प्रधानों के जी का जंजाल बनी मनरेगा
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मनरेगा योजना ग्राम प्रधानों के जी का जंजाल

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में मनरेगा योजना ग्राम प्रधानों के जी का जंजाल बन जा रही है। सामग्री मद के भुगतान को लेकर प्रधान पहले से ही परेशान रहते थे, अब श्रमिकों की मजदूरी भी नहीं आ रही है। करीब साढ़े तीन महीने से काम कराकर प्रधान परेशान हैं। मजदूर रोज ग्राम प्रधानों के घर का दरवाजा खटखटा रहे हैं। वहीं नए काम के लिए मजदूरी करने के लिए भी तैयार नहीं हो रहे हैं। तमाम ग्राम प्रधानों ने तो अपने पास से कुछ मजदूरी दे भी दी है। लेकिन वह नाकाफी है। 10 दिसंबर के बाद से ही मजदूरी मद का पैसा आया नहीं हैं। वहीं जिम्मेदार नियमित कार्य कराने का दबाव भी बना रहे हैं। यह प्रधानों के लिए बड़ी चुनौती है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने जिले के ग्राम प्रधानों से इस बारे में बात किया तो उन्होंने खुलकर अपना दर्द साझा किया।
चंगेरा मंगेरा के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शेषनाथ यादव ने बाताया कि मनरेगा से धन न मिलने के कारण प्रधानों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल पाती, जिससे वे काम छोड़ देते हैं और रोजगार की तलाश में शहर चले जा रहे हैं। हर रोज मजदूर दरवाजे पर पहुंच जाते हैं और कोई जवाब नहीं रहता है।
डारीडीहा प्रधान प्रतिनिधि बैजनाथ ने बताया कि प्रधानों को भी मजदूरों के दबाव का सामना करना पड़ता है। समय से भुगतान न मिलने के कारण मजदूरों को अपनी जेब से रुपया देना पड़ता है। 10 दिसंबर से ही मजदूरी मद में भुगतान नहीं हुआ है। इससे मजदूर काफी परेशान हैं।
प्रतापपुर की प्रधान गुड़िया देवी ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत पिछले वित्त वर्ष में कराए गए कार्यों की मजदूरी भुगतान न होने के कारण नए वित्तीय वर्ष में मनरेगा का काम करवाने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। मजदूर काम पर जाने से कतरा रहे हैं। मज़दूरी का भुगतान सरकार को शीघ्र कर देना चाहिए।
सांथा के प्रधान प्रतिनिधि राजेन्द्र यादव ने कहा कि मनरेगा योजना के तहत मजदूरी मद का धन न आने से हर कोई परेशान है। कई मजदूरों को अपने पास से धन देना पड़ा है। क्योंकि उनके परिवार का खर्च दैनिक मजदूरी के सहारे होता है। जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हारापट्टी के ग्राम प्रधान बृजेश यादव ने कहा कि मनरेगा का धन न आने के कारण मेटेरियल का भुगतान नहीं हो पा रहा है। मजदूरी न मिलने से अन्य प्रोजेक्ट पर कार्य के लिए लेबर नहीं मिल रहे हैं। भुगतान न होने सभी परेशान हैं। मजदूरी का नियमित भुगतान होना चाहिए।
खर्चा के प्रधान प्रतिनिधि गुलाब चन्द्र ने कहा कि लगभग तीन माह पहले मनरेगा से गांव में मिट्टी कार्य कराया था। अभी तक भुगतान नही हो पाया। जिससे गांव का विकास कार्य रुका पड़ा है। गांव की खुली बैठक में ग्रामीणों ने कई जगह मिट्टी डालने की मांग की थी। वह भी नहीं हो रहा है।
शिवबखरी के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुनील सिंह ने बताया कि मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान न होने से मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। जिससे अधिकतर मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में शहर चले जा रहे हैं। अब मनरेगा में कार्य करने के के लिए गांवों में मजदूर नहीं मिल रहे हैं।
पचेठी के ग्राम प्रधान मनोज चौधरी ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत केन्द्रीय बजट से अधिक कार्य ग्राम पंचायत के करने के कारण धन नहीं आ रहा है। धन न मिलने से मजदूरों के लिए परेशानी तो है। उम्मीद है जल्द ही शासन से बजट प्राप्त हो जाएगा और मजदूरों के मजदूरी का भुगतान हो सकेगा।
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