बोले सहारनपुर : जूझते दिहाड़ी मजदूरों को मिले रोजगार
Saharanpur News - दिहाड़ी मजदूर समाज और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लगभग 5000 दिहाड़ी मजदूर विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जैसे कम दिहाड़ी, अनिश्चित रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी। मजदूरों ने अपने...
दिहाड़ी मजदूर समाज और अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं। देश हो या प्रदेश, जनपद हो महानगर के विकास में इनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। जनपद में करीब पांच हजार दिहाड़ी मजदूर हैं। हजारों दिहाड़ी मजदूर आज भी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। कम दिहाड़ी, अनिश्चित रोजगार, लंबी दूरी तय करने की मजबूरी, पढ़े-लिखे युवाओं का मजदूरी करने पर विवश होना, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और रोजगार के लिए महानगरों की ओर पलायन जैसी कई समस्याएं हैं जिनसे दो चार होना पड़ता है। दिहाड़ी मजदूरों के जीवन में बदलाव के लिए महानगर में बड़े स्तर इंडस्ट्री स्थापित करने, आधुनिक प्रशिक्षण देने, रोजगार की निश्चितता तय करने, स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा देने की आवश्यकता है।
हिन्दुस्तान की टीम हसनपुर चौक पर पहुंची तो देखा कि मजूदरों की भीड़ जमा है। आस-पास के गांव के लोग 20 से 30 किलोमीटर का सफर तय कर अपनी साइकिल से रोजगार की तलाश में महानगर पहुंचे हैं। देखते ही देखते करीब 100 मजदूर जमा हो गए। सबकी नजरें रोजगार की तलाश कर रही थी। तभी एक मोटरसाइकिल पर युवा आया। मजदूरों की भीड़ ने उसे घेर लिया। मजदूरों ने 600 रुपये की मांग की। युवा ने इंकार कर दिया और पांच सौ रुपये देने की बात कही। करीब दस मिनट के बाद बात बनी। एक मजदूर पांच सौ रुपये में तैयार हो गया। उसने बताया कि घर में माता-पिता और दो बच्चे हैं। खाली बैठने से अच्छा है कि पांच सौ रुपये में मजदूरी की जाए। कम से कम बच्चों का आज का पेट तो भरेगा। 30 मिनट तक वहां हम खड़े रहे तो यही देखा मजबूरी में मजदूर हो या राज मिस्त्री कम पैसों में भी मजदूरी करने का तैयार हो रहे हैं। सुबह सात बजे से खड़े मजूदरों में से करीब 30 से 40 प्रतिशत को ही रोजगार मिला बाकी घर को वापिस लौट गए। --- कम दिहाड़ी और अनिश्चितता दिहाड़ी मजदूरों को अक्सर उनकी मेहनत के मुताबिक पारिश्रमिक नहीं मिलता। कई जगहों पर उन्हें मात्र ₹200-₹300 की मजदूरी पर दिनभर काम करना पड़ता है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है। ---- रोजगार की अनिश्चितता मजदूरों को हर रोज रोजगार नहीं मिलता। कभी ठेकेदार बुलाता है, तो कभी नहीं। कभी दिनभर काम करने के बाद भी पैसे नहीं मिलते। मजदूरों को न तो कोई स्थायी नौकरी मिलती है और ना ही किसी तरह की सुरक्षा। --- लंबी दूरी तय करने की मजबूरी गांवों में काम के मौके सीमित होने के कारण मजदूरों को रोजाना 20-30 किलोमीटर साइकिल से सफर करके शहरों में जाना पड़ता है। कई बार इतनी दूरी तय करने के बाद भी काम नहीं मिलता, जिससे वे खाली हाथ वापस लौट जाते हैं। --- पढ़े-लिखे युवा भी कर रहे मजदूरी रोज़गार के अभाव में पढ़े-लिखे युवा भी मजदूरी करने को मजबूर हैं। इंजीनियरिंग, बीए, एमए करने के बाद भी अगर नौकरी नहीं मिलती, तो वे मज़दूरी करने को विवश होते हैं। शहर की आबादी तो तेजी से बढ़ रही है लेकिन उस हिसाब से इंडस्ट्री नहीं बढ़ रही है। सरकार को जनपद में नए उद्योग लगाने की आवश्यकता है, जिससे युवाओं को रोजगार मिले तो मजदूरी नहीं करनी पड़े। --- स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव दिहाड़ी मजदूरों को स्वास्थ्य सेवाओं का समुचित लाभ नहीं मिलता। कई मजदूरों के पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड नहीं होता, जिससे वे मुफ्त इलाज से वंचित रह जाते हैं। निजी अस्पतालों में इलाज कराना उनके लिए असंभव है। दिहाड़ी मजदूर राम कुमार ने बताया कि बीमार पड़ गए तो काम बंद, कमाई बंद। सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए लंबी लाइन और सही इलाज भी नहीं मिलता। ---- महानगरों में उद्योग स्थापित करने की मांग गांवों और छोटे शहरों में रोजगार के अवसर सीमित होने की वजह से मजदूरों को महानगरों की ओर जाना पड़ता है। यदि छोटे शहरों और कस्बों में उद्योग-धंधे स्थापित किए जाएँ, तो मजदूरों को अपने घर से दूर नहीं जाना पड़ेगा। समस्यां एवं सुझाव -कम दिहाड़ी की समस्या -नियमित रोजगार नहीं मिलने की समस्या -लंबी दूरी तय करने की समस्या -स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने की समस्या -ठेकेदारों द्वारा कमीशन काटे जाने की समस्या 0- सुझाव -महानगर में अधिक से अधिक इंडस्ट्री लगाई जाएं -आयुष्मान कार्ड बनाया जाए -गांवों मे ही मिले रोजगार -ठेका प्रथा से मुक्ति मिले -बेरोजगारी भत्ता मिले हमारी भी सुनों 1.हमें स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं। सभी राजमिस्त्रियों का आयुष्मान कार्ड बने। इसके लिए विशेष योजना बनाई जाए। हर राजमिस्त्री को आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज मिले। -राव खालिद, राजमिस्त्री 2.मेहनत बहुत अधिक है और मजदूरी बहुत कम है। न्यूनतम मजदूरी को कम से कम 1000 रुपये से प्रतिदिन की जाए। ताकि मजदूरों का गुजारा हो सके। -आमिर राव, राजमिस्त्री 3.दिहाड़ी मजदूरों की माली हालत खराब है। रोजगार की अनिश्चिता बनी रहती है। स्थायी रोजगार मिले तो जीवन में कुछ सुधार हो। सरकार को मजदूरों के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए। सलमान, दिहाड़ी मजदूर 4.ठेकेदारों द्वारा मजदूरी में कमीशन मांगी जाती है। दस प्रतिशत तक ठेकेदार हमसे कमीशल ले लेता है। नियमित रोजगार मिले, इसके लिए कोई प्रावधान होना चाहिए। -अनस 5.मजूदरों की माली हालत ठीक नहीं है। इनको आवासीय आवासीय सुविधा मिले। मजदूरों के लिए सस्ते और अच्छे सरकारी आवास बनाए जाएं। -रहमान, दिहाड़ी मजदूर 6.स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होने चाहिए। गांव और छोटे शहरों में भी उद्योग स्थापित किए जाएँ ताकि मजदूरों को महानगरों की ओर न जाना पड़े। गुलजार, दिहाड़ी मजदूर 7.नौकरियां लगातार कम हो रही हैं। मजबूरन कम पढ़े लिखे युवाओं को मजूदरी करनी पड़ रही है। शिक्षित युवाओं के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर बनाए जाएं। -फरीद 8.हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी समस्याओं को गंभीरता से लेगी और जल्द ही ठोस कदम उठाएगी। यदि दिहाड़ी बढ़ाई जाए और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया जाए, तो स्थिति बेहतर हो सकती है। -वाजिद 9.ठेका प्रथा से मुक्ति मिले। ठेकेदार हमें पूरी मजदूरी नहीं देते, बीच में ही पैसा काट लेते हैं। अगर सीधा मालिक से काम मिले तो हमें पूरा पैसा मिलेगा। -सावेज 10.आयुष्मान कार्ड बनाया जाए। हमें इलाज के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर आयुष्मान कार्ड होगा तो मुफ्त इलाज मिलेगा और पैसे बचेंगे। -सुक्का
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