हैं। यह दिक्कत बड़ी है कि लोगों को ब्लड बैंक की जानकारी काफी मुश्किल से मिल पाती है। इसका बड़ा कारण शहर के तमाम अस्पतालों मे ब्लड बैंकों के नंबर नहीं होना है। इस कारण मरीजों के तीमारदारों को जो स्थान बता दिया जाता है, वहां ब्लड लेने पहुंच जाते हैं। समाजसेवी सुनीत आर्य ने बताया कि कम से कम ब्लड कैंप के मोबाइल नंबर हर हॉस्पिटल के बोर्ड पर अलग से लिखे जाने चाहिए। इससे मरीजों के तीमारदारों की खून नहीं मिलने की समस्या का समाधान हो जाएगा। इन नंबरों पर मरीज के घर वाले बात करके सीधे पहुंचकर शर्तों के अनुसार खून प्राप्त कर लेंगे।
पुरुष हर 3 महीने में कर सकते हैं रक्तदान
बागला संयुक्त जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. सूर्य प्रकाश ने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु में रक्तदान कर सकता है। रक्तदाता का वजन कम से कम 50 किलो होना चाहिए और हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक होनी चाहिए। रक्तदान से पहले डोनर को पूरी नींद लेनी चाहिए और हल्का भोजन करना चाहिए। रक्तदान हर 3 महीने में पुरुष और 4 महीने में महिलाएं कर सकती हैं। बुखार, संक्रमण, हालिया सर्जरी, टीकाकरण या किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में रक्तदान नहीं करना चाहिए। यदि कोई एलर्जी या दवा चल रही हो तो पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ाता
रक्तदान न केवल जरूरतमंद की जान बचाता है, बल्कि दानकर्ता के लिए भी लाभदायक होता है। यह शरीर में नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ाता है जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। नियमित रक्तदान से हृदय रोग और आयरन की अधिकता से होने वाली समस्याएं कम होती हैं। रक्तदान से कैलोरी भी नियंत्रित रहती है। इससे मानसिक संतुष्टि मिलती है कि हमारे रक्त से किसी की जान बची है। हर स्वस्थ व्यक्ति को समय-समय पर रक्तदान करना चाहिए। यह एक पुण्य कार्य है जो इंसानियत और सामाजिक सेवा का प्रतीक भी है।
ब्लड कैंसर में भी नियमित रक्त की जरूरत
कुछ गंभीर बीमारियों में मरीजों को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। थैलेसीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमें रोगी को हर 15 से 20 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता है। ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर में भी नियमित रक्त की जरूरत होती है। हीमोफीलिया में खून जल्दी नहीं जमता, जिससे मरीज को रक्त चढ़ाना पड़ता है। डेंगू, एनीमिया, किडनी फेल्योर और बड़ी सर्जरी या दुर्घटना के मामलों में भी रक्त की जरूरत पड़ती है। प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर भी रक्त चढ़ाना जरूरी हो जाता है। इन रोगों में नियमित रक्तदान से अनेक जीवन बचाए जा सकते हैं।
शिकायत:
● जरूरतमंदों को ब्लड बैंक की जानकारी में दिक्कत आती है।
● शहर में तीन-चार ब्लड मोबाइल वैन चलनी चाहिए।
● रक्त के जरूरतमंदों को कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं मिल पाता।
● रक्तदान की जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार की कमी।
● हर सरकारी विभाग में रक्तदान दिवस पर कैंप जरूरी होना चाहिए।
सुझाव:
● हर अस्पताल में सभी ब्लड बैंक का नंबर लिखा होना चाहिए।
● मोबाइल वैन के लिए स्वास्थ्य विभाग पहल कर सकता है।
● स्वास्थ्य विभाग हेल्पलाइन नंबर के लिए ठोस योजना तैयार करे।
● प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया सशक्त माध्यम बन सकता है।
● सरकारी विभाग में कैंप से पूरे साल में एकत्रित होने वाली यूनिट में इजाफा होगा।
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