बोले मेरठ : अस्पतालों की व्यवस्था चलाने वाले अपनी अनदेखी से बेहाल
Meerut News - मेरठ में मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों के आउटसोर्सिंग कर्मचारी पहचान और स्थायी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। इन कर्मचारियों को वेतन, स्वास्थ्य सुविधाएं और पेंशन की कमी का सामना करना पड़ रहा है।...
मेरठ। मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में दिन रात मरीजों की सेवा में लगे आउटसोर्सिंग कर्मचारी और राज्य कर्मचारी दोनों ही अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की न तो कोई पहचान है, न ही आवाज। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों में सफाईकर्मी हों, वार्ड ब्वॉय, डाटा एंट्री ऑपरेटर या अन्य सहायक स्टाफ, इनके बिना अस्पतालों की व्यवस्था चलाना आसान नहीं है। लेकिन विडंबना है कि इन कर्मचारियों की कोई स्थायी पहचान नहीं है। यह बेहतर व्यवस्था के लिए खुद के स्थायित्व की मांग कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारी, चाहें वह सफाईकर्मी हों, वार्ड ब्वॉय, डाटा एंट्री ऑपरेटर या अन्य सहायक स्टाफ, इनके बिना अस्पतालों की व्यवस्था एक पल भी नहीं चल सकती। लेकिन इन कर्मचारियों की कोई स्थायी पहचान नहीं है। मेडिकल कॉलेज और सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकत्सालय में करीब 800 आउट सोर्सिंग कर्मचारी हैं। करीब 350 स्थाई कर्मचारी हैं। इनमें लैब अटेंडेंट, लैब टेक्निशियन, वार्ड ब्वॉय, नर्सिंग स्टाफ, कंप्यूटर ऑपरेटर, ड्राइवर, मैस में खाना बनाने वाले, बिजली कर्मचारी और वार्ड के पीआरओ शामिल हैं।
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ राजकीय कर्मचारियों की भी कई समस्याएं हैं। कॉलेज और अस्पताल स्टाफ का हिस्सा होते हुए भी खुद की और परिवार की चिकत्सा के लिए इनको जूझना पड़ता है। आउटसोर्सिंग कर्मचारी सुविधाएं चाहते हैं तो मेडिकल के राजकीय कर्मचारी पदनाम, पेंशन व अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।
लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज और सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकत्सालय में हिन्दुस्तान बोले मेरठ की टीम से समस्याओं को साझा करते हुए राजकीय मेडिकल कॉलेज कर्मचारी महासंघ प्रदेश अध्यक्ष कपिल प्रताप राणा ने कहा कि अस्पतालों में ठेकेदारी प्रथा को पूर्ण रूप से खत्म किया जाए। जिन लोगों को ठेकेदारों के जरिए आउटसोर्सिंग पर रखा जा रहा है, उनकी सेलरी बहुत कम है। पीएफ या ईएसआई की व्यवस्था नहीं है। आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों के लिए स्थाई व्यवस्था की जानी चाहिए।
मिले पहचान और समय पर वेतन
मेडिकल में काम करने वाले सचिन कुमार का कहना है कि यहां ठेकेदार द्वारा तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों की कोई पहचान नहीं है। उनको कर्मचारी ही नहीं माना जाता है। कई बार तो तीन-तीन महीने वेतन नहीं मिलता। अगर परिवार के लोगों को बीमारी के दौरान दिखाने लाया जाए तो बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती है।
संविदा और आउटसोर्सिंग वाले हों स्थाई
स्वास्थ्य कर्मचारी अनिल शर्मा, यदवीर सिंह, धर्मेंद्र पंवार और रोहित कुमार का कहना है कि संविदा और आउटसोर्सिंग पर रखे कर्मचारियों को उसी स्थान पर समायोजित कर स्थाई कर दिया जाए। उनके परिवार को निशुल्क जांच व इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बनी सुपर स्पेशलिटी बिल्डिंग में कर्मचारियों और उनके परिवार वालों से भी पैसे लिए जाते हैं, जबकि यहां के कर्मचारी और उनके परिजनों का इलाज निशुल्क किया जाए। कर्मचारियों के आश्रितों को निशुल्क जांच की सुविधा मिले और प्राथमिकता पर उनका इलाज हो।
कर्मचारियों और परिजनों के इलाज को बने अलग वार्ड
अनिल धवन, सचिन और खेमकरण यादव का कहना है कि अस्पताल और कॉलेज में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को बुनियादी सुविधाएं मिलें। संविदा पर काम करने वाले और आउटसोर्सिंग कर्मियों को स्थाई किया जाए। उन्हें मेडिकल सुविधाएं मिलें। उनका पीएफ कटे और बीमा सुरक्षा प्रदान की जाए। कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था हो। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहले भी व्यवस्था थी, जो खत्म कर दी गई। अब जनरल मरीजों के साथ कर्मचारियों के परिवार वालों को भर्ती किया जाता है।
मिले पदनाम, पहचान और पेंशन
मेडिकल कर्मचारी राकेश पंवार, अखिलेश वर्मा और हरभजन सिंह का कहना है कि अधिकारियों के वाहन चलाने वालों और लैब टेक्निशयन को पदनाम मिलना चाहिए। इसके लिए कई बार मांग की, लैब टेक्निशयन को 'लैब टेक्नोलॉजिस्ट' और चालक को 'सारथी' पदनाम दिया जाना चाहिए। वहीं, राजकीय कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए, क्योंकि कोई भी नई पेंशन नहीं चाहता।
पे-ग्रेड बढ़कर मिले, बनें आवास
मेडिकल कर्मचारियों का कहना है लैब टेक्निशयन का पे-ग्रेड 4200 किया जाए, उनको आज भी 2800 वाला पे-ग्रेड वाला वेतन मिल रहा है। उनके साथ वाले अन्य विभागों के कर्मचारियों का पे-ग्रेड बढ़ चुका है। वेतन विसंगति दूर कर समाधान निकाला जाए। कैंपस में कर्मचारियों के बच्चों की शादी समारोह या अन्य कार्यक्रमों के लिए ऐसी जगह तैयार की जाए, जहां आयोजन किए जा सकें। एक मैरिज हॉल बन जाए तो कर्मचारियों के बच्चों के शादी विवाह में सहारा लग जाएगा। कर्मचारियों के मकानों की हालत जर्जर हो चुकी है, उनकी मरम्मत की जाए। या नए मकान दिए जाएं।
कोविड के समय का मिले भत्ता और सुविधाएं
मेडिकल कर्मचारियों का कहना है कि उनको कोविड के समय का महंगाई भत्ता आज तक नहीं मिला है। उसकी व्यवस्था प्रबंधन द्वारा की जाए। कैंपस में बने आवासों की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है, कैंपस में कर्मचारी कॉलोनी में कई जगहों पर पाइप लाइन फटी हैं। पीने का पानी भी खराब आता है। बुनियादी सुविधाएं मिलें और संविदा व आउटसोर्स कर्मचारियों को समायोजित किया जाए।
कर्मचारियों के लिए हो यह व्यवस्था
मेडिकल कॉलेज कर्मचारी संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश वर्मा और अन्य कर्मचारियों का कहना है कि सभी के लिए कैंपस में एक्सरसाइज और खेलकूद के मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए। कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन, पे-ग्रेड, पदनाम की व्यवस्था हो, कर्मचारियों के लिए दस बेड का अलग से वार्ड बनवाया जाए। कैंपस में मौजूद कर्मचारी भवन की रंगाई-पुताई की जानी चाहिए।
समस्याएं
- आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती बड़े स्तर की जाती है
- आउटसोर्स कर्मचारी पहचान के लिए परेशान
- मेडिकल में काम करने वाले कर्मचारियों को पदनाम नहीं
- सरकारी आवासों के भवन जर्जर हो चुके
- स्वास्थ्य सुविधाओं में कर्मचारियों को पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता
- वेतन और पदोन्नति के लिए कर्मचारी परेशान रहते हैं
- पुरानी पेंशन बहाली की मांग सभी कर्मचारी करते हैं
सुझाव
- आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की जगह स्थाई भर्ती की जाए
- आउटसोर्स कर्मचारी को भी पहचान पत्र मिले
- कर्मचारियों को पदनाम दिया जाए, ताकि मनोबल बढ़े
- जर्जर हो चुके सरकारी आवासों के भवनों को ठीक किया जाए
- स्वास्थ्य सुविधाओं में कर्मचारियों को लाभ दिया जाए
- कर्मचारियों को पुरानी पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलें
- वेतन और पदोन्नति की विसंगतियां दूर की जाएं
ये बोले जिम्मेदार
कर्मचारियों के आवासों का निरीक्षण किया जा चुका है, इनकी मरम्मत के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। पदोन्नति वेतनमान समेत अन्य कर्मचारियों की समस्याओं के लिए शासन को पत्र लिखकर अवगत कराया जाएगा, जल्द कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण किया जाएगा।
- डॉ. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, एलएलआरएम, मेडिकल कॉलेज
हमारी भी सुनो
सभी पदों पर स्थाई भर्ती की जानी चाहिए, विभागों में संविदा और आउटसोर्स भर्ती की व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। - राकेश पंवार
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कर्मचारियों और उनके आश्रितों का इलाज व जांच प्राथमिकता पर हो तथा निशुल्क व्यवस्था होनी चाहिए। - अनिल शर्मा
ठेकेदारी प्रथा में सेलरी बहुत कम होती है, काम पूरा लिया जाता है, ना सेलरी समय से मिलती है, ना ही कोई अन्य सुविधाएं मिलती हैं। - कपिल राणा
राजकीय कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर किया जाए, सभी कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। - धर्मेंद्र कुमार
हम लोग चाहते हैं कि अस्पताल में हमारे इलाज के लिए अलग व्यवस्था हो, ताकि हमें पब्लिक वार्ड की समस्या से जूझना न पड़े। - रोहित कुमार
कर्मचारियों के आवासों की हालत एकदम जर्जर हो चुकी है, कभी मकान गिर सकते हैं, इनकी जगह नए मकान दिए जाने चाहिएं। - अनिल धवन
आउटसोर्स कर्मचारियों को कोई कर्मचारी ही नहीं मानता, पहचान की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि हमें भी कर्मचारी समझा जाए। - सचिन कुमार
कर्मचारियों के बच्चों के लिए कैंपस में शादी विवाह या अन्य समारोह के लिए कोई मैरिज हॉल बना दिया जाए तो बात बन जाए। - खेमकरण यादव
कर्मचारियों को कोविड के समय का महंगाई भत्ता नहीं मिला है, उसकी व्यवस्था की जाए, कैंपस में जर्जर भवन ठीक कराए जाएं। - अखिलेश वर्मा
ठेका प्रथा बंद होनी चाहिए, संविदा कर्मियों को स्थाई किया जाए और स्थाई कर्मचारियों की पेंशन बहाली की मांग पूरी की जाए। - यदवीर सिंह
राज्य कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं, ताकि बुढ़ापे में उन्हें वित्तीय सुरक्षा मिल सके। - सोहनलाल कर्दम
कैंपस में कर्मचारियों के भवन की हालत खराब है, उसका रंग रोगन किया जाना चाहिए, साथ ही कर्मचारियों को पदनाम मिले। - हरभजन सिंह
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