मेयर-पार्षदों का झगड़ा निपटाने में ही बीत गया नगर आयुक्त का वक्त
Lucknow News - नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह की ईमानदारी की चर्चा होती रही है। महापौर सुषमा खर्कवाल और भाजपा पार्षदों के बीच झगड़े के कारण उनका तबादला हो गया। इन्द्रजीत ने कई मुद्दों पर पार्षदों और मेयर के बीच तनाव को...

नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह की ईमानदारी के चर्चे जहां नगर निगम में सालों तक होते रहेंगे, वहीं महापौर व भाजपा पार्षदों के बीच चल रहे झगड़े भी लोग भूल नहीं पाएंगे। झगड़े तो नगर आयुक्त की वजह से नहीं हुए और न ही वह इसमें शामिल थे। लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस झगड़े का खामियाजा इन्द्रजीत सिंह को भुगतना पड़ा। सोमवार की देर रात उनका तबादला हो गया। इन्द्रजीत सिंह को विशेष सचिव उर्जा तथा निदेशक यूपी नेडा बनाया गया है। नगर आयुक्त के पद पर तैनात रहे इन्द्रजीत सिंह का करीब दो वर्ष तो पार्षदों व मेयर के झगड़े सुलझाने में ही बीत गया। महापौर सुषमा खर्कवाल के आने के बाद पहले तो उनकी कुछ मुद्दों पर तनातनी रही। इसके बाद महापौर व भाजपा के पार्षदों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। नगर निगम सदन से लेकर कार्यकारिणी तक, कार्यालय से लेकर उनके आवास तक बैठकों में पार्षद व मेयर के बीच तल्खी देखने को मिली। भाजपा पार्षदों को विरोध-प्रदर्शन करना पड़ा। कभी निजी कंपनी को सफाई का ठेका देने तो कभी वार्ड विकास निधि का बजट बढ़ाने को लेकर टकराव हुआ। नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने परिस्थितियों को काफी हद तक संभाला लेकिन पार्षदों व मेयर के बीच मनमुटाव व झगड़े को वह कम नहीं करा सके। उनके बीच आज भी तनातनी है। नगर निगम के कुछ पार्षद और अधिकारी नगर आयुक्त के अचानक हटने की वजह इसे ही बता रहे हैं।
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राजनाथ सिंह का मेयर के घर जाना भी चर्चाओं में
महापौर सुषमा खर्कवाल के पैर में फैक्चर हो गया था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तीन दिन पहले उनके घर गए थे। कुछ लोग तो नगर आयुक्त के तबादले का कारण इससे भी जोड़ रहे हैं।
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दबाव में भी नहीं पास की फाइलें
नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह दबाव में कभी नहीं झुके। तमाम मौके पर फाइलें पास करने का उन पर काफी दबाव रहा, लेकिन उन्होंने गलत नहीं किया। यही वजह है कि आज भी 150 से ज्यादा बड़ी फाइलें रुकी हैं। यह ऐसी फाइलें हैं जिनसे नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता था।
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सफाईकर्मी से लेकर आम आदमी तक थी सीधी पहुंच
इन्द्रजीत सिंह ने कुर्सी संभालने के बाद कोई प्रोटोकाल नहीं रखा। कोई गरीब हो या सफाईकर्मी सभी से वह बहुत ही आसानी से मिलते थे। उनकी समस्या सुनते और उनका निदान भी कराते थे।
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किसी की एक किलो मिठाई तक नहीं ली
इन्द्रजीत सिंह की ईमानदारी के चर्चे हमेशा होते रहे हैं। नगर निगम के कई अधिकारियों ने बताया कि वह शुरुआत में दिवाली या त्योहार में मिठाई लेकर गए मिलने गए थे। लेकिन उन्होंने किसी की मिठाई नहीं ली। यह सिलसिला अब तक चल रहा था। इन्द्रजीत सरकारी गाड़ी का कम से कम इस्तेमाल करते थे। उनकी पत्नी कई बार स्कूटी से उन्हें टिफिन देने नगर निगम आतीं थीं।
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