रिश्तों में धोखाधड़ी ने बढ़ाया खतरा, एड्स से बचाएगी दवा
Moradabad News - मुरादाबाद में एचआईवी एड्स से संक्रमित पुरुषों द्वारा असंक्रमित महिलाओं से विवाह करने के मामले बढ़ रहे हैं। इसके खिलाफ सुरक्षा के लिए पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस थेरेपी (पीईपी) का उपयोग किया जा रहा...

मुरादाबाद। एचआईवी एड्स जितनी खतरनाक बीमारी है उससे संक्रमित हो चुके कई मरीजों की तरफ से रिश्ता बनाने में कथित रूप से अंजाम दी जा रही धोखाधड़ी इससे भी ज्यादा खतरनाक शक्ल में सामने आ रही है। इसी तरह की धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों को एड्स की बीमारी के चंगुल में फंसने से रोकने के लिए पीईपी (पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस थेरेपी) कारगर हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि शरीर में एड्स का संक्रमण हो जाने से पहले ही इसका प्रयोग होना कारगर है। इसे सुनिश्चित करने के लिए उस व्यक्ति का जागरूक होना बहुत जरूरी है जिसे एचआईवी एड्स पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपने साथ कथित रूप से धोखाधड़ी होने का एहसास हो जाता है।
मुरादाबाद में जिला अस्पताल स्थित एंटीरेटरोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर पर इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं, जिसमें एचआईवी एड्स संक्रमित पुरुष अपनी बीमारी को छिपाकर असंक्रमित महिला के साथ विवाह कर लेता है। चिकित्सकों के मुताबिक इसी तरह एड्स संक्रमित महिला भी असंक्रमित पुरुष से विवाह कर लेती है, लेकिन, एचआईवी एड्स पीड़ित पुरुष की तरफ से ऐसी धोखाधड़ी किए जाने के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। एआरटी सेंटर पर पहुंचकर जो भी महिला अपने साथ धोखाधड़ी होने का हवाला देकर एड्स की चपेट में आने के खतरे को साझा करती है उसका पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस थेरेपी (पीईपी) थेरेपी से इलाज शुरू कर दिया जाता है। इसके अंतर्गत एड्स की दवा 28 दिन तक रोज खानी होती है। इससे संबंधित व्यक्ति को एचआईवी एड्स होने का खतरा कम हो जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस थेरेपी उन चिकित्सा कर्मियों का एड्स से बचाव करने के मामले में भी कारगर है जो एचआईवी एड्स संक्रमित मरीज का इलाज करते समय खतरे के जद में आ जाते हैं। एड्स मरीज को इंजेक्शन लगाने पर दुर्घटनावश सुई उनके चुभ जाती है। मुरादाबाद में कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। सुई चुभ जाने की चपेट में आए कई चिकित्सा कर्मियों को 28 दिन तक रोज दवा देकर एड्स के खतरे से बचाया गया है। किसी भी रूप में अचानक एड्स के संक्रमण के खतरे की जद में आ जाने वाले लोग अगर अपनी समस्या साझा करते हैं तो उन्हें पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस थेरेपी देकर इससे बचाया जा सकता है। एड्स पीड़ित मरीजों का इलाज करने वाला मेडिकल स्टाफ यदि संक्रमित सुई चुभने आदि से खतरे में आ रहा है तो विशेष प्राथमिकता के साथ उसे यह थेरेपी दी जा रही है। रत्नेश शर्मा, काउंसलर, एंटीरेटरोवायरल ट्रीटमेंट सेंटर, जिला अस्पताल बन नहीं सकी एड्स की वैक्सीन, पर इसलिए मनाते हैं यह दिन मुरादाबाद। एचआईवी एड्स से बचाव की वैक्सीन बनाने की कोशिशें दुनिया भर में बरसों से की जा रही हैं, लेकिन, अभी सफलता नहीं मिल सकती है। इसके बावजूद हर साल 18 मई को दुनिया भर में एड्स वैक्सीन जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि एड्स से बचाव को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने और वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाने के मकसद के साथ एचआईवी एड्स वैक्सीन जागरूकता दिवस हर साल 18 मई को मनाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस को मनाने का विचार सबसे पहले वर्ष 1997 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने रखा था। उन्होंने एचआईवी को जड़ से उखाड़ने में टीकाकरण की अहमियत पर जोर देते हुए लोगों को रोकथाम के उपायों के बारे में शिक्षित और जागरूक करने के साथ ही शोधकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने पर फोकस किया था।
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