Farmers in Maharajganj Burn Wheat Stubble Experts Warn of Agricultural Losses and Health Hazards नहीं थम रहा ठंडल जलाने का सिलसिला, कृषि वैज्ञानिक चिंतित, Maharajganj Hindi News - Hindustan
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नहीं थम रहा ठंडल जलाने का सिलसिला, कृषि वैज्ञानिक चिंतित

Maharajganj News - महराजगंज में किसानों ने गेहूं की कटाई के बाद डंठल जलाना शुरू कर दिया है। कृषि वैज्ञानिक चिंतित हैं कि इससे खरीफ सीजन में भारी नुकसान हो सकता है। गेहूं के डंठल में पौधों के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व...

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजTue, 22 April 2025 03:17 PM
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नहीं थम रहा ठंडल जलाने का सिलसिला, कृषि वैज्ञानिक चिंतित

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। गेहूं की कटाई के बाद महराजगंज जिले के किसानों ने इस साल भी ठंठल जलाना शुरू कर दिया है। गेहूं का डंठल जलाये जाने से कृषि वैज्ञानिक चिन्तित हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गेहूं का डंठल जलाने से खरीफ सीजन में किसानों को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र बसुली के विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी सिंह, डॉ. शिपपूजन यादव ने बताया कि भूमि में कई करोड़ों का जैव उर्वरक राई जोवियम, अजोटो बैक्टर, एजो स्पाई रिलियम, ब्लू ग्रीन एल्गी तथा फास्फोरस विलायक जीवाणु खेतों में नाईट्रोजन को स्थिरीकरण करते हैं। कृषि अवशेष फास्फोरस को घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। पर खेतों में गेहूं का डंठल जलाने पर सभी जलकर नष्ट हो जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त लाभदायक जैविक फफूंदी नाशी- ट्राईकोडर्मा बबेरिया बेसियाना आग की लपटों में जलकर नष्ट हो रहे हैं। इन सभी जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशी को किसान बाजार से महंगे दाम पर खरीदकर खेत में डाल रहे हैं, जो प्रकृति ने उपहार दिया है। खेत की उर्वरा शक्ति क्रमशः घट रही है।

फसलों के अवशेष से खेतों को ऐसे मिलता है पोषक तत्व

कृषि वैज्ञानिक डॉ. शिवपूजन यादव ने बताया कि फसलों के अवशेष में काफी पोषक तत्व मिलता है। बताया कि गेहूं का डंठल में नाइट्रोजन 0.5 प्रतिशत, फास्फोरस 0.1 प्रतिशत, पोटास 1.10 प्रतिशत मिलता है, जो गोबर से अधिक है। एक एकड़ खेत से 18 से 20 कुन्तल औसतन भूषा पाया जाता है। गन्ने के एक एकड़ खेत से 38 से 40 कुन्तल सूखी पत्ती निकलता है। इसमें 0.5 प्रतिशत नाईट्रोजन, फास्फोरस- 0.3 प्रतिशत, पोटाश 0.6 प्रतिशत मिलता है, जो गोबर की खाद से अधिक होता है। इसी प्रकार धान का पुआल में 0.3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.08 प्रतिशत फास्फोरस, 0.7 प्रतिशत पोटाश मिलता है। पर किसान जानबूझ कर अपना भाग्य जला रहे है। सभी चीनी मिलें ट्राईकोडर्मा बेच रही हैं, जो खेतों किसान अंधाधुन जला रहे हैं। फसलों के अवशेष नहीं जलाने पर सड़कर जौविक खाद बन जाता है।

डंठल की राख आंख में जलन के साथ ही दमा का बना देगी मरीज

डंठल की राख से खेत की उर्वरक शक्ति समाप्त करने के साथ ही वातावरण को प्रदूषित कर रही हैं। आंख में राख पड़ने से जलन हो रही हैं। जानकारी के अभाव में राख पड़ते ही लोग आंख मल दे रहे है। इससे उनकी आंख की रोशनी प्रभावित हो जा रही हैं। इतना ही नहीं डंठल की राख से वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड की अधिकता हो गई है। ऐसे में व्यक्ति सांस रोगी होने के साथ दमा का शिकार हो सकते हैं। जिला अस्पताल के डॉ. अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में पहुंचने वाले हर 10वें पीड़ित में आंख की जलन से परेशान है। 100 मरीजों में दस पीड़ितों की आंख में जलन की शिकायत है।

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