बोले मेरठ : स्टांप विक्रेताओं को नियमों में छूट, कमीशन में बढ़ोत्तरी की दरकार
Meerut News - भारत में स्टांप विक्रेताओं की स्थिति बेहद खराब है। कमीशन बहुत कम है और सरकारी सुविधाओं का अभाव है। पहले मेरठ में 300 से ज्यादा विक्रेता थे, अब केवल 180 बचे हैं। ई-स्टांपिंग के चलते उनकी आजीविका खतरे...

हमारे देश की न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था में स्टांप पेपर की अहम भूमिका होती है। रजिस्ट्री, शपथपत्र, अनुबंध, विवाह प्रमाण-पत्र, किरायानामा, पावर ऑफ अटॉर्नी, न जाने कितने कानूनी दस्तावेज इन्हीं स्टांप पेपर पर लिखे जाते हैं। लेकिन जिन हाथों से ये स्टांप लोगों को मिलते हैं, उन स्टांप विक्रेताओं की जिंदगी आज खुद समाधान की गुहार लगा रही है। स्टांप से मिलने वाला कमीशन बहुत कम होता है, जिससे उनका घर चलना मुश्किल हो जाता है। उनके लिए ना कोई सरकारी सुविधा है और ना ही अन्य व्यवस्था। मेरठ की तहसील और कचहरी में कभी 300 से ज्यादा स्टांप विक्रेता हुआ करते थे।
सरकारी नियमों के तले दबे स्टांप विक्रेताओं की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है। तहसील में पहले ही इनकी व्यवस्था लगभग खत्म सी हो चुकी है, अब कचहरी में भी कुल मिलाकर 180 स्टांप विक्रेता ही काम कर रहे हैं। वर्तमान में स्टांप विक्रेताओं पर नियमों की सख्त जंजीरें हैं। हर लेनदेन का हिसाब, हर बिक्री की रिपोर्ट, बैंक चालान की बाध्यता, इसके बावजूद इनका ना तो कोई वेतन है और ना ही इनको कोई सुविधाएं हैं। वहीं इनको स्टांप का मिलने वाला कमशीन बहुत कम है, जिससे इनका गुजारा भी नहीं चलता। बस किसी तरह काम चला रहे हैं, बहुत तो यह काम छोड़कर अन्य कार्यों में लग गए हैं। स्टॉक हॉल्डिंग और कमीशन की मार स्टांप विक्रेताओं का कहना है कि उनको सबसे बड़ी समस्या स्टॉक हॉल्डिंग के कारण होता है। अगर कंपनी से पांच सौ स्टांप मांगते हैं, तो पचास ही मिलते हैं। इसके बाद अगर एक लाख का स्टांप बेचना हो तो उसका कमीशन केवल 90 रुपये मिलता है। इसमें प्रिंट भी होता है, लाइट खर्च होती है, पेपर लगता है, खर्चा ज्यादा होता है और कमाई कम होती है। बहुत सारे स्टांप वेंडर ने तो यह काम ही बंद कर दिया है। ऊपर से डिजिटल इंडिया के तहत ई-स्टांप सुविधा आई, जो एक अच्छी पहल है। लेकिन इसके कारण परंपरागत स्टांप विक्रेताओं की आजीविका खतरे में पड़ गई है। करेक्शन के लिए घंटों होते हैं परेशान स्टांप वेंडर्स का कहना है कि अगर स्टांप में कोई करेक्शन कराना हो तो उसके लिए घंटों लग जाते हैं। उधर पार्टी परेशान रहती है और इधर स्टांप वेंडर। कई बार तो बड़ी दिक्कतें पैदा हो जाती हैं, पार्टी इसका कारण स्टांप वेंडर्स को मानती है। एक समय था, जब स्टांप विक्रेता के काम को नौकरी की तरह देखा जाता था। आज वही विक्रेता आर्थिक तंगी, कर्ज और मानसिक अवसाद से जूझ रहा है। कई विक्रेताओं के परिवारों में शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा जैसी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। ना सुरक्षा, ना ही पेंशन की गारंटी स्टांप विक्रेता बताते हैं कि सरकार की ओर से न कोई पेंशन योजना है, न कोई बीमा सुविधा मिलती है। 62 साल के अर्जुन गोयल जो स्टांप विक्रेता संघ यूपी मेरठ ईकाई के पूर्व महामंत्री रहे बताते हैं, कि किसी को कोई सुरक्षा या बीमा नहीं मिलता। सरकार को चाहिए, कि वो हम विक्रेताओं के लिए पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और बुज़ुर्ग सहायता योजना जैसी सुविधाएं शुरू करे, जैसे अन्य असंगठित कामगारों के लिए की जाती हैं। जो स्टांप विक्रेता ई-स्टांप प्रणाली से पिछड़ गए हैं, उन्हें डिजिटल ट्रेनिंग दी जाए, ताकि वे ई-स्टांप सेवा का हिस्सा बन सकें और अपने व्यवसाय को नया आयाम दे सकें। स्टांप विक्रेताओं को एक मान्य व्यावसायिक पहचान दी जानी चाहिए। इतने कम कमीशन में कैसे चले खर्चा स्टांप विक्रेताओं का कहना है कि स्टांप का कमीशन बहुत कम मिलता है। महीने भर में बिकने वाले एक लाख के स्टांप का सरकारी कमीशन 90 रुपये होता है। जबकि इससे ज्यादा खर्चा तो उसको प्रिंट कराने में लग जाता है। ऊपर से जनरल स्टांप के लिए दिनभर बैंक में खड़ा रहना पड़ता है। वहीं स्टांप वेंडर को जगह की भी बड़ी समस्या रहती है, कोई स्थाई जगह नहीं है, जहां बैठकर वह अपना काम कर सकें। पहले तहसीलों में भी स्टांप वेंडर हुआ करते थे, जिनकी व्यवस्था अब खत्म हो गई है। सर्वर या बिजली गई तो झेलते हैं नुकसान स्टांप वेंडर्स का कहना है कि पांच सौ रुपये या इसके नीचे वाले स्टांप में बहुत दिक्कत होती है। अगर सर्वर डाउन होने के कारण या फिर बिजली गुल होने पर स्टांप फंस जाए तो उसका नुकसान हमें ही झेलना पड़ता है। सरकार को स्टांप बिक्री से बहुत बड़ा रेवेन्यू मिलता है, इसके बावजूद हमारे लिए कुछ नहीं किया जाता। बहुत सारे लोगों ने इसलिए काम छोड़ दिया क्योंकि ई-स्टांप के कारण नुकसान अधिक होता है और फायदा कम। जनता का पैसा, इनकम टैक्स वेंडर्स पर स्टांप विक्रेताओं का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या आजकल इनकम टैक्स की भी है। जनता का पैसा अगर हम अपने खाते में रख लेते हैं तो उसके लिए इनकम टैक्स वाले परेशान करते हैं। जबकि वह सरकारी खाते में जाता है। पहले ही कमीशन कम मिलता है, इसके बावजूद काम चलाने के लिए कंप्यूटर जानकार भी रखना पड़ता है। उसको भी सैलरी देनी होती है, अगर काम ना हो तो बड़ी दिक्कत हो जाती है। वहीं वर्तमान में बनाए जाने वाले स्टांप की क्वालिटी भी खराब है। पहले के स्टांप पचास साल तक भी ऐसे ही रहते थे, लेकिन आजकल कुछ ही दिनों में रंग बदल लेते हैं। पेपर की क्वालिटी को बेहतर किया जाए, ताकि वह लंबे समय तक चलें। समस्या - स्टांप वेंडर्स के लिए कोई स्थाई और सही जगह नहीं - स्टांप पर मिलने वाला कमीशन बहुत ही कम होता है - स्टांप वेंडर्स के लिए भी सरकारी सुविधाओं का अभाव है - कोई दुर्घटना बीमा भी नहीं होता है, ना जनरल इंश्योरेंस - जनता के पैसे को लेकर इनकम टैक्स वाले परेशान करते हैं सुझाव - स्टांप वेंडर्स के लिए स्थाई जगह उपलब्ध होनी चाहिए - स्टांप पर मिलने वाला कमीशन बढ़ाया जाना चाहिए - सरकारी सुविधाओं का लाभ भी स्ट्रीट वेंडर्स को मिले - सरकार की तरफ से स्टांप वेंडर्स का दुर्घटना बीमा हो - खाते में पहुंचने वाले पैसों पर इनकम टैक्स ना लगे इनका कहना है स्टॉक हॉल्डिंग की समस्या बहुत बड़ी है, कंपनी उतने स्टांप नहीं देती जितने स्टांप वेंडर को चाहिए, ऊपर से कमीशन कम। - गौरव स्टांप पर मिलने वाला कमीशन बहुत कम है, इसको बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि हम सभी का जीवन भी अच्छे से चल सके। - राजू गुप्ता स्टांप करेक्शन में बहुत दिक्कत आती है, घंटों खड़ा रहना पड़ता है, जनरल स्टांप के लिए भी बैंक में बहुत समय खराब होता है। - अर्जुन गोयल सर्वर डाउन हो या फिर अचाकन बिजली चली जाए तो स्टांप फंस जाता है, इससे होने वाला नुकसान स्टांप वेंडर ही झेलता है। - आकाश अग्रवाल कई बार तकनीकी समस्या के कारण स्टांप वेंडर को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है, बीच में ही स्टांप प्रक्रिया रुक जाती है। - विनोद कुमार मित्तल लोग बहुत सालों से स्टांप विक्रेता का काम कर रहे हैं, बहुत सारे लोगों ने छोड़ भी दिया है, क्योंकि सही पैसे ही नहीं मिलते। - कंवरपाल सिंह सरकार को स्टांप बिक्री से बड़ा रेवेन्यू मिलता है, इसके बावजूद हमारे लिए सरकार की तरफ से कोई बुनियादी सुविधा नहीं है। - ईशांत गर्ग सरकारी कमशीन बहुत कम है, एक लाख रुपये के स्टांप पर नब्बे रुपये मिलते हैं, जबकि बैंक में इसके 120 रुपये कटते हैं। - अरुण शर्मा सरकार की तरफ से दूसरे असंगठित क्षेत्रों के लोगों को दी जाने वाली सुविधाएं हम सभी को मिले तो राहत की बात होगी। - जितेंद्र कुमार मोघा मैंने काफी समय पहले यह काम छोड़ दिया, बहुत दिक्कतें होती थीं, मिलता कुछ नहीं था, दिनभर भागमभाग, फिर भी बेकार। - अमन कश्यप सरकार को चाहिए कि वो स्टांप विक्रेताओं के लिए पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और बुज़ुर्ग सहायता योजना जैसी सुविधाएं शुरू करें। - नसीर अहमद आजकल स्टांप विक्रेता परेशान रहते हैं, ई-स्टांप के कारण कुछ खास नहीं मिल पाता है, कमीशन भी ना के बराबर होता है। - अजय शर्मा अगर सरकार की तरफ से कमीशन बढ़ जाए तो बहुत राहत होगी, घर के खर्चे भी नहीं निकलते, बहुत दिक्कत होती है। - शुभम शर्मा कहना इनका स्टांप विक्रेताओं के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ई-स्टांपिंग से अब लोगों को बहुत आसानी से स्टांप की सुविधा मिल रही है। इसी तरह स्टांप वेंडर को पहले एक बैनामे में 15 हजार तक के स्टांप पेपर की बिक्री की अनुमति थी। अब वह लिमिट खत्म हो गई है। स्टांप वेंडर जितना चाहें उतने के ई-स्टांप की बिक्री कर सकते हैं। लाख, दो लाख, पांच लाख मूल्य तक के स्टांप ई-स्टांप से लिये जा सकते हैं। किसी प्रकार की दिक्कत हो तो संपर्क कर सकते हैं। -नवीन कुमार शर्मा, एआईजी स्टांप
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