एक हजार से अधिक शिक्षकों को पेंशन की जगी उम्मीद
Prayagraj News - प्रयागराज में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत 489 प्राथमिक स्कूलों में 1 अप्रैल 2005 से पहले नियुक्त 1000 से अधिक शिक्षकों को पेंशन मिलने की उम्मीद है। हाल ही में एक समिति गठित की गई है, जो पेंशन और...

प्रयागराज। समाज कल्याण विभाग से संचालित व अनुदानित प्रदेश के 489 प्राथमिक स्कूलों में एक अप्रैल 2005 से पूर्व नियुक्त एक हजार से अधिक शिक्षकों को अन्य विभागों के अनुदानित शिक्षकों की तरह पेंशन, पारिवारिक पेंशन की सुविधा मिलने की उम्मीद जगी है। समाज कल्याण विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की ओर से 17 फरवरी 2025 को निदेशक को भेजे पत्र पर तीन सदस्यीय समिति गठित कर इस मसले पर सुझाव मांगा गया था। इस बाद गठित समिति के सदस्य समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक/कार्यक्रम अधिकारी अरुण कुमार पांडेय, उप निदेशक केएल गुप्ता एवं उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री रामानन्द विश्वकर्मा की कमेटी गठित हुई, जिसकी बैठक पिछले दिनों हुई।
बैठक में यह बात सामने आई कि बेसिक शिक्षा विभाग में अशासकीय मान्यता एवं सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के साथ संबद्ध प्राइमरी प्रभाग के शिक्षक-शिक्षिकाओं को पेंशन, पारिवारिक पेंशन और जीपीएफ आदि की सुविधा प्रदान की जा रही है। वहीं, समाज कल्याण के विद्यालयों में जीपीएफ की कटौती के बावजूद न तो पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का लाभ मिल रहा है और न ही ये शिक्षक राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) से आच्छादित हैं। ये विद्यालय भी बेसिक शिक्षा परिषद से ठीक उसी तरह से मान्यता प्राप्त हैं, जैसे अशासकीय मान्यता एवं सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों के साथ संबद्ध प्राइमरी प्रभाग के स्कूल मान्यता प्राप्त हैं। इन शिक्षकों को जब पेंशन देने की बात आती है तो विभाग यह कहते हुए पल्ला झाड़ लेता है कि पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। समाज कल्याण विभाग में सेवारत शिक्षक तो वेतन से गुजारा कर रहे हैं पर सेवानिवृत्त शिक्षकों की स्थिति दयनीय है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं उन्हें दवा-इलाज तक के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। इनका कहना है समाज कल्याण विभाग से अनुदानित पाठशालाओं के शिक्षकों का जीपीएफ कटने के बाद भी पेंशन न होना अत्यंत दुखद है। तीन से चार दशक तक पढ़ाने के बाद सेवानिवृत्त शिक्षक पेंशन न होने से परिवार पर बोझ समझे जाते हैं, धनाभाव से इलाज बिना कितने अध्यापकों की असामायिक मृत्यु हो गई। आज़ भी कुछ अध्यापक इलाज के अभाव में बिस्तर पर पड़े-पड़े सांसें गिन रहे हैं, जो बहुत ही दयनीय है। छोटे लाल कुशवाहा, जिला अध्यक्ष, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय शिक्षक एसोशिएशन
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