लोकबंधु में लगे सीसीटीवी से पता चलेगा किसने सुलगाई सिगरेट
Lucknow News - - लोकबंधु ओपीडी में इलाज के साथ मरीज हुए भर्ती - सीसीटीवी कैमरे से

- लोकबंधु ओपीडी में इलाज के साथ मरीज हुए भर्ती - सीसीटीवी कैमरे से भी जांच कर जानकारी जुटाएगी
लखनऊ, संवाददाता।
लोकबंधु अस्पताल में आग की घटना के बाद से अब मरीजों को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया है। शुक्रवार को आईसीयू छोड़कर ज्यादातर वार्ड में मरीजों को भर्ती किया गया। आईसीयू वार्ड को सही करने का काम तेजी से किया जा रहा है। वहीं, अस्पताल में बीड़ी या सिगरेट से आग लगने की आशंका की बात सामने आने पर अब परिसर में लगे सीसीटीवी को खंगाला जाएगा। अस्पताल में फायर के नोडल को लेकर भी संशय बना हुआ है। अफसर कुछ बोलने को राजी नहीं है।
लोकबंधु अस्पताल में सोमवार की रात को आग लगने की घटना हुई थी। छितवापुर के मरीज राजकुमार प्रजापति (61) की मौत हो गई थी। बाकी मरीजों को सिविल, बलरामपुर, केजीएमयू, लोहिया समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस से भेजकर भर्ती करवाया गया था। उसके बाद से लोकबंधु में मरीजों की भर्ती बंद थी। लोकबंधु के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि मरीजों की भर्ती आईसीयू को छोड़कर हर वार्ड में शुरू कर दी गई है। शुक्रवार को गुड फ्राइडे होने पर भी मरीजों की भर्ती और ओपीडी में इलाज दिया गया।
सीसीटीवी कैमरे से खुलेगी आग की शुरुआत
विद्युत सुरक्षा निदेशालय की जांच में यह स्पष्ट किया गया कि आग शार्ट सर्किट से नहीं, बल्कि सिगरेट या बीड़ी की वजह से शौचालय से लगी। इस खुलासे के बाद अब लोकबंधु अस्पताल प्रशासन ने परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालकर जांच करने का प्रयास शुरू कर दिया है। अस्पताल प्रशासन पता लगाने की कोशिश में जुटा है कि आखिरकार किस तीमारदार या कर्मचारी ने शौचालय में सिगरेट या बीड़ी का इस्तेमाल किया है। अस्पताल परिसर में 100 से अधिक सीसीटीवी लगे हैं। इनमें से करीब आठ सीसीटीवी तीसरे तल पर हैं।
फायर नोडल को लेकर संशय
लोकबंधु में फायर सेफ्टी के नोडल को लेकर संशय बना हुआ है। अफसर यह नहीं बता पा रहे हैं कि वर्तमान में उनके अस्पताल परिसर की फायर सेफ्टी और निगरानी के लिए कौन नोडल बनाया गया है। सात जून 2024 को लोकबंधु निदेशक की ओर से विभिन्न वार्ड, सफाई, सुरक्षा आदि को लेकर नोडल की तैनाती की थी, लेकिन उसमें फायर सेफ्टी नोडल का जिक्र नहीं किया गया है। फायर नोडल को लेकर जब पड़ताल शुरू की गई तो यह बात सामने आई कि उसके प्रमुख जिम्मेदार सीएमएस और एमएस होते हैं। आर्थो विशेषज्ञ डॉ. पीएन अहिरवार फायर सेफ्टी के नोडल नहीं हैं। डॉ. पीएन अहिरवार ने बताया कि उन्हें फायर सेफ्टी का नोडल नहीं बनाया गया है। इस संबंध में डॉ. एएस बिष्ट से बात की गई तो उन्होंने भी फायर सेफ्टी के नोडल होने की बात से इनकार किया है। निदेशक, सीएमएस और एमएस से फायर सेफ्टी के नोडल की जानकारी मांगी गई तो कोई भी अफसर स्पष्ट जानकारी नहीं दे सका।
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