बर्ड फ्लू की निगरानी को छह रैपिड रिस्पांस टीमें गठित
Kushinagar News - कुशीनगर में बर्ड फ्लू की निगरानी शुरू कर दी गई है, क्योंकि गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में एक टाइगर में बर्ड फ्लू पॉजिटिव पाया गया। डीएम महेन्द्र सिंह तंवर ने टास्क फोर्स की बैठक में...

कुशीनगर, वरिष्ठ संवाददाता। गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान जनपद गोरखपुर के टाइगर के बर्ड फ्लू पॉजिटिव होने के बाद जिले में भी इसकी सतत अनुश्रवण व निगरानी शुरू हो गयी है। डीएम महेन्द्र सिंह तंवर के निर्देश पर जनपद स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में निगरानी के लिए नोडल अधिकारी व सभी तहसीलों में निगरानी के लिए आरआरटी यानि रैपिड सिस्पांस टीमों का गठन किया गया है। जिले में अब तक एक भी केस बर्डफ्लू का केस नहीं मिला है। डीएम ने सात दिन के अंदर सैंपलिंग कर एक बार फिर से बर्ड फ्लू की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
टास्क फोर्स की बैठक में जिलाधिकारी को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ रविंद्र प्रसाद ने बताया कि बीमारी की रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर की गई कार्यवाहियों के अंतर्गत सघन अनुश्रवण हेतु डॉ विद्याराम वर्मा, उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी को जनपदीय नोडल अधिकारी नामित किया गया है। जिनका माबाइल नंबर 9450556594 है। जनपद के कोई भी व्यक्ति उक्त बीमारी की शंका होने पर संबंधित अधिकारी को सूचित कर सकता है। तहसील स्तर पर पशुपालन विभाग की ओर से 6 आरआरटी का गठन किया गया है। जनपद में कहीं भी अगर बीमारी की आउटब्रेक की सूचना प्राप्त होती है तो संबंधित टीम द्वारा उचित कार्यवाही की जायेगी। मुख्य पशु चिकिस्ताधिकारी ने बताया कि जनपद से कुल 30 सीरम सैम्पल जनपद से भेजा गया था। सैम्पल से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर जिले में कहीं भी बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है। बीमारी के रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर समस्त संसाधन पीपीई किट, स्प्रे मशीन, फेस मास्क आदि उपलब्ध हैं। डीएम ने बैठक में उपस्थित समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत आने वाले समस्त पोल्ट्री फार्मों का स्थलीय सत्यापन कर लें। जांच करते हुए प्रतिदिन पक्षियों का नेजल, क्लोएकल एवं सीरम सैम्पल एकत्र कर मण्डलीय प्रयोगशाला गोरखपुर भेजना सुनिश्चित करें। डीएम ने सैम्पलिंग के कार्य 7 दिवस के अन्दर शत प्रतिशत पूर्ण करने के निर्देश दिये हैं। बर्ड फ्लू पक्षियों की एक बहुत खतरनाक बीमारी है। 48 घण्टों के भीतर 100 प्रतिशत तक पक्षियों की मृत्यु का कारण बन सकती है। यह रोग विश्व रोग नियंत्रण संस्था के द्वारा नोटीफायबल रोग की श्रेणी में आता है। यह पक्षियों में बहुत अधिक मृत्यु के साथ सांस, पेट और तंत्रिका तंत्र के लक्षण उत्पन्न कर सकता है।
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