बोले रायबरेली: बस अड्डा
Raebareli News - सड़कों पर खड़ी होती हैं बसें, यात्री रहते हैं हलकान रायबरेली, संवाददाता। शहर हो
सड़कों पर खड़ी होती हैं बसें, यात्री रहते हैं हलकान रायबरेली, संवाददाता। शहर हो या तहसील मुख्यालय का बस स्टैंड, सभी रोडवेज बस चालकों और कंडक्टरों की मनमानी से अछूते नहीं है। शहर मुख्यालय के बस स्टॉप में अधिकतर चालक बसें अंदर लाते ही नहीं हैं। यात्रियों के सामने दिक्कत रहती है कि वह बसों का समय पता करें या फिर बाहर बस खोजते रहें। इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक दिक्कत दूसरे शहरों से आने वाली बसों को लेकर होती है। बस अड्डा परिसर में गंदगी का बोलबाला है। कई जगह गंदा पानी भरा हुआ है।
परिसर में लगा खड़ंजा पूरी तरह से उखड़ चुका है। गर्मियों में यात्रियों को शुद्ध और ठंडे पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वाटर बूथ तो हैं, लेकिन अधिकांश खराब पड़े हैं। बात लालगंज तहसील मुख्यालय की करें तो यहां बस अड्डा तो बना हुआ है पर बसों के रुकने का कोई इंतजाम नहीं है। हाल ये है कि चालक बस अड्डे के भीतर बस लाना तो दूर पास वाली सड़क से भी बस नहीं लाते हैं। करीब 20 वर्षों से यहां बस नहीं रुकी है। शहर का बस स्टैण्ड पूरी तरह से अव्यवस्थाओं का शिकार हो गया है। हाल ये है कि शहर मुख्यालय के बस स्टॉप में अधिकतर चालक बसों को स्टेशन के अंदर लाते ही नहीं हैं। यात्रियों के सामने दिक्कत रहती है कि वह पहले अपना टिकट लें, उसके बाद बाहर निकलकर आए तो बस मिल सके। अधिकतर बसें अड्डे के बाहर खड़ी रहती हैं। इससे जाम की भी समस्या बन जाती है। इन समस्याओं को लेकर आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार ने यात्रियों से बात की तो उन्होंने अपनी बात रखी। यात्रियों ने कहा कि दूसरे स्थानों से आने वाली बसें तो बस अड्डे के भीतर आती ही नहीं हैं। वे सवारियों को बाहर ही उतारते हैं और चढ़ाते हैं। ऐसे में अक्सर सड़क पर जाम और बस अड्डे में लगभग सन्नाटा पसरा रहता है। दूसरी समस्या ये है कि यहां यात्रियों के लिए पर्याप्त पेयजल व्यवस्था नहीं है। जबकि डिपो से रोजाना करीब डेढ़ सौ से अधिक बसें लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर, हरिद्वार, दिल्ली, बनारस, गोरखपुर आदि जिलों के साथ ही स्थानीय क्षेत्रों के लिए संचालित हो रही हैं। इसके बावजूद स्टेशन परिसर में यात्रियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। इन यात्रियों का कहना है कि यहां यात्रियों के खड़े होने के लिए शेड, लाइट और पंखों की व्यवस्था तो है, लेकिन कोई भी पंखा नहीं चलता है। यहां फूड स्टॉल नहीं हैं, हां स्टेशन परिसर के बाहर खाने-पीने की काफी दुकानें हैं जो खूब चल रही हैं। यदि स्टेशन परिसर में यात्रियों को सभी सुविधाएं मिल जाएं तो उन्हें भी सहूलियत होगी और निगम की आय भी बढ़ेगी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है। बस चालक स्टैण्ड में सवारियों को बैठाने के बजाय बाहर यात्री बैठाना ज्यादा पसंद करते हैं। इससे रोजाना बस स्टेशन चौराहे पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। स्टेशन परिसर में लगा खड़ंजा उखड़ चुका है। चालक बसें जहां- तहां बेतरतीब ढंग खड़ी कर देते हैं। गर्मियों में यात्रियों को शुद्ध और ठंडे पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वाटर बूथ तो हैं, लेकिन अधिकांश खराब पड़े हैं। शहर को जाम से छुटकारा दिलाने के लिए रोडवेज बस स्टेशन को किसी नए स्थान पर शिफ्ट करने व ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की मांग हो रही है। इसके लिए भूमि भी चिन्हित की गई, लेकिन अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। सिविल लाइन चौराहे और त्रिपुला पर खड़ी होती हैं बसें रायबरेली। रोडवेज बस चालक सवारियां लेने के लिए बस स्टैण्ड में न रूककर सिविल लाइन चौराहा और त्रिपुला से सवारियां बैठाते हैं। आखिर ऐसा क्यों है। सुविधाओं के अभाव में न तो रोडवेज बस चालक और न ही यात्री बस स्टैण्ड में ज्यादा देर रूकना पसंद करते हैं। ऐसे में उन्हें लखनऊ और सुल्तानपुर के लिए सिविल लाइन चौराहा और त्रिपुला में बसों का इंतजार करना ज्यादा मुनासिब लगता है। हालांकि ऐसा करने से यहां रोजाना जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। कई बार यातायात पुलिस कर्मी जब चालकों से बस हटाने के लिए कहते हैं तो नोकझोंक भी हो जाती है, लेकिन इन सबके बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। यहां इसकी वजह से खाने-पीने की चीजों का छोटा बाजार भी लगने लगा है। मिनरल वाटर तो काफी मात्रा में बिक रहा है। बाहरी यात्रियों को भले इसकी सुविधा हो लेकिन शहर के यात्रियों के लिए यह मुसीबत बना हुआ है। यात्रियों ने बताया कि प्रयागराज जाने के लिए कोई बस शहर के बस स्टेशन से नहीं मिलती है इसके लिए सिविल लाइन या त्रिपुला जाना पड़ता है। जिले के सभी ब्लाकों के लिए हो बस सेवा रायबरेली। सभी ब्लाक मुख्यालय और तहसील से जिला मुख्यालय आने के लिए बस चलनी चाहिए। जिससे कि वहां से आवागमन में लोगों को दिक्कत न हो। अधिकांश लोग इन स्थानों से ही शहर आते हैं। जिला मुख्यालय से भी अधिकांश लोगों को तहसील और ब्लाक जाना पड़ता है। यदि इन मार्गों को जोड़ते हुए बस सेवा शुरू हो जाए तो सभी को राहत मिल सकती है। जिले में अभी तक इस तरह की कोई कार्य योजना नहीं है। इसलिए लोगों को अधिकांशत: डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। इससे लोग परेशान होते रहते हैं। बस स्टेशन पर हो सभी मूलभूत सुविधाएं रायबरेली। शहर के मुख्यालय में बस स्टाप पर यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। बस स्टेशन के पास पेयजल के लिए जो टोटियां लगाई गई हैं। वहां जल निकास की उचित व्यवस्था नहीं है। इससे अक्सर यहां पानी भर जाता है जिससे लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है। कभी-कभी जल्दबाजी में लोग गिरकर चोटिल भी हो जाते हैं। लोगों का कहना है कि इनको जल्द ठीक कराया जाना चाहिए। रास्ता ठीक हो जाए पानी न भरे तो आने-जाने में दिक्कत न हो। स्टेशन पर बसें आएं तो फिर लौटे लालगंज में रौनक लालगंज। कस्बा जिले की सबसे बड़ी नगर पंचायत के साथ व्यवसायिक क्षेत्र भी बन गया है। व्यापारियों की सहूलियत के लिए बनाया गया रोडवेज बस स्टैंड अब बेमतलब साबित हो रहा है। वीरान पड़े बस स्टॉप में यदि बसें आएं तो फिर लालगंज कस्बे की रौनक लौट सकेगी। बल्कि स्थानीय व्यापारियों का व्यापार भी बढ़ेगा तो उनकी बिगड़ी अर्थ व्यवस्था भी ठीक हो जाएगी। इसी क्षेत्र में सेंटल गौरमेंट का सबसे बड़ा प्रतिष्ठान रेलकोच भी है। इस प्रतिष्ठान के होने से लालगंज बाजार के व्यापारियों का व्यापार भी बढ़ा है। कस्बे के रोडवेज की बसें भी यहां से न आकर सीधे पुराने बाईपास से निकल जाती हैं। वहीं परिवहन निगम का कोई कर्मचारी भी अब यहां तैनात नहीं है। हालत यह है कि कस्बे के लोगों को रोडवेज बस की सहूलियत हासिल करने के लिये तीन से चार किमी. का चक्कर लगाकर बाईपास व चौराहों पर खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। परिवहन निगम यदि भवन की मरम्मत कराकर यहां से बसों का संचालन शुरू कर दें तो लोगों के साथ ही व्यापारियों को भी सुविधा होगी। लोगों ने कहा कि कस्बे के रोडवेज बस स्टेशन पर दो विंडो पर काम होने के साथ यहां करीब एक दर्जन कर्मचारियों की तैनाती तीन दशक पूर्व थी। लोगों ने बताया कि यहां से कानपुर, झांसी, इटावा, औरैया, उरई लखनऊ, फतेहपुर व बांदा जाने के लिए अनगिनत बसें थी और बसों का टिकट लेने वालों की खिड़कियों पर लाइन लगी रहती थी। अब वीरान है। यात्रियों की सहूलियत के लिये दो शौचालय बने हैं, जो बदहाल है। बिजली और पेयजल का इंतजाम नहीं है। ऊंचाहार बस स्टॉप पर बस के इंतजार में रहते हैं यात्री ऊंचाहार। लखनऊ-प्रयागराज नेशनल हाईवे के फोरलेन बनने और ऊंचाहार, बाबूगंज व जगतपुर में बाईपास बन जाने से लोगों को यात्रा करने के लिए बस के लिए असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। ऊंचाहार के अस्थाई बस स्टैंड पर अधिकांश बसें तो गुजरती हैं। लेकिन यात्रियों को बस रोकने में दिक्कतें आती है। क्योंकि अधिकतर बसें कस्बा के पहले ढाबों पर करीब आधा घंटा रुकती हैं। जिससे लोगों को लखनऊ, प्रयागराज की ओर जाने के लिए ढाबों का रुख करना पड़ता है। इसी तरह जगतपुर व बाबूगंज के लोगों के बसों का सहारा लेना कठिन हो गया है। क्योंकि यहां बसें सीधे बाईपास से गुजर रही है। लोगों की तमाम शिकायत के बाद भी बाबूगंज से बसें नहीं निकाली जा रही है। कमोवेश यही स्थिति जगतपुर बस स्टैंड की है। जहां रोडवेज की बस पकड़ने के लिए डेढ़ से दो किमी. दूर चलना पड़ता है। लेकिन शिकायत के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है। इसीलिए बस पकड़ने के लिए यात्रियों को ढाबे पर खड़े होकर इंतजार करना पड़ता हैं। क्योंकि बस लखनऊ-प्रयागराज नेशनल हाईवे के फोरलेन बनाने के साथ बाबूगंज में बाईपास बना दिया गया है। जिससे बाबूगंज बाजार का रायबरेली, लखनऊ और प्रयागराज का सीधा संपर्क कट गया है। जिससे बस से सफर करना कठिन हो गया है। क्योंकि प्रयागराज व लखनऊ के बीच चलने वाली बसें बाईपास से निकल रही हैं। जिससे बाबूगंज से सफर करने के लिए लोगों को बस की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इससे लोगों का सफर करना मुश्किल हो गया है। शिकायतों के बाद भी विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। ---------- शिकायतें -गांवों और कस्बों से शहर तक आने के लिए पर्याप्त बसें नहीं हैं। इससे इन क्षेत्रों के बुजुर्ग और महिला यात्रियों को विशेष दिक्कत होती है। -कस्बों के लिए जाने वाली बसों का समय निश्चित नहीं है। इसके चलते नौकरी करने वाले लोगों को समय से कार्य स्थल पहुंचने में देर हो जाती है। -रात्रि के लिए जिले से कस्बों को जाने के लिए कोई बस सेवा नहीं है। इससे खासकर बुजुर्ग और महिला यात्री परेशान होते हैं। -शहर के प्रमुख कस्बों के लिए दिन में भी जिला मुख्यालय में पर्याप्त बसों का संचालन नहीं होता है। इससे लोग परेशान होते हैं। -शहर के बस स्टॉप से सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने के लिए बस सेवाएं नहीं हैं। -- सुझाव -- -ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्र के लिए पर्याप्त बसें होनी चाहिए। जिससे लोग शहर आसानी से आ सकें। -जो भी बस हैं उनका समय निश्चित होना चाहिए। इससे नौकरी करने वाले लोग समय से कार्यालय पहुंच पाएंगे। -रात्रि के लिए जिले में बस सेवा शुरू होनी चाहिए। इससे दैनिक ड्यूटी करने वाले लोगों को राहत मिलेगी। -पानी का बेहतर इंतजाम हो। ताकि गर्मी में आने वाले यात्रियों को राहत मिल सके। -बस स्टॉप परिसर की व्यवस्थाएं दुरुस्त हों। चालकों को बसों को अंदर लाने के लिए कहा जाए। --- नंबर गेम 159 बसों का संचालन रायबरेली बस स्टैंड से होता है 08 हजार यात्री रोजाना सफर करते हैं जिले से 450 के करीब चालक और परिचालक अपनी सेवाएं दे रहे हैं ------- सभी यात्रियों की सुविधाओं के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। बस स्टॉप में स्थान के अभाव में कुछ बस बाहर खड़ी हो जाती हैं। प्रयास रहता है कि सभी बसें स्टेशन पर ही खड़ी हों। फिर भी यदि कोई दिक्कत है तो वह कार्यालयावधि में आकर मिल सकता है। समस्या का हरसंभव निदान करने का प्रयास किया जाएगा। लालगंज में भी 20 साल से बंद बस स्टेशन शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहां एक डेढ़ सौ मीटर का रास्ता है यदि वह प्रशासन बनवा दे तो शीघ्र ही बसों का संचालन शुरू करवा दिया जाएगा। दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, एआरएम, ------------ यात्री बोले -- बस स्टॉप पर महिलाओं के लिए बैठने का उचित प्रबंध नहीं है। जिससे महिला यात्रियों को दिक्कत होती है। महिलाओं का कहना है कि उनके बैठने का उचित प्रबंध न होने से उनको दिक्कत होती है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। ताकि इन लोगों को राहत मिल सके। गीता -- बस स्टॉप पर यूरिनल और अन्य स्थानों पर गंदगी का अंबार रहता है। इस ओर स्थानीय स्तर पर सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। इससे लोगों को दिक्कत होती है। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। साफ-सफाई रहेगी तो इससे लोगों को दिक्कत नहीं होगी। पंकज -- बस अड्डे पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव लोगों को कचोटता है। किन्तु इसके जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। विभाग के अफसर और कर्मचारी किसी तरह अपना काम पूरा कर ले रहे हैं। नगर पालिका भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। इससे यात्रियों की परेशानी का हल नहीं हो पा रहा है। कांति -- रोडवेज बस अड्डे में सुविधाएं होंगी तो इससे बस अड्डे का नहीं बल्कि आसपास के लोगों का भी भला होगा। लोगों को गंदगी से राहत मिलेगी तो रोडवेज बस अड्डे में चहल पहल बढ़ने के साथ आय भी बढ़ेगी। फिर भी इस तरफ कोई ठोस पहल नहीं हो रही है। जबकि इस बस अड्डे से सैकड़ों गांव, कस्बे और शहर वासियों का आना जाना होता है। गीतांजलि -- रोजाना हजारों लोगों का इस बस अड्डे से आवागमन होता है। फिर भी इसकी स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसकी सुधि नहीं ली जा रही है। जबकि इसका जीर्णोद्धार हो जाए तो जिले के लोगों को राहत मिलेगी। सुविधा मिलने से यात्रियों की संख्या बढ़ेगी तो विभाग के अलावा आसपास के दुकानदारों का भी व्यापार बढ़ेगा। सविता ---- शहर के मुख्य बस अड्डे की दुर्दशा किसी को दिखाई नहीं दे रही है। यहां आने वाले यात्री सुविधाओं की बेहतरी का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक इसका कोई प्रभावी निस्तारण नहीं हो सका है। इस पर नगर पालिका को भी ध्यान देना चाहिए।जिससे लोगों को राहत मिल सके। रियासत अली -- बसों का संचालन लालगंज कस्बे के अंदर से हो रहा था। दुकानदारों का फुटपाथ पर कब्जा था। नतीजा यह हुआ कि बसों के आवागमन के समय जाम की स्थित उत्पन्न होने लगी। लोगों ने इसका विरोध किया तो जिम्मेदारों ने अतिक्रमण हटवाने के बजाय बसों का संचालन नगर के अंदर से बंद करा दिया। अनुभव मिश्रा --- शुरुआत में कुछ साल शाम सात बजे से सुबह आठ बजे तक बसें नगर के अंदर से ही जाती रहीं, लेकिन बाद में कस्बे के बाहर से बाईपास, गांधी चौराहा, बेहटा चौराहा, बृजेंद्र नगर होकर आवागमन होने लगा। बस स्टेशन में दिन में बसों का ठहराव बंद हो गया। बसों का संचालन बंद हुआ तो बस स्टेशन पर सन्नाटा पसरा गया। अखंड प्रताप सिंह --- करीब 20 साल से बस स्टेशन पर बसें नहीं आ रही है। मरम्मत के अभाव में भवन भी जर्जर होने लगा। नशेड़ी दरवाजे, खिड़की और बिजली की वायरिंग तक उखाड़ ले गए हैं। चहारदीवारी भी जगह-जगह से टूट गयी है। लोग बताते हैं कि परिवहन विभाग ने 2021 में इस भवन को निष्प्रयोज्य भी घोषित कर दिया। रौनक सिंह --- कस्बे के लोग कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, फतेहपुर व रायबरेली जाने के लिए लोग वीरापासी तिराहा, गांधी चौराहा, बेहटा चौराहा या फिर बृजेंद्र नगर तिराहे पर खड़े होकर बसों का इंतजार करते हैं। बस कब आएगी किसी को जानकारी नहीं रहती। इसी वजह से यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। विनय शर्मा --- लालगंज कस्बे से प्रतिदिन आसपास करीब दो सौ गांवों के करीब पांच हजार लोगों का आवागमन होता है। बस स्टेशन हो तो यात्रियों को बसों की सही जानकारी व उन्हें बैठने, सामान रखने की सहूलियतें भी मिले। व्यापार भी मजबूत होगा। संदीप सोनी --- बस स्टैंड लालगंज के निवासियों की जान थी, लेकिन रोडवेज अधिकारियों की अनदेखी से तमाम छोटे-छोटे दुकानदारों का रोजगार भी छूट गया। बस स्टैंड का जीर्णोद्धार हो जाने से आस-पास के दुकानदारों को भी आय का अच्छा अवसर मिलेगा और क्षेत्रीय लोगों को भी काफी सहूलियत होगी। बच्चन मिश्रा ---- रोडवेज अधिकारियों की अनदेखी से लालगंज बस स्टैंड के पास तमाम छोटे-छोटे दुकानदारों का रोजगार भी छूट गया। बस स्टैंड न होने से सबसे ज्यादा महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रात में महिलाओं को रोडवेज बस से बाईपास में उतरने के बाद घर पहुंचने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। रघुवीर यादव ------- रात्रि के अंधेरे में यदि बाजार में बिजली न हो। तब बस से डलमऊ तिराहा व बेहटा चौराहा से उतरी महिलाओं को अकेले कस्बे के अंदर आने में बहुत कठिनाई होती है। रात को डर रहता है। इसके बाद भी समस्या का हल नहीं मिला है। बस स्टेशन के संचालन में कुछ पैसा खर्च करके जमीन सुरक्षित की जा सकती है। अजय सिंह
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