बोले काशी : वाहनों का शार्टकट रास्ता बना कैंपस, छात्राएं गंदगी-सड़क से भी बेबस
Varanasi News - बरेका महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने कॉलेज में सुरक्षा, स्वच्छता और संसाधनों की कमी की समस्याओं को उठाया है। बाउंड्री वॉल टूटने से कैंपस में वाहनों का आवागमन बढ़ गया है, जिससे असुरक्षा का माहौल बना...
वाराणसी। शिक्षा के लिए किताब-कॉपी, पेन के साथ अच्छा परिवेश भी जरूरी है। वह परिवेश सुरक्षा, स्वच्छता और संसाधनों से बनता है। ऐसा परिवेश बरेका के महिला महाविद्यालय में भी जरूरी है। छात्राओं की ही जुबानी, कैंपस आम वाहनों का शार्टकट रास्ता बन गया है क्योंकि मुद्दत से बाउंड्री वॉल टूटी पड़ी है। मैदान में छात्राओं-अध्यापकों के वाहन खड़े होते हैं। कैंपस के अंदर और बाहर गंदगी के साथ कॉलेज को जाने वाली सड़क की दुर्दशा छात्राओं का ‘मूड ऑफ कर देती है। वे माहौल में बदलाव चाहती हैं। बनारस रेल इंजन कारखाना के एफसीआई गेट से निकलते ही महिला कॉलेज स्थित है। वर्ष 2000 में स्थापित कॉलेज में बीए और बीकॉम के कोर्स चलते हैं। दो हजार के आसपास छात्राएं हैं। परिसर में ‘हिन्दुस्तान से परिचर्चा के दौरान छात्राओं ने कई मूलभूत समस्याओं का उल्लेख किया। दीक्षा, इशिका के मुताबिक छात्राओं की सबसे बड़ी समस्या कॉलेज की बाउंड्री न बनना है। बताया कि यह लंबे से गिरी पड़ी है। इसका लाभ उठाते हुए एफसीआई या ककरमत्ता से आने वाले वाहन सवार कैंपस परिसर से ही मंडुवाडीह थाना की ओर निकल लेते हैं। उन्हें मंडुवाडीह चौराहा का जाम नहीं झेलना पड़ता। आम लोगों की सहूलियत कॉलेज की छात्राओं के लिए फजीहत बन गई है। असुरक्षा का भाव तो रहता ही है, हार्न बजाते वाहनों की आवाजाही से कक्षाएं भी प्रभावित होती हैं। प्रिया ने बताया कि कॉलेज परिसर में स्थायी सफाईकर्मी नहीं हैं। कॉलेज में कोई आयोजन होने पर छात्राओं को सफाई करनी पड़ती है। बोलीं, एक तरफ स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। यहां शिक्षा मंदिर में ही स्वच्छता का अभाव है तो छात्राओं में स्वच्छता का उत्साह कैसे आएगा।
खेल के मैदान में पार्किंग
सुनैना ने कहा कि एक तरफ खेल को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने वाली लड़कियां भी स्कूल, कॉलेज से ही निकल रही हैं। जबकि इस कॉलेज का मैदान खेल मैदान लगता ही नहीं। कोई सुविधा नहीं है। मैदान में वाहन पार्क किए जाते हैं। ऐसे में कोई खेल का क्या अभ्यास करेगा।
कॉलेज तक नहीं आते ऑटो
चंदा, जया ने बताया कि कॉलेज तक ऑटो नहीं आते। घंटों इंतजार के बाद दोगुना दाम देना पड़ता है। जो छात्राएं दूर से आती हैं, उन्हें समस्या होती है। शिवन्या, निशी और सपना ने बताया कि कई बार ऑटो वाले कॉलेज से दूर ही छोड़ देते हैं जबकि किराया पूरा लेते हैं। उन्होंने कॉलेज से बस के संचालन पर जोर दिया। बोली, इसका दूरी के अनुसार किराया तय की जाए। जैसे छात्राएं फीस का भुगतान करती हैं, वैसे ही किराये का भी भुगतान करेंगी। प्रिया ने कहा कि कॉलेज बस चलेगी तो छात्राएं सुरक्षित महसूस करेंगी। आवागमन में भी सहूलियत होगी।
एमए कोर्स बंद होने परेशानी
महाविद्यालय में एमए कोर्स बंद होने से छात्राएं परेशान हैं। अर्चना यादव, सोनी पटेल, संजना सिंह ने कहा कि एमए का कोर्स चलता तो बीए के बाद पीजी भी हो जाता। प्रवेश के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। शिक्षकों ने बताया कि कुछ वर्षों तक एमए कोर्स का संचालन किया गया। लेकिन सरकार की ओर से शिक्षकों का पद स्वीकृत नहीं होने से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कोर्स संचालन पर रोक लगा दी।
वाई-फाई की सुविधा नहीं
छात्राओं ने कहा कि कॉलेज में वाई-फाई लगा है लेकिन इसका लाभ नहीं मिलता। डिजिटल शिक्षा से जुड़ने की सुविधाएं नहीं है। कॉलेज में वाई-फाई सुविधा मिले तो जो छात्राएं नेट का रिचार्ज कराने में सक्षम नहीं है, वे खाली समय में यहां लाभ उठा सकती हैं। संजना, सोनी, पिंकी, प्रियंका ने बताया कि कॉलेज में कंप्यूटर टीचर की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में लैब का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। छात्राएं खुद से सीखने का प्रयास करती हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। वे चाहती हैं कि एक कंप्यूटर टीचर की नियुक्ति हो जो छात्राओं को बेसिक चीजें सिखा सकें।
सोलर पैनल का लाभ नहीं
छात्राओं ने बताया कि कॉलेज में सोलर पैनल लगा हुआ है लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं होता। बिजली जाने पर गर्मी में ही कक्षाएं चलती हैं। संजना, शिवन्या ने कहा कि सोलर पैनल में कोई खराबी है तो इसे ठीक कराना चाहिए। सरकार इस पर पैसे खर्च कर रही है तो इसका लाभ मिलना चाहिए। गर्मी में पावर कट की समस्या बढ़ जाती है। तक पढ़ाई भी बाधित होती है। सोलर पैनल चलने से बिजली की खपत कम होगी। पर्यावरण संरक्षण में योगदान होगा।
शिक्षकों का अवकाश, नहीं चलती क्लास
छात्राओं ने बताया कि शिक्षकों के छुट्टी पर रहने के दौरान कक्षाएं बाधित होती हैं। वैकल्पिक व्यवस्था न होने से कोर्स अधूरा रहता है। इससे परीक्षा के समय परेशानी का सामना करना पड़ता है। रोशनी, अंजलि, शिवानी ने बताया कि छुट्टी पर जाने वाले शिक्षक ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाते हैं। व्हाट्सएप ग्रुप में मैटेरियल भेजते हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता।
सुझाव
1- कॉलेज बाउंड्री की मरम्मत कराई जाए। इससे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहेगी। इसके साथ ही कैंपस में अराजकता नहीं फैलेगी। वाहनों के आवागमन पर रोक लगेगी। शिक्षा में बाधा नहीं आएगा।
2-छात्राओं को भी वाईफाई की सुविधा मिले। इससे जो छात्राएं नेट का रिचार्ज कराने में सक्षम नहीं हैं, वे खाली समय में नई चीजें सीख सकेंगी।
3- स्वच्छता अभियान से कॉलेज को भी जोड़ा जाए। रैली निकालने के अलावा परिसर को स्वच्छ रखने की व्यवस्था की जाए। सफाईकर्मी की नियुक्ति के साथ प्रतिदिन सफाई हो।
4- सोलर पैनल में अलग कोई गड़बड़ी है तो उसे दुरुस्त कराया जाए। बिजली कटने पर इसका प्रयोग होना चाहिए। इससे पर्यावरण संरक्षण भी होगा।
5- कॉलेज के मैदान की मरम्मत कराई जाए। इसमें सुविधाओं का विस्तार हो। ताकि छात्राएं वहां अभ्यास कर सकें। खेलों के साथ जिम के उपकरणों की भी व्यवस्था हो।
शिकायतें
1- बाउंड्री नहीं होने से परिसर से वाहनों का आवागमन होता है। लोगों ने कैंपस को शॉर्टकट रास्ता बना लिया है। इससे असुरक्षा के साथ दुर्घटना का भी डर रहता है।
2- वाईफाई सुविधा का छात्राओं को लाभ नहीं मिलता। डिजिटल शिक्षा से जुड़ने के लिए कॉलेज में जरूरी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
3- कॉलेज में स्वच्छता का अभाव है। शौचालय के साथ पूरे परिसर में गंदगी रहती है। इससे पढ़ने का माहौल नहीं बन पाता। बीमारियों का खतरा भी रहता है।
4- सोलर पैनल का लाभ नहीं मिल रहा है। बिजली जाने के बाद गर्मी में ही पढ़ना पड़ता है। गर्मी में पावर कट की समस्या बढ़ जाती है। इससे परेशानी होती है।
5- कॉलेज का मैदान खस्ताहाल है। वहां गाड़ियां खड़ी हो रही हैं। मैदान का सही इस्तेमाल भी नहीं हो रहा है।
सुनें हमारी आवाज
कॉलेज की तरफ आने वाली जर्जर सड़क से आवागमन में परेशानी होती है। गिरने का खतरा रहता है।- दीक्षा
बाउंड्री टूटने से सुरक्षा का अभाव खटकता है। वाहनों के साथ अराजकतत्व भी परिसर में पहुंच जाते हैं।
- शिवन्या
महाविद्यालय में कंप्यूटर लैब है लेकिन शिक्षक की नियुक्ति नहीं होने से इसका लाभ नहीं मिल पाता है।
- प्रिया
खेल मैदान का सुंदरीकरण कराया जाए ताकि छात्राएं वहां अभ्यास कर सकें। जिम के उपकरण की भी व्यवस्था हो।
- पिंकी यादव
कॉलेज में एमए कोर्स फिर से शुरू होना चाहिए। इससे छात्राओं को प्रवेश के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
- जया
एक तरफ सरकार स्मार्ट क्लास और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, वहीं हमारे कॉलेज में सुविधाएं नहीं हैं।
- सुनैना
महाविद्यालय में अत्याधुनिक खेल मैदान, लैब, पानी औरर शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
- अर्चना
कॉलेज बस की सुविधा शुरू हो ताकि दूर से आने वाली छात्राओं को लाभ मिले। कॉलेज के पास ऑटो नहीं मिलता।
- सोनी पटेल
पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो। प्रतिदिन वाटरकूलर चले। किसी गड़बड़ी पर तुरंत मरम्मत होना चाहिए।
- चंदा
कॉलेज आने वाले रोड की मरम्मत कराई जाए। ताकि छात्राओं को आने में परेशानी न हो।
- पिंकी यादव
बाउंड्री का निर्माण जल्द शुरू होगा : प्राचार्य
बाउंड्री के निर्माण के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। एक कंपनी को निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है। जल्द निर्माण शुरू होगा। एक विषय में एक ही शिक्षक की नियुक्ति है। जब किसी भी विषय का शिक्षक छुट्टी पर होता तो क्लास प्रभावित न हो, इसका प्रयास किया जाता है। खेल मैदान, सफाई आदि से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
- डॉ. बृजकिशोर त्रिपाठी, प्राचार्य
एक नजर
24 वर्ष पहले हुई बरेका महिला डिग्री कॉलेज की स्थापना
11 शिक्षक-शिक्षिकाएं पढ़ाते हैं कॉलेज में
02 हजार के आसपास है छात्राओं की संख्या
02 कोर्स-बीए और बीकॉम के चलते हैं यहां
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