यूपी के इस चिड़ियाघर में कैसे फैला बर्ड फ्लू? वायरस का नया पैटर्न आया सामने; होगी जिनोम सीक्वेंसिंग
चिड़ियाघर प्रशासन अब बर्ड फ्लू वायरस की जिनोम सीक्वेंसिंग कराएगा। इसके लिए चिड़ियाघर प्रशासन भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान को पत्र लिखने जा रहा है। इसके साथ ही IVRI बरेली को भी एक पत्र भेजा जाएगा। अमूमन बर्ड फ्लू का प्रसार सर्दी के सीजन के अंतिम महीने में होता है।

गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खान प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में बर्ड फ्लू के प्रसार के कारणों की तलाश तेज हो गई है। चिड़ियाघर प्रशासन अब बर्ड फ्लू वायरस की जिनोम सीक्वेंसिंग कराएगा। इसके लिए चिड़ियाघर प्रशासन भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान को पत्र लिखने जा रहा है। इसके साथ ही आईवीआरआई बरेली को भी एक पत्र भेजा जाएगा। अमूमन बर्ड फ्लू का प्रसार सर्दी के सीजन के अंतिम महीने में होता है। आमतौर पर जनवरी-फरवरी में इसका प्रसार सर्वाधिक होता है। यह बीमारी पक्षियों में पाई जाती है। गोरखपुर के चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू गर्मियों में कहर बरपा रहा है। यह पक्षियों के अलावा बाघ, तेंदुआ, गिद्ध को संक्रमित कर रहा है। यह वायरस का नया पैटर्न है। माना जा रहा है कि वायरस में म्यूटेशन हुआ है। बर्ड फ्लू वायरस के स्ट्रेन में बदलाव है। यही वजह है कि गर्मी के सीजन में भी वायरस की अति सक्रियता बनी हुई है। इसी की पहचान के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग कराई जाएगी।
चिड़ियाघर के उप निदेशक व मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि जिनोम सीक्वेंसिंग की आवश्यकता कई मायनों में है। वायरस के स्ट्रेन में बदलाव के साथ ही इसे इलाज की तकनीक में बदलाव की भी जानकारी मिलेगी। यह भी देखना होगा कि कहीं यह स्ट्रेन इंसानों के लिए खतरनाक तो नहीं।
शनिवार से फिर शुरू हुआ सैंपल कलेक्शन
शनिवार से एक बार फिर वन्य जीवों के सैंपल के कलेक्शन की प्रक्रिया शुरू हुई है। यह प्रक्रिया दो दिन चलेगी। इसके तहत परिसर में मौजूद वन्यजीवों के नेजल स्वाब और मल का नमूना लिया जाएगा। फिर उसे जांच के लिए भोपाल भेजा जाएगा। सोमवार को सैंपल भोपाल भेजे जाएंगे।
कर्मियों को किया अलग
चिड़ियाघर में शनिवार को बाड़ों का सैनिटाइजेशन हुआ। अलग-अलग बाड़ों को दो टीमों ने सैनिटाइज किया। शनिवार को चिड़ियाघर के कर्मचारियों को दो हिस्से में बांट दिया गया। बाड़ों में संक्रमित वन्यजीव मौजूद हैं। उनके जूकीपर, वाचर और सफाई कर्मियों की टीम को अलग कर दिया गया है। संक्रमण से सुरक्षित वन्य जीवों के कर्मचारी अब हिस्से में काम करेंगे।
वन्यजीवों में पानी से भी संक्रमण का खतरा
डॉ योगेश ने बताया कि वन्यजीवों को पीने के लिए रखे गए पानी से भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। हर बाड़े में वन्य जीव के आकार के मुताबिक पॉन्ड बनाया गया है, जिसमें पानी रखा जाता है। अक्सर कौए उसमें पानी पी लेते हैं। बीट कर देते हैं। यह संक्रमण का सबब हो सकता है। सबसे बड़ी दिक्कत इस पानी को ढकने की है। शनिवार को हिरण, शेर, तेंदुए के बाड़े में पानी को ढकने की कवायद चलती रही। उन्होंने बताया कि भोपाल जांच के लिए भेजे गए पानी के नमूने की रिपोर्ट भी अब तक नहीं मिली है।
अफसर शावक, गिद्धों में संक्रमण से हैरान
शुक्रवार को भोपाल से मिली रिपोर्ट में तेंदुए के दो शावक और एक हिमालयन गिद्ध में संक्रमण की पुष्टि हुई। इसने चिड़ियाघर के अधिकारियों को हैरान कर दिया है। तेंदुए के शावक चिड़ियाघर के अस्पताल में हैं। वहां पर कौआ या कोई दूसरा पक्षी नहीं पहुंच सकता। वहां एंट्री के दौरान कर्मचारियों, चिकित्सकों एवं आंगतुकों के जूते तक सैनेटाइज कराए जाते हैं। शावक कैसे संक्रमित हुए यह अधिकारियों के समझ के परे है। वहीं हिमालयन गिद्ध का बाड़ा पूरी तरह से जाली से ढका है। वह भी संक्रमित हुआ है।
पोल्ट्री फार्मों से लिए 383 सैंपल निगेटिव मिले
पशुपालन विभाग द्वारा इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ) बरेली को भेजे गए 562 नमूनों के दूसरे चरण की रिपोर्ट भी आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 383 सैंपल में बर्ड फ्लू के वायरस नहीं मिले हैं। इसके पहले 179 पक्षियों की रिपोर्ट भी निगेटिव आई थी। रिपोर्ट से पोल्ट्री उद्योग राहत में है। गोरखपुर मंडल के जिलों में स्थित पोल्ट्री फार्म से अब तक 562 नमूना बरेली भेजा जा चुका है। दो चरणों में मिली रिपोर्ट से पोल्ट्री उद्योग को बड़ी राहत मिली है। दोनों बार के रिपोर्ट में एक भी पक्षी में बर्ड फ्लू संक्रमण नहीं मिला है। पशुपालन विभाग अंदेशा जता रहा है कि चिड़ियाघर में ही बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है। इसीलिए पूरी जांच चिड़ियाघर में ही केन्द्रित की जा रही है।
प्राणी उद्यान गोरखपुर में सात मई बाघिन शक्ति की मौत के बाद उसका बिसरा सुरक्षित कर जांच के लिए बरेली भेजा गया था। वहां से आई रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। इसके बाद सतर्कता बरतते हुए पशु विभाग की रैपिड रिसपांस टीम ने जिले के 20 ब्लाकों में संचालित पोल्ट्री फार्म पर जाकर नमूना संग्रहित कर रही है। सीवीओ का कहना है कि जिले के सभी 248 पोल्ट्री फार्म पर सैनिटाइजेशन कराया जा रहा है। किसी भी पोल्ट्री फार्म पर चूजों या पक्षियों के मरने की खबर नहीं है। ग्रामीणों को जागरूक करते हुए बर्ड फ्लू की पहचान और बचाव के बारे में बताया जा रहा है।
सीवीओ डॉ. धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि गोरखपुर के 248 पोल्ट्री फार्म से 387 पक्षियों का नमूना बरेली भेजा गया था। कुशीनगर और महराजगंज से भी 100 से अधिक पक्षियों का सैंपल जांच को भेजा गया था। पहले चरण में 179 की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। वहीं शुक्रवार की देर शाम मिली रिपोर्ट में 383 पक्षियों के सैंपल में बर्ड फ्लू संक्रमण नहीं मिला है।