गंगा संरक्षण के लिए 548 करोड़ की परियोजनाओं को मिली मंजूरी
Lucknow News - नोट-कानपुर-मुरादाबाद के विशेष ध्यानार्थ -एनएमसीजी कार्यकारी समिति की बैठक में प्रदेश

नोट-कानपुर-मुरादाबाद के विशेष ध्यानार्थ -एनएमसीजी कार्यकारी समिति की बैठक में प्रदेश के लिए कई अहम परियोजनाओं पर लगी मुहर
-कानपुर के 14 अनटैप नालों के इंटरसेप्शन, डायवर्जन के लिए 138.11 करोड़ की परियोजना मंजूर
-रामगंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने को 409.93 करोड़ की परियोजना को भी मिली स्वीकृति
लखनऊ, विशेष संवाददाता।
गंगा के संरक्षण और पुनर्जीवन देने की दिशा में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 61वीं कार्यकारी समिति में यूपी से जुड़ी 548 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में स्वीकृत परियोजनाएं गंगा की निर्मलता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
बैठक में “रामगंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम” के लिए मुरादाबाद जोन-3 और जोन-4 में इंटरसेप्शन, डायवर्जन, एसटीपी और अन्य संबद्ध कार्यों से जुड़ी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। 409.93 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य रामगंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाना है। परियोजना के तहत जोन-3 में 15 एमएलडी और जोन-4 में 65 एमएलडी क्षमता वाले आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा। साथ ही 5 प्रमुख नालियों को इंटरसेप्ट कर डायवर्ट किया जाएगा। इस योजना में 50 केएलडी क्षमता का सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा भी प्रस्तावित है। जो मल जल प्रबंधन को और प्रभावी बनाएगी।
कानपुर के नालों से जुड़ी 138.11 करोड़ की योजना स्वीकृत
कार्यकारी समिति की बैठक में “कानपुर शहर के 14 अनटैप नालों के इंटरसेप्शन और डायवर्जन” से जुड़ी एक अहम परियोजना को 138.11 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर मंजूरी दी गई। यह शहर की जल निकासी और स्वच्छता प्रणाली को एक नई दिशा देगी। इस परियोजना के अंतर्गत नालों से सीधे नदी में गिरने वाले सीवेज को रोककर, उसे प्रस्तावित सीवेज पंपिंग स्टेशनों और मैनहोलों के माध्यम से शोधन केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा। इसमें एक वर्ष के संचालन और रखरखाव की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। कार्यकारी समिति ने उपचारित जल के सुरक्षित पुन: उपयोग के लिए राज्य नीति और व्यवसाय मॉडल के विकास तथा एनएमसीजी के लिए एक पॉडकास्ट श्रृंखला के निर्माण को भी मंजूरी दी है। इसमें उपचारित जल के सुरक्षित पुन: उपयोग से जुड़ी नीतियों के विकास, कानपुर के लिए एक व्यवसाय मॉडल तैयार करना और नमामि गंगे: ट्रांसफॉर्मिंग इंडियाज लाइफ लाइन, शीर्षक से पॉडकास्ट श्रृंखला का निर्माण शामिल है।
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नाव निर्माण कला पर बनेगी डॉक्यूमेंट्री
कार्यकारी समिति ने बोट्स ऑफ द गंगा बेसिन: रिवराइन एंड मेरीटाइम हेरिटेज, शीर्षक वाली एक विशेष डॉक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माण को मंजूरी दी है। यह फिल्म गंगा बेसिन में सदियों से फलती-फूलती लकड़ी की पारंपरिक नाव निर्माण कला को एक नए अंदाज में प्रस्तुत करेगी। डॉक्यूमेंट्री का फोकस गंगा बेसिन में विकसित नाव निर्माण की सांस्कृतिक गहराई और ऐतिहासिक विरासत पर होगा। यह केवल नावों की बनावट की कहानी नहीं होगी, बल्कि उन कारीगरों की ज़िंदगियों का जीवंत चित्रण भी करेगी, जिनके हाथों ने इस परंपरा को पीढ़ियों से संजोकर रखा है।
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