Traffic Jam Crisis in Khalilabad A Daily Struggle for Residents जिम्मेदारों की लापरवाही से शहर में लग रहा जाम, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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जिम्मेदारों की लापरवाही से शहर में लग रहा जाम

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद शहर में प्रतिदिन लगने वाले जाम से

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरTue, 15 April 2025 09:54 AM
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जिम्मेदारों की लापरवाही से शहर में लग रहा जाम

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद शहर में प्रतिदिन लगने वाले जाम से लोग परेशान होते हैं। खास तौर से शाम को चार बजे के बाद से ही जाम लगने का जो सिलसिला शुरू होता है वह देर तक चलता रहता है। रात आठ बजे तक समूचा शहर जाम से कराहता रहता है। यहां शाम के समय जाम के बीच से गुजरना शहर के नागरिकों की नियति बन गई है। दूर दराज से आने वाले लोग इस शहर में खरीदारी करने से कतराते हैं। उन्हें इस बात का डर सताता है कि मार्केट में घुस गए तो 15 मिनट की जगह डेढ़ घंटे का समय लग जाएगा। व्यवस्था देखने वालों की लापरहवाही ही शहर में इस प्रकार के जाम के लिए जिम्मेदार है। वरना लोग आसानी से आते और समय से सामानों की खरीदारी कर अपने घर को लौट जाते।

खलीलाबाद शहर सबसे पुराने शहरों की श्रेणी में आता है। नोटीफाइड एरिया के दौर से ही यह शहर स्थापित है। 1978 के बाद से नगरपालिका का गठन हुआ, उसके बाद से शहर का विकास तेजी से हो रहा है। खलीलाबाद शहर को 1997 में जब जिला मुख्यालय घोषित किया गया तो उसके बाद से शहर का विकास तेजी से होना शुरू हुआ है। शहर में मॉल और मार्ट संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है। इससे व्यापार के तरीके बदल रहे हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में दशकों से अपना व्यापार करने वाले लोग पुराने तरीकों को ही अपना रहे हैं। अपने समानों को अधिक से अधिक दिखाने के लिए सड़क तक दुकान लगाने लगा रहे हैं। दुकान के अंदर समान रखने के बजाए पहले तो नाला तक दुकान लगने लगी और फिर बाद में फुटपाथ तक सामाग्रियां दिखाने के लिए दुकानें सजाई जाने लगी। फुटपाथ तक दुकान लग जाने के बाद पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ पर चलने की जगह ही नहीं बचती है। वे लोग मजबूरी में सड़क पर चलते हैं। इसके चलते दो पहिया वाहन के साथ-साथ चार पहिया वाहन भी सड़क पर नजर आते हैं। यही वजह है कि मोती चौराहा से लेकर मेहदावल बाईपास तक समूचे शहर में जाम ही जाम लगता है।

नाला पर हो गया है अतिक्रमण

शहर में गोला बाजार से लेकर मेहदावल चौक तक मुख्य मार्ग के दोनों ओर नाला का निर्माण किया गया है। उसके बाद व्यापारियों की दुकानें हैं। सामान्य तौर पर देखने से कहीं पर भी नाला नजर नहीं आता है। इस नाले की दीवार से ही सटकर कुछ लोगों का घर बन गया है। तो कुछ लोगों ने नाले तक दुकान लगा लिया है। दुकान लग जाने के बाद लोगों के घरों से निकलने वाला कूड़ा, दोना पत्तल भी इसी नाले में चला जाता है। इसकी वजह से नाला भी तेजी से भठ रहा है। शहर के नालों की सफाई होती तो है पर कुछ दिनों के बाद ही फिर से वहीं हालत हो जाती है। अतिक्रमण हटाने का अभियान चलता है तो नाले की स्थिति दिखने लगती है। अभियान समाप्त होने के बाद से फिर नालों पर कब्जे हो जाते हैं। शहर में नाला पर अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या बन गई है।

शहर में पार्किंग कहीं नहीं है व्यवस्था

खलीलाबाद शहर में कहीं पर भी पार्किंग की सुविधा नहीं है। इसके चलते दिक्कते हो रही हैं। शहर में खुल रहे मॉल और कांप्लेक्स का नक्शा पास होते समय बेसमेंट को पार्किंग के रूप में दिखाया जाता है। जब भवन बन कर तैयार होता है तो उसका स्वरूप बदल गया है। बेसमेंट में दुकानें खुल गई हैं। उसका परिणाम हो रहा है कि परिसर में वाहनों की पार्किंग नहीं हो रही है। अब खरीदारी करने आने वाले लोग मजबूरी में फुटपाथ और सड़क तक वाहनों की पार्किंग कर रहे हैं। फुटपाथ पर भी बड़े वाहनों के खड़े होने की वजह से पैदल चलने वालों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। नगरपालिका प्रशासन की ओर से कहीं पर भी पार्किंग का इंतजाम नहीं किया है और न ही बड़े दुकानदारों के पास पार्किंग की कोई सुविधा है। लिहाजा जाम जैसी हालत होती है।

गाड़ियों के धुओं से आंखों में होती है जलन

शाम के समय जो दूरी पांच मिनट में तय की जा सकती है जाम के चलते वह दूरी तय करने में कम से कम आधा घंटा से लेकर 45 मिनट तक समय लग जाता है। लक्जरी गाड़ियां भी पैदल चाल की र‌फ्तार से ही धीमी गति से चलती हैं। नतीजतन वाहनों से निकलने वाला धुंआ लोगों का दम घोटता है। आंखों में जलन होने लगती है। इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जो बीमारियों को जन्म देता है। लोग समस्या लेकर चिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं।

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