1971 की कहानियां ने दिया जिंदगी को मोड़ दिया
Pilibhit News - पीएस बिंद्रा की कहानी 1971 में शुरू हुई जब उनकी मां और बहनों ने उन्हें जन्मदिन पर सेना की वर्दी और गन दी। इस प्रेरणा ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। कर्नल बिंद्रा ने 1984 में...

पीलीभीत। वरिष्ठ संवाददाता बात उन दिनों की है कि जब पीएस बिंद्रा लायंस कॉलेज में कक्षा पांच में पढ़ रहे थे। तभी पाकिस्तान और भारत के बीच जंग छिड़ी थी। वर्ष 1971 के दौरान पीएस बिंद्रा का जन्मदिन मनाया गया तो मां सुखवंत बिंद्रा और बहन संगीता और कविता ने उन्हें जन्मदिन पर सेना की वर्दी गिफ्ट में दी। वर्दी पहनी तो एक गन भी मां और बहन ने लाकर दे दी। इसके बाद उनकी जिंदगी ने नया मोड ले लिया। घर के एकलौते पुत्र होने के बाद भी किसान के बेटे ने सेना को ज्वाइन किया। कर्नल पीएस बिंद्रा ने बताया कि माला में बिंद्रा फार्म पर हम लोग रहते थे।
तब मां रात में लाइट बंद कर देती थी। हम लोग सवाल पूछते थे। उन्हीं दिनों सैम मानिकशा पीलीभीत होकर गुजरे थे। उन्हें देखने का अवसर मिला। उसी दिन जिंदगी ने मोड़ ले लिया। वर्ष 1984 में सेना में शामिल हुआ और आर्मी सर्विस कोर (एएससी) लाजिस्टिक में ज्वाइन किया। इस दौरान यूएन मिशन और कारगिल वार का हिस्सा बनने का अवसर मिला। इसके बाद 2017 में सेवानिवृत्त हुआ। सच कहूं तो 1971 के दौरान मां द्वारा सुनाई गई प्रेरक कहानियों ने जिंदगी को नया मोड़ दिया और देश के काम आ सका। भारतीय सेना ने मंगलवार और बुधवार की मध्यरात्रि में जो पराक्रम दिखाया उसे मेरा सेल्यूट है।
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