शाहबाद में दुकानों से बेदखल किए जाने पर हंगामा
Rampur News - 40 साल पहले आवंटित दुकानों से बेदखल किए जाने पर दुकानदार भड़क गए। उन्होंने सहायक प्रबंधक पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया। अधिकारियों ने भीड़ से बचकर उसे सुरक्षित निकाला। दुकानदारों ने कोर्ट जाने की बात...

40 साल पहले आवंटित की गई दुकानों से बेदखल किए जाने पर दुकानदार भड़क गए। हंगामा करते हुए उन्होंने सहायक प्रबंधक का घेराव कर लिया। आरोप लगाया सहायक प्रबंधक ने मोटी घूस लेकर वो काम कराए थे, जिन्हें अब अवैध करार दिया जा रहा है। अधिकारियों ने किसी तरह उसे भीड़ से बचाकर ब्लॉक कार्यालय तक पहुंचाया। शाम तक बेदखली की कार्रवाई जारी थी। हालांकि पूरी कार्रवाई के दौरान अधिकारी कुछ भी कहने से बचते रहे। दुकानदारों ने मामले को लेकर कोर्ट जाने की बात कही। साल 1981-82 में इंदिरा गांधी रोजगार योजना के तहत समाज कल्याण विभाग ने ब्लॉक के बाहर 37 दुकानों का निर्माण कराया था। जमीन ब्लॉक की थी। इन्हें अनुसूचित जाति के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के आशय से निशुल्क आवंटित किया गया था। लेकिन आवंटन के कई नियम थे। आरोप है कि आवंटियों ने नियमों का उल्लंघन किया। कई दुकानें बेच दी गईं, मूल आवंटी दुकानों में काम नहीं कर रहे हैं। वहीं, कई दुकानों का स्वरूप बदलते हुए या तो पुनर्निर्माण करा लिया गया या इसके ऊपर लोगों ने मकान बना लिए। डीएम के निर्देश पर मार्च माह में विभाग ने जांच शुरू की थी। इसमें 26 दुकानों पर आवंटन के नियमों का उल्लंघन किए जाने की पुष्टि हुई। जबकि 11 दुकानों पर जांच लंबित है। बेदखली के आदेश होने के बाद बुधवार देर शाम एसडीएम हिमांशु उपाध्याय के नेतृत्व में जिला समाज कल्याण अधिकारी प्रज्ञा बाजपेयी, तहसील और नगर पंचायत की टीम ब्लॉक पर जुट गई। भारी फोर्स तैनात करने के बाद दुकानें खाली कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। तहसीलदार राकेश चंद्रा, नायब तहसीलदार हरीश जोशी, अंकुर अंतल, कोतवाल पंकज पंत आदि रहे।
बीस-बीस हजार वसूलने का लगाया आरोप:
अधिकारियों की टीम दुकानें खाली कराने पहुंची तो दुकानदार समाज कल्याण विभाग के सहायक प्रबंधक को देखकर भड़क गए। उन्होंने भारी हंगामा करते हुए घेराव कर लिया। आरोप लगाया कि सहायक प्रबंधक ने ही उनसे बीस-बीस हजार रुपए रिश्वत लेकर दुकानों के ऊपर निर्माण कराने दिया था। वहीं, कुछ दुकानदारों का आरोप था कि उनके पिता के नाम दुकान थी। पिता के निधन के बाद बेटे को दुकान में बैठे रहने के नाम पर भी वसूली की गई।
दुकानें चूंनें लगीं तो निर्माण कराना था मजबूरी:
दुकानदारों ने अधिकारियों को बताया कि दुकानों का भवन पुराना होने की वजह से जर्जर हो चला था। वे विभाग से काफी समय से इसकी मरम्मत की मांग कर रहे थे। लेकिन नहीं सुनी गई। उनकी रोजी-रोटी दुकान से है, लिहाजा उन्होंने खुद काम करा लिया। रोड ऊंची होने के कारण दुकानों में पानी भर जाता था।
दुकानों पर लाल निशान लगाने से हुई धुकधुकी:
शाहबाद।
टीम ने बेदखली के साथ ही गलत पाई गई दुकानों पर लाल रंग से क्रास के निशान भी लगाना शुरू कर दिए। इससे दुकानदारों में धुकधुकी पैदा हो गई। लोगों को अंदेशा रहा कि दुकानें खाली कराने के बाद प्रशासन इनका ध्वस्तीकरण न करा दे। हालांकि अधिकारी ने इस बारे में भी कुछ स्पष्ट रूप से बताने के लिए तैयार नहीं हुए।
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बोले दुकानदार----
मेरे पिता को दुकान आवंटित हुई थी। उनका कैंसर का ऑपरेशन हुआ है। पूरा परिवार दुकान से पालता हूं। पहले विभाग के कर्मचारी आए थे, उन्होंने बीस हजार रुपए लिए थे और कहा था कि इसके ऊपर एक मंजिल और बना लो। अब गलत ठहरा रहे हैं।
- अनूप सिंह
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पति को दुकान आवंटित हुई थी, उनका स्वर्गवास हो चुका। मैं और मेरा बेटा बैठता है। कभी दुकान बंद रहने पर कोई भी बाहर सामान रखकर बैठ जाता है। यह कहा जा रहा है कि हमने दुकान किराए पर उठा दी।
- चंद्रवती
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मेने नाम में दुकान है। बेटे के ससुरालियों से विवाद हो गया, इस कारण परिवार जेल चला गया। पीछे बेटे के ससुरालिए सामान समेटकर ले गए। उसमें दुकान के कागज चले गए। मैंने शपथ पत्र दिया है, लेकिन मान नहीं रहे हैं।
- ख्यालीराम
--------वर्जन--आरोपी-----
हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। ये लोग जो हम पर आरोप लगा रहे हैं, इन्हें हम जानते नहीं हैं। जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, निराधार हैं गलत हैं।
- संजीव, सहायक प्रबंधक जिला समाज विभाग
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