Wealthy Individuals Exploit RTE Admission Scheme for Poor Children in Lakhimpur आरटीई में बच्चे का दाखिला कराने को अमीर भी बन रहे गरीब, Lakhimpur-khiri Hindi News - Hindustan
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आरटीई में बच्चे का दाखिला कराने को अमीर भी बन रहे गरीब

Lakhimpur-khiri News - लखीमपुर में आरटीई योजना के तहत अमीर लोग गरीब बनकर निजी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन कराने की कोशिश कर रहे हैं। जांच में अधिकांश आवेदन अस्वीकृत हो रहे हैं। पिछले दो महीनों में 471 बच्चों के आवेदन में...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीTue, 1 April 2025 02:12 AM
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आरटीई में बच्चे का दाखिला कराने को अमीर भी बन रहे गरीब

लखीमपुर। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन कराने के लिए अमीर भी गरीब बन रहे हैं। दो मंजिला मकान, कार से चलने वाले भी गरीबों के लिए चल रही योजना में सेंध लगाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर आवेदन कर रहे हैं। हालांकि जांच व सत्यापन में इनमें से ज्यादातर के आवेदन रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। वहीं स्कूल संचालक भी कई बार सत्यापन कराते हैं। आरटीई के तहत पिछले दो महीने के आवेदनों को देखा जाए तो जितने आवेदन स्वीकृत हुए हैं उससे ज्यादा अस्वीकृत किए गए हैं। अस्वीकृत किए गए आवेदनों में जिस वार्ड में रहते हैं उस वार्ड के अलावा दूसरे वार्ड के स्कूल में आवेदन किया है। वहीं ज्यादातर मामले ऐसे हैं जो अमीर होने के बाद भी गरीबों के लिए चलाई जा रही योजना में आवेदन कर रहे हैं। जांच व सत्यापन में इनके आवेदन निरस्त किए गए हैं। आंकड़ों को देखा जाए तो तीसरे चरण में 471 बच्चों के आवेदन आरटीई के तहत किए गए। आवेदनों की जांच व सत्यापन में इनमें से 233 आवेदन अस्वीकृत किए गए। इसी तरह से चौथे चरण की प्रक्रिया हाल ही में समाप्त हुई है। चौथे चरण में 442 आवेदनों में से 263 आवेदन अस्वीकृत किए गए। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि आवेदन के बाद बीईओ के माध्यम से सत्यापन कराया जाता है। सत्यापन में जो अपात्र मिलते हैं उनके आवेदन अस्वीकृत कर दिए जाते हैं। आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों का एडमिशन निजी स्कूलों में कराया जाता है। इन बच्चों की फीस सरकार स्कूलों को देती है।

स्कूल वाले भी कराते हैं सत्यापन

आरटीई के तहत बच्चों चयनित बच्चों के एडमिशन आदेश स्कूल को मिलने के बाद शहर के कई स्कूल ऐसे हैं जो पात्रता का सत्यापन खुद कराते हैं। इसके पीछे वजह बताई जाता है कि अपात्र होने, दूसरे वार्ड में रहने वाले भी किसी प्रकार चयनित हो जाते हैं। इससे वास्तविक पात्र बच्चे छूट जाते हैं। स्कूल संचालक बताते हैं कि पूरी व्यवस्था पारदर्शी की जाए जिससे वास्तव में पात्र बच्चों का ही एडमिशन हो। हालांकि विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पात्रता की जांच के बाद ही आदेश जारी किया जाता है।

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