Anesthesia Conference at Lohia Institute Innovations in Local Anesthesia and Patient Care जिस अंग की सर्जरी, उसी अंग को सुन्न करने की जरूरत, Lucknow Hindi News - Hindustan
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जिस अंग की सर्जरी, उसी अंग को सुन्न करने की जरूरत

Lucknow News - लोहिया संस्थान में एनस्थीसिया विभाग की तरफ से तीन दिवसीय कार्यक्रम लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता।

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊFri, 18 April 2025 08:26 PM
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जिस अंग की सर्जरी, उसी अंग को सुन्न करने की जरूरत

लोहिया संस्थान में एनस्थीसिया विभाग की तरफ से तीन दिवसीय कार्यक्रम लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता।

अब सर्जरी के लिए पूरे शरीर को सुन्न करने की जरूरत नहीं होती है। जिस अंग की सर्जरी की जाती है उसे ही सुन्न किया जा सकता है। इससे ऑपरेशन के दौरान एनस्थीसिया के दुष्प्रभाव से मरीज को आसानी से बचाया जा सकता है। यह जानकारी लोहिया संस्थान में एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीके दास ने दी।

वह शुक्रवार को एनस्थीसिया व क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। लोहिया संस्थान के प्रेक्षागृह में कार्यक्रम शुरू हुआ। डॉ. पीके दास ने कहाकि सर्जरी से पहले मरीज को बेहोशी देना और उसे बाद में होश में लाना कठिन काम होता है। इसमें बेहद सर्तकता बरतने की जरूरत होती है। जरा सी चूक से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है।

गंभीर मरीजों को दे रहे सांसें

डॉ. पीके दास ने कहा कि एनस्थीसिया विशेषज्ञों की भूमिका बढ़ी है। काम का दायरा भी बढ़ा है। अब एनस्थीसिया विशेषज्ञ सिर्फ मरीज को बेहोशी नहीं देते। बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को दर्द से निजात दिलाते हैं। आईसीयू वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों को सांसें देते हैं। देश के करीब 70 प्रतिशत क्रिटिकल केयर यूनिट की जिम्मेदारी एनस्थीसिया विशेषज्ञों पर हैं। समय-समय पर एनस्थीसिया विशेषज्ञों का प्रशिक्षण जरूरी है। इससे विशेषज्ञ इलाज की बारीकियां सीख सकते हैं।

बेहोशी देने में बरतें सावधानी

केजीएमयू एनस्थीसिया विभाग की अध्यक्ष डॉ. मोनिका कोहली ने कहा कि कान के पीछे की सर्जरी के लिए बेहोशी देने में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। क्योंकि इसमें जरा से चूक से मरीज की सेहत पर खराब असर पड़ सकता है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। बीपी व हार्ट रेट घट सकता है।

गंभीर मरीजों की निगरानी जरूरी

लोहिया संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने कहा कि आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों की सेहत की निगरानी बहुत ही बारीकी से की जानी चाहिए। खासतौर पर ब्लड प्रेशर की। क्योंकि संक्रमण बढ़ने, हार्ट, लिवर व अत्याधिक रक्तस्राव की दशा में मरीज का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। जिससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। शरीर के दूसरे अहम अंगों में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है। समय पर इलाज से ब्लड प्रेशर पर काबू पाया जा सकता है।

कोर्स छात्रों के लिए हितकर

एनस्थीसिया विभाग की डॉ. शिवानी रस्तोगी ने कहा कि तीन दिवसीय इस कोर्स में देश भर से आने वाले विषय विशेषज्ञयों द्वारा छात्रों को एनस्थीसिया की नई तकनीकों एवं सावधानियों के बारे में अवगत कराया जायेगा। यह कार्यक्रम एनस्थीसिया के एमडी एवं डीएनबी छात्रों की परीक्षा को देखते हुए आयोजित किया गया है। जिससे छात्रों को परीक्षा में काफी अधिक मदद मिलेगी। यह कोर्स लखनऊ ही नहीं पूरे देश से आये छात्रों को उनकी आने वाली परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा। कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. वीके राव, मुंबई टाटा में एनस्थीसिया विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जेवी देवतीया, बंगलूरू के डॉ. मुरलीधर कांची, पीजीआई के डॉ. प्रभात तिवारी, डॉ. सुजीत राय, समेत अन्य डॉक्टर रेजिडेंट मौजूद रहे।

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