कार्यालय केवल भवन नहीं, कार्य का आलय होना चाहिए: डॉ. मोहन राव भागवत
केंद्रीय मंत्री सहित कई नेताओं ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा नई दिल्ली। प्रमुख

केंद्रीय मंत्री सहित कई नेताओं ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता
कार्यालय केवल एक भवन नहीं, कार्य का आलय होना चाहिए, क्योंकि जैसा कार्य होगा, वैसी ही परिषद बनेगी। संगठन में आत्मा और बुद्धि के साथ शरीर भी आवश्यक है, अधिक तामझाम की आवश्यकता नहीं, अपितु मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। उक्त बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रकल्प एईआईएल (अंतर-राज्य छात्र जीवन-दर्शन) के केंद्रीय कार्यालय 'यशवंत' के उद्घाटन अवसर पर मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर विद्यार्थी सहयोग से कार्यालय की स्थापना एक बड़ी उपलब्धि है। हमने इस कार्यालय का नाम ‘यशवंत रखा है, जिसे यशवंतराव जी के जन्म शताब्दी वर्ष में स्थापित किया गया। जिस प्रकार सील प्रकल्प को यशवंतराव जी ने आगे बढ़ाया था, उसी भावना से यह विद्यार्थी परिषद का कार्यालय बना है, जिसमें 'ज्ञान, शील और एकता' का मूल भाव निहित है। विद्यार्थी परिषद को समझना हो तो उसके कार्यकर्ताओं को देखना चाहिए, क्योंकि घटक पूर्ण मिलकर सम्पूर्णता का निर्माण करते हैं।
उन्होंने कहा कि परिषद कार्यकर्ताओं के अनुभवों से गढ़ी गई है, संघ पर संकट के समय भी राष्ट्रीय विचार के आधार पर कार्य करते हुए, परिषद ने अपने आकार को पाया है। आज हमारे देश और विश्व में परिवर्तन हो रहा है। दोनों प्रकार के रास्तों को विश्व ने देख लिया है और अब भारत की ओर आशा से देखा जा रहा है। हमें ऐसा देश बनाना है, जिसमें सच्ची स्वतंत्रता खिलती हो। यह सामर्थ्य हमारे तरुणों में है। उन्हें केवल दिशा और ज्ञान की आवश्यकता है। यह ज्ञान भी तभी सार्थक है जब उसमें एकता हो। विविधता को सम्मान देते हुए भी हमें 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को अपनाना है। एकता के बिना शील नहीं होता, और शील के बिना ज्ञान शक्ति प्रदर्शन का साधन बन जाता है, जैसा हम इतिहास और वर्तमान दोनों में देखते हैं।
इस अवसर पर 'सील ट्रस्ट' के अध्यक्ष अतुल कुलकर्णी, एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही सहित एबीवीपी के पदाधिकारी मौजूद थे।
इसके अतिरिक्त भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू सहित वर्तमान और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी यहां मौजूद थे।
एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा कि सेल कार्यालय का लोकार्पण उन सैकड़ों कार्यकर्ताओं की सहभागिता और तप से संभव हुआ है, जिन्होंने इस स्वप्न को साकार करने के लिए अपना योगदान दिया। यह कार्यालय न केवल एबीवीपी के संगठनात्मक कार्यों का सशक्त केंद्र बनेगा, बल्कि राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों की भूमिका को भी नई दिशा देगा।
विशेष है यशवंत परिसर
यशवंत परिसर में स्वामी विवेकानंद की 12 फीट ऊंची और 1250 किलो वजनी अष्टधातु की भव्य प्रतिमा तथा सभागार के बाहर 850 किलो की संगमरमर पर उत्कीर्ण सरस्वती माता की प्रतिमा स्थापित की गई है, जो परिसर को एक विशिष्ट सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान करती हैं। ऊर्जा संरक्षण को ध्यान में रखते हुए भवन का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि प्राकृतिक प्रकाश और वायु का अधिकतम प्रवेश संभव हो सके, तथा यह आधुनिक भवन निर्माण के सभी मानकों पर खरा उतरता है। परिसर में ओपन थिएटर का निर्माण किया गया है, जहां परिषद् की विविध गतिविधियां संचालित होंगी। नौ मंजिला इस इमारत में दो बेसमेंट, एक भूतल तथा छह ऊपरी तल हैं, जिसमें डेढ़ सौ से अधिक लोगों की क्षमता वाला अत्याधुनिक सभागार, बहुपरकारी (मल्टीपरपस) ऑडिटोरियम, शोधार्थियों के लिए सुसज्जित पुस्तकालय तथा पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों के लिए डोरमेट्री की सुविधा उपलब्ध है, जहां वे महीनों रहकर अपनी अकादमिक गतिविधियां संचालित कर सकते हैं।
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