कृष्ण सुदामा की मित्रता ने एक आदर्श समाज को दिया
Sambhal News - चन्दौसी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास शिवशंकर भारद्वाज जी ने सुदामा की मित्रता का आदर्श संदेश दिया। उन्होंने भगवान कृष्ण के आठ विवाहों और सुदामा की भक्ति को रेखांकित किया। कथा में कन्याओं...

चन्दौसी। सुदामा की मित्रता ने एक आदर्श समाज को मित्रता का संदेश दिया। सुदामा कृष्ण भक्त हैं, दरिद्र नहीं थे। जिसके पास राम नाम का धन है, वह दरिद्री नहीं हो सकता। यह सदविचार कथा व्यास ने श्रीमद भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। आवास विकास, पुष्प विहार अहिल्याबाई पार्कमें चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास शिवशंकर भारद्वाज जी ने कहा कि भगवान कृष्ण के आठ विवाह हुए पहला रुक्मणी से दूसरा सत्यभामा से उसके बाद जामवंती से भद्रा से मित्रविनदा कालिन्दी से। भोमासुर नामक दैत्य ने संकल्प लिया कि जिस प्रकार कृष्ण ने अनेक स्त्रियों के साथ विवाह रचाया, वैसे ही वह भी बीस हजार कन्याओं के साथ विवाह करेगा। उसने 16 हजार एक सौ कन्याओं को कारागार मे बंद कर रखा था। कन्याओं ने भगवान से प्रार्थना कि प्रभु हमें इससे मुक्त कराओ। तब श्री कृष्ण ने भोमासुर का वध कर उन्हें मुक्त कराया। कन्याओं की प्रार्थना पर श्री कृष्ण ने उन्हें अपनी शरण में लिया। इस प्रकार 16 हजार एक सौ आठ रानियां थी। यह पत्नियां वेद की ऋचाएं तथा आठ तत्व हैं। आकाश जल पृथ्वी अग्नि वायु तत्व है। पांडवों का राजसूय यज्ञ पूरा कराया। जरासंध का उद्धार किया। सुदामा की मित्रता का आदर्श समाज को दिया। सुदामा कृष्ण भक्त हैं, दरिद्र नहीं थे। जिसके पास राम नाम का धन है वह दरिद्री नहीं हो सकता। दरिद्री वह है जिसकी तृष्णा विशाल है। इस दौरान कृष्ण सुदामा की झांकी प्रस्तुत की गई। पंकज शर्मा शास्त्री द्वारा विधि विधान से मंत्रोचारण किया गया और पूजन कराया गया। इस दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।