प्राकृत भाषा और जैन साहित्य में है शोध की संभावनाएं
Kanpur News - प्राकृत भाषा और जैन साहित्य में है शोध की संभावनाएं प्राकृत भाषा और जैन साहित्य में है शोध की संभावनाएं

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज में आचार्य विद्यासागर सुधासागर जैन शोध पीठ ने प्राकृत भाषा का पुर्नजीवन, संवर्धन और शोध विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य वक्ता साबरमती गुरुकुल अहमदाबाद के डॉ. दीपक कोइराला ने कहा कि प्राकृत भाषा में सदाचार, अहिंसा के नैतिक मूल्यों का भंडार है। भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने शांति और जनकल्याण के लिए प्राकृत (पाली) भाषा में उपदेश दिए। प्रति-कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि प्राकृत भाषा संस्कृत की तरह प्राचीन भाषा है और इसका साहित्य बहुत समृद्ध है। वर्तमान में इसमें शोध की बहुत संभावनाएं हैं। यहां निदेशक डॉ. सर्वेश मणि त्रिपाठी, डॉ. प्रभात गौरव मिश्रा, सुमित कुमार जैन, सीए अरविंद कुमार जैन, डॉ. अंशु जैन, शैली जैन, रेनू जैन आदि उपस्थित रहे।
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