Rainwater Harvesting Government Initiatives Face Challenges in Implementation बोले सीतापुर- निजी स्थानों पर जल संरक्षण जीरो, सरकारी में तैयारी फुल, Sitapur Hindi News - Hindustan
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बोले सीतापुर- निजी स्थानों पर जल संरक्षण जीरो, सरकारी में तैयारी फुल

Sitapur News - सीतापुर में वर्षा जल संचयन के लिए सरकारी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी प्रभावशीलता कम है। प्रशासनिक लापरवाही और जागरूकता की कमी के कारण कई निजी संस्थानों में जल संरक्षण के उपाय नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरWed, 21 May 2025 08:12 PM
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बोले सीतापुर- निजी स्थानों पर जल संरक्षण जीरो, सरकारी में तैयारी फुल

सीतापुर। सरकारी स्तर पर वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जागरूकता अभियान भी समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद, जमीनी स्तर पर इनका असर कम ही दिखाई देता है। विभागीय उदासीनता और क्रियान्वयन में लापरवाही के चलते, यह महत्वपूर्ण विषय फाइलों और भाषणों तक ही सीमित रह गया है। शहर के तमाम प्रशासनिक भवन, अस्पताल, और अन्य सरकारी कार्यालय तो वर्षा जल को संचित करने को लेकर सजग नजर आए। जबकि तमाम निजी संस्थानों में जल संरक्षण को लेकर कोई इंतजाम नहीं है। शहर में बड़े-बड़े रिहायशी अपार्टमेंट, शापिंग माल सहित तमाम निजी भवनों में बारिश के दौरान बह जाने वाला लाखों लीटर पानी यूं ही नालों में मिलकर बर्बाद हो जाता है।

सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी इन संस्थानों में ही जल संरक्षण के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई जाती, ऐसे में आम लोगों से उम्मीद करना बेमानी है। शहर से लेकर तहसील स्तर तक निजी संस्थानों ने ऊंची-ऊंची इमारतें तो खड़ी हो गई हैं, लेकिन उनमें वर्षा जल संचयन के इंतजाम पूरी तरह से नदारद हैं। बिल्डरों द्वारा नियमों की अनदेखी और खरीदारों की उदासीनता के कारण, यह महत्वपूर्ण पहलू विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गया है। कुछ जागरूक निवासियों द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास जरूर किए गए हैं, लेकिन इनकी संख्या ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यही नहीं जिले के निजी स्कूल और कॉलेजों, जो कि भविष्य की पीढ़ी के निर्माण के केंद्र हैं, वहां भी वर्षा जल संचयन को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखता। इन संस्थानों में न तो छात्रों को इस विषय के महत्व के बारे में पर्याप्त जानकारी दी जाती है और न ही यहां वर्षा जल संचयन के लिए कोई बुनियादी ढांचा मौजूद है। यदि शिक्षण संस्थान ही जल संरक्षण के प्रति उदासीन रहेंगे, तो छात्रों में इस जिम्मेदारी की भावना कैसे विकसित होगी, यह एक गंभीर विषय है। तहसील स्तर पर स्थिति और भी गंभीर है। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां कृषि मुख्य व्यवसाय है और जल की आवश्यकता सर्वाधिक है, वर्षा जल संचयन के प्रति जागरूकता और प्रयासों का अभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। तालाब और कुएं, जो कभी जल के महत्वपूर्ण स्रोत थे, वह सूख गए हैं। नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव भी यहां एक बड़ी समस्या है। वर्षा जल संचयन की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। यह न केवल भूजल स्तर को बढ़ाने में सहायक है, बल्कि जल की गुणवत्ता में सुधार और बाढ़ के खतरे को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बावजूद, धरातल पर सार्थक प्रयासों की कमी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। क्या हम केवल कागजी योजनाओं और भाषणों के माध्यम से जल संकट से मुकाबला कर सकते हैं? सही मायनों में आज एक ठोस और प्रभावी कार्य योजना और उसके प्रभावी क्रियान्वयन की सख्त जरूरत है। जिसके तहत सरकारी विभागों, निजी संस्थाओं और आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। नियमों का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए और वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। जागरूकता अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाने तथा लोगों को इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताने की आवश्यकता है। यदि अब भी हम नहीं जागे और वर्षा जल संचयन को केवल मंचों तक ही सीमित रहने दिया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संकट एक विकराल रूप धारण कर लेगा। जागरूकता व प्रशिक्षण के अभाव में प्रभावी क्रियान्वयन मुश्किल --- जल संकट से जूझ रहे सीतापुर जिले में वर्षा जल संचयन को एक महत्वपूर्ण समाधान के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, इसके व्यापक कार्यान्वयन में तमाम बाधाएं हैं, जो इसकी प्रगति को धीमा कर रही हैं। सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है आधारभूत संरचना की कमी है। शहरी क्षेत्रों में घनी आबादी और सीमित स्थान के कारण प्रभावी जल संचयन प्रणाली स्थापित करना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी ज्ञान की अनुपलब्धता के कारण उच्च गुणवत्ता वाली संरचनाएं बनाना चुनौतीपूर्ण है। वित्तीय पहलू भी एक महत्वपूर्ण बाधा है। वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने की प्रारंभिक लागत कई व्यक्तियों और समुदायों के लिए वहन करना काफी मुश्किल है। सरकार द्वारा प्रोत्साहन और सब्सिडी योजनाओं के बावजूद, जागरूकता की कमी और जटिल प्रक्रियाओं के कारण इनका लाभ व्यापक रूप से नहीं पहुंच पाता है। इसके अलावा रखरखाव और प्रबंधन भी एक बड़ी चुनौती है। स्थापित प्रणालियों को नियमित सफाई और मरम्मत की आवश्यकता होती है ताकि वे कुशलतापूर्वक कार्य कर सकें। जागरूकता और प्रशिक्षण की कमी के कारण, कई स्थापित प्रणालियां कुछ समय बाद निष्क्रिय हो जाती हैं। जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी की कमी भी वर्षा जल संचयन के प्रयासों में बाधा डालती है। कई लोग इसके महत्व और लाभों से अनजान हैं, जिसके कारण वे इसे अपनाने में हिचकिचाते हैं। सामुदायिक स्तर पर सक्रिय भागीदारी के बिना, व्यक्तिगत प्रयासों से व्यापक बदलाव लाना मुश्किल है। सरकारी प्राथमिकता, फिर भी लापरवाही से जूझती योजना --- वर्षा जल संचयन सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है, जिसका उद्देश्य गिरते भूजल स्तर को सुधारना और पानी की कमी को दूर करना है। हालांकि, जिम्मेदार अधिकारियों और विभागों की घोर लापरवाही के कारण यह महत्वपूर्ण योजना अभी भी कागजों तक ही सीमित है और धरातल पर उतरने में विफल रही है। जिला प्रशासन लगातार जल संरक्षण के महत्व पर जोर देता रहा है और इसके लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा भी की गई है, जिनमें वर्षा जल संचयन प्रमुख है। सरकारी भवनों, स्कूलों और यहां तक कि निजी आवासों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता का भी प्रावधान है। बावजूद इसके, जमीनी हकीकत निराशाजनक है। जिला मुख्यालय से लेकर तहसील मुख्यालयों में तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है, लेकिन जिले की ज्यादातर निजी इमारतों, कॉलोनियों और निजी स्कूलों में वर्षा जल संचयन के इंतजाम पूरी तरह से नदारद हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वर्षा जल संचयन योजना को गंभीरता से लागू नहीं किया गया तो भविष्य में जिले को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इस योजना के क्रियान्वयन में जवाबदेही तय करे और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे ताकि जल संरक्षण की दिशा में वास्तविक प्रगति हो सके। सुझाव --- - जल संचयन को लेकर बड़े पैमाने पर जन जागरूकता अभियान चलाए जाएं। - निजी भवनों, अपार्टमेंट और स्कूलों के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने हेतु सब्सिडी दी जाए। - सभी नए निजी अपार्टमेंट और स्कूलों के लिए वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया जाए। - विभिन्न आकार के भवनों के लिए सरल, कम लागत वाले वर्षा जल संचयन मॉडल विकसित किए जाएं। - वर्षा जल संचयन के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण दिया जाए। - वर्षा जल संचयन प्रणाली वाले निजी भवनों को पानी बिल में विशेष छूट दी जाए। शिकायतें --- - जल संचयन को लेकर जन जागरूकता अभियान नहीं चलाए जाते हैं। - निजी भवनों, अपार्टमेंट और स्कूलों के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने हेतु सब्सिडी में छूट नहीं है। - सभी नए निजी अपार्टमेंट और स्कूलों के लिए वर्षा जल संचयन के इंतजामों को कोई अनिवार्यता नहीं है। - विभिन्न आकार के भवनों के लिए सरल, कम लागत वाले वर्षा जल संचयन मॉडल नहीं हैं। - वर्षा जल संचयन के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। - वर्षा जल संचयन प्रणाली वाले निजी भवनों को किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है। प्रस्तुति- अविनाश दीक्षित

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