Devotional Recital of Shri Mad Bhagwat Katha Highlights Krishna s Triumph Over Kansa कृष्ण ने अपने भक्तों को दिखाया धर्म, ज्ञान और वैराग्य का मार्ग, Shamli Hindi News - Hindustan
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कृष्ण ने अपने भक्तों को दिखाया धर्म, ज्ञान और वैराग्य का मार्ग

Shamli News - थानाभवन नगर के मोहल्ला हाफिज दोस्त में श्री मद भागवत कथा के छठे दिन परमानंद महाराज ने श्री कृष्ण द्वारा कंस के वध और गोपियों के वियोग का वर्णन किया। उद्धव ने गोपियों को कृष्ण के प्रेम में लीन होने के...

Newswrap हिन्दुस्तान, शामलीFri, 23 May 2025 02:47 AM
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कृष्ण ने अपने भक्तों को दिखाया धर्म, ज्ञान और वैराग्य का मार्ग

थानाभवन नगर के मोहल्ला हाफिज दोस्त मे पाल चौपाल मे चल रही श्री मद भागवत कथा के छठे दिन वृन्दावन से आये कथावाचक परमानंद महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण ने कंस का वध कर धरती को अधर्म से मुक्त किया।श्री कृष्ण ने चाणूर को और बलराम ने मुष्टिक को अपने धाम बैकुण्ठ पहुंचाया। उन्हें निजधाम पहुंचने के पश्चात् श्री कृष्ण ने कंस को उसके सिंहासन से उसके केश पकड़ कर उसे घसीटा और उसके भूमि पर गिरते ही श्री कृष्ण ने उसके हृदय पर जोरदार मुक्का मारकर उसके प्राण ले लिए। तदोपरांत कृष्ण गोपियों के वियोग में दुखी होते है।

उद्धव को वृन्दावन भेजा गया ।उद्धव और गोपियों के बीच का संवाद कृष्ण के ब्रज से द्वारका चले जाने के बाद होता है। उद्धव, कृष्ण के मित्र और संदेशवाहक, गोपियों को समझाना चाहते हैं कि अब कृष्ण के प्रेम में लीन होने के बजाय अपने जीवन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. गोपियाँ, कृष्ण के प्रेम में लीन होकर, उद्धव की बातों को नहीं समझती हैं और कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करती हैं।उद्धव गोपियों को कृष्ण के वियोग में दुखी होने से मना करते हैं और उन्हें कृष्ण के ब्रह्मज्ञान और धर्म के मार्ग का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं. वे उन्हें समझाते हैं कि कृष्ण ने अपने भक्तों को धर्म, ज्ञान और वैराग्य का मार्ग दिखाया है, और उन्हें अब कृष्ण के प्रेम में लीन होने के बजाय अपने जीवन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए गोपियाँ उद्धव की बातों को नहीं समझती हैं और कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करती हैं। वे कहती हैं कि उन्हें कृष्ण का माखन, निधिवन, यशोदा नंद, राधिका और रमणरेती याद आते हैं. वे कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को इतना गहरा बताती हैं कि वे कहती हैं कि उनके रोम-रोम में कृष्ण विराजमान हैं.।रुक्मिणी, जो विदर्भ की राजकुमारी थी, उसने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी प्रेम की भावना प्रकट की। जब उसे पता चला कि उसका भाई रुक्मी, उसका विवाह शिशुपाल से करना चाहता है, तो उसने श्रीकृष्ण से अपनी रक्षा करने का अनुरोध किया. श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया और उसे विदर्भ से द्वारका ले गए. द्वारका में, रुक्मिणी और श्रीकृष्ण का विवाह विधिवत रूप से संपन्न हुआ। इस विवाह में देवताओं ने भी भाग लिया और खुशी से पुष्प वर्षा की. कथा श्रवण कर भक्तों ने नाचते गाते हुए आनंद लिया कथा मे मुख्य यजमान महावीर सिंह पाल, सपरिवार, मामचंद राजपाल, कुलदीप पाल, सोहेन्द्र पाल, नाथी राम, किरण पाल संदीप पाल आदि सहित महिलाए बड़ी संख्या मे मौजूद रही।

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