MVDA s Compounding Process for Illegal Constructions Raises Questions in Mathura and Vrindavan कंपाउंडिंग के खेल ने बदल दिया मथुरा वृंदावन का नक्शा, Mathura Hindi News - Hindustan
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कंपाउंडिंग के खेल ने बदल दिया मथुरा वृंदावन का नक्शा

Mathura News - मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण अवैध कॉलोनियों और भवनों की कंपाउंडिंग शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में नियमों के पालन और घालमेल के सवाल उठ रहे हैं। कई इमारतों में नियमों का उल्लंघन हुआ है, और प्राधिकरण...

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराFri, 2 May 2025 12:58 AM
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कंपाउंडिंग के खेल ने बदल दिया मथुरा वृंदावन का नक्शा

मथुरा। मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा सर्वे में चिह्नित की गईं अवैध कॉलोनियों और भवनों के निर्माणों में कंपाउंडिंग की प्रक्रिया शुरू कर वैध की श्रेणी में लाने के प्रयास चल रहे हैं। इसके साथ यह सवाल भी उठने लगे हैं कि कंपाउंडिंग नियमों के मुताबिक हो रहे हैं या इसके पीछे घालमेल है। दरअसल एमवीडीए के कंपाउंडिंग के खेल में मथुरा और वृंदावन शहर नक्शा ही बदल गया है। अवैध निर्माण होते वक्त आंख मूंद लेना और फिर नियमों को तोड़मरोड़कर उनकी कंपाउंडिंग कराकर वैध होने की मुहर लगा देना एमवीडीए की फितरत बन गई है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, छटीकरा, बरसाना में बने शॉपिंग कांप्लेक्स, कामर्शियल बिल्डिंग, होटल, गेस्ट हाउस, दुकान, मकान, नर्सिंग होम, बरातघर जैसी तमाम इमारतों में ज्यादातर में एमवीडीए के नियमों का पालन नहीं हुआ है।

मथुरा शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां तमाम संस्थानों ने लैंडयूज बदले और नक्शे मंजूर कराए बिना ही बिल्डिंग बना ली। मथुरा शहर के डेम्पियर नगर, कृष्णा नगर, महोली रोड, सौंख रोड, वृंदावन रोड में आवासीय एरिया में बड़ी संख्या में कामर्शियल बिल्डिंग भी प्राधिकरण की पुरानी कार्यशैली का नमूना हैं। वृंदावन के चैतन्य विहार, राधा निवास, सौफुटा रोड, छटीकरा रोड में दर्जनों कामर्शियल बिल्डिंग अवैध तरीके से बनकर खड़ी हैं। ये हैं कंपाउंडिंग के नियम -कोई भवन स्वामी आवासीय एरिया में आवासीय नक्शा मंजूर कराकर उसमें कामर्शियल गतिविधियां चला रहा है तो व्यवसायिक गतिविधियों में चलने वाले हिस्से (अधिकतम 30 फीसदी) को कामर्शियल में निर्धारित समन शुल्क जमाकर कंपाउंड किया जा सकता है। -किसी ने अपने भवन का नक्शा कामर्शियल मंजूर कराया है लेकिन निर्माण स्वीकृत नक्शे के विपरीत अधिक करा लिया है। बिल्डिंग के आगे पीछे सेट बैक फ्रंट बैक नहीं छोड़ा है तो उस भवन की निर्धारित शमन शुल्क जमा कर कंपाउंडिंग होगी। कंपाउंडिंग में अधिक बनी बिल्डिंग को तोड़कर सेट बैक और फ्रंट बैक छोड़ना अनिवार्य होगा। -व्यवसायिक भवनों के नक्शे स्वीकृत करने से पहले प्राधिरकरण बोर्ड उस पर विचार करेगा। इन संस्थानों को अपनी जमीन का लैंडयूज बदलवाना पड़ेगा। अगर बिना लैंडयूज बदले बिल्डिंग बनी है तो उसको भी निर्धारित शमन शुल्क लेकर कंपाउंड कराने का प्रावधान है। मगर, इनका शमन शुल्क इतना अधिक होता है कि अधिकांश व्यवसायी आधी-अधूरी कंपाउंडिंग कराते हैं। - अगर किसी भवन मालिक ने फ्रंट और सेट बैक नहीं छोड़ा है तो उस बिल्डिंग का 25 प्रतिशत हिस्सा ही कंपाउंड हो सकता है। इसमें सर्किल रेट की दो गुनी कीमत तक का शमन शुल्क जमा करना पड़ सकता है। ऐसे होता है कंपाउंडिंग में खेल मथुरा। जब किसी आवासीय या कामर्शियल बिल्डिंग की कंपाउंडिंग की जाती है तो उसमें प्राधिरकण का स्टाफ अतिरिक्त फायदा लेकर अवैध बिल्डिंग में 25 प्रतिशत हिस्से की कंपाउंडिंग करता है। भवन मालिक से 75 फीसदी हिस्सा तोड़ने का शपथ पत्र लिया जाता है। इस खेल में प्राधिकरण के कर्मचारी, जेई से लेकर ऊपर तक अफसर शामिल होते हैं। तभी अवैध बिल्डिंग की कंपाउंडिंग संभव होती है, जबकि प्राधिकरण नियमानुसार अवैध भवन के 75 फीसदी हिस्से को तोड़ना जरूरी है। इस हिस्से के टूटने की वीडियो और फोटोग्राफी कराकर प्राधिकरण टीम निरीक्षण करे। उसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही कंपाउंडिंग होनी चाहिए।

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