निजी औद्योगिक घरानों को लुभाने के लिए लगाया गया अधिभार - संघर्ष समिति
Lucknow News - विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि अप्रैल के बिजली बिलों में महंगाई का कारण निजी औद्योगिक घरानों को लुभाना है। अगर निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया, तो उपभोक्ताओं को 17 से 18...

- संघर्ष समिति का दावा, उपभोक्ता आगे और भी महंगी बिजली के लिए रहें तैयार लखनऊ, विशेष संवाददाता
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने अप्रैल के बिजली बिलों में ईंधन व ऊर्जा खरीद अधिभार समायोजन लागू करने की वजह निजी औद्योगिक घरानों को लुभाना बताया है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह तो अभी शुरुआत है, उपभोक्ता अभी और भी महंगी बिजली के लिए तैयार रहें क्योंकि निजी औद्योगिक घराने कम दरों पर बिजली आपूर्ति के लिए तैयार नहीं हैं।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि प्रदेश में 5 साल में पहली बार बिजली महंगी हुई। अगर निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं हुआ तो आम उपभोक्ता बिजली के टैरिफ में बड़े इजाफे के लिए तैयार रहें। अधिभार केवल निजी कंपनियों को लुभाने के लिए जोड़ा गया है। निजीकरण के बाद मुंबई, कोलकाता की तरह उत्तर प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को भी 17 से 18 रुपये प्रति यूनिट बिजली की दरें देनी पड़ सकती हैं।
विजयवाड़ा में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से निजीकरण वापस लेने की मांग
छह राज्यों के ग्रुप आफ मिनिस्टर्स की बैठक मंगलवार को विजयवाड़ा में हुई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय विद्युत राज्यमंत्री श्रीपद यशोनायक ने की। बैठक में यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान आंध्र प्रदेश के बिजली इंजीनियरों ने एके शर्मा से यूपी में निजीकरण की प्रक्रिया के बारे में बात की और इसे वापस लेने की मांग की। हालांकि मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया। संघर्ष समिति ने कहा कि बैठक में अन्य प्रदेशों के ऊर्जा मंत्रियों ने निजीकरण का विरोध किया जबकि एके शर्मा ने निजीकरण को ही सुधार का एकमात्र रास्ता बताया।
ज्ञापन सौंपने का क्रम रहा जारी
संघर्ष समिति ने मुजफ्फरनगर में कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल को ज्ञापन दिया गया। लालगंज में सांसद दारोगा प्रसाद सरोज को ज्ञापन दिया गया। फर्रुखाबाद में विधायक सुशील कुमार शाक्य, खलीलाबाद में विधायक अंकुर राज तिवारी और गणेश चौहान को ज्ञापन दिए। इसके अतिरिक्त कई पूर्व विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को भी ज्ञापन सौंपे गए। संघर्ष समिति ने 45% संविदा कर्मियों की छटनी के आदेश पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सब निजीकरण की वजह से हो रहा है, आदेश तत्काल वापस लेना चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।