गोवंश आश्रय स्थलों में क्षमता से अधिक गोवंश
Mirzapur News - जिगना क्षेत्र के आश्रय स्थलों में गोवंश की संख्या क्षमता से तीन गुना अधिक है। गर्मियों में तपिश और लू से बचाव का कोई इंतजाम नहीं है। नीबी-गहरवार और जासा-बघौरा गांवों में गोवंश की दुर्दशा पर पशु...
जिगना। क्षेत्र के आश्रय स्थलों में क्षमता से तीन गुना अधिक गो वंश ठूंसकर रखे गए हैं। गर्मियों के मौसम में तपिश और लू से बचाव का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। नीबी गहरवार गांव के आश्रय स्थल में 178 और जासा-बघौरा गांव के सिकटिहा मजरा स्थित आश्रय स्थल में 54 गोवंश रखे गए हैं। जो दोनों स्थलों पर क्षमता से अधिक संख्या है। नीबी-गहरवार, जासा-बघौरा, रसौली, गौरा गावों में टिनशेड के नीचे गोवंश तपिश की मार झेल रहे हैं। टिन के उपर पुआल बिछाने व लू से बचाव के लिए चौतरफा घेरा बनाने की जरूरत है। पशु चिकित्सा केंद्र हरगढ़ के प्रभारी चिकित्सक सुभाष सिंह ने बताया कि सूचना मिलने पर दवा-इलाज किया जाता है। फिर भी नियमित अंतराल पर गोवंश के दम तोड़ने के सवाल पर पशु चिकित्सकों ने दबी जुबान में बताया कि पौष्टिक आहार व हरे चारे को कौन कहे यहां तो पुआल कुट्टी मिला भूसा खिलाया जा रहा है। जासा-बघौरा गांव के प्रधान संतोष सिंह ने बताया कि हरे चारे की बुआई की जा रही है। यहां एक और आश्रय स्थल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। वहीं नीबी गहरवार गांव की प्रधान माधुरी सोनकर ने बताया कि किसानों के दबाव के चलते गोवंश की संख्या में लगातार इजाफा कर रहे हैं। मना करने पर मारपीट पर उतारू हो जाते है। समय से पैसे नहीं मिलने से भूसा विक्रेताओं की देनदारी भी बनी रहती है। आश्रय स्थलों से चंद फर्लांग दूरी पर खुदाई किए गए गड्ढों में मृत गोवंश का डिस्पोजल किया जाता है। दुर्गंध के कारण आसपास से गुजरने वाले पैदल यात्री व वाहन चालक नाक पर रूमाल रखकर फर्राटा भरते हैं। वीडियो रामपाल ने बताया कि आश्रय स्थलों का निरीक्षण किया जाता है। पशु प्रेमियों ने आश्रय स्थलों के बदहाली की ओर जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है।
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