बोले सीतापुर: प्रशिक्षण के बाद मिले रोजगार तो बन जाए बात
Sitapur News - सीतापुर में कौशल विकास केंद्रों पर 1,960 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें युवतियों की भी बड़ी संख्या है। हालांकि, प्रशिक्षण के बाद रोजगार की कमी और प्लेसमेंट सेल की निष्क्रियता जैसी...

सीतापुर। जिले के नौ कौशल विकास केंद्रो पर मौजूदा समय में 1,960 युवाओं को तराशा जा रहा है। जिसमें बड़ी तादात में युवतियां भी शामिल हैं। बावजूद इसके प्रशिक्षण के साथ युवाओं को रोजगार की दरकार है। ज्यादातर युवा घर में ही रोजगार की इच्छा रखते हैं। इसें अलावा स्किल डेवलपमेंट के बाद बैंको से कर्ज लेने में युवाओं के पसीने छूट जाते हैं। कौशल विकास मिशन के अंतर्गत जिला मुख्यालय सहित जिले के विभिन्न विकास खंडों में संचालित कौशल विकास केंद्रों पर कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा युवाओं को बुनियादी कंप्यूटर ज्ञान से लेकर विभिन्न विशिष्ट सॉफ्टवेयर और तकनीकी कौशल में निपुण बनाने का काम किया जा रहा है। आज के डिजिटल युग में, लगभग हर क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग अनिवार्य हो गया है। इसलिए, युवाओं को कंप्यूटर साक्षर बनाना और उन्हें डेटा एंट्री, वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट, प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर और इंटरनेट के उपयोग जैसे आवश्यक कौशल प्रदान करना मिशन की प्राथमिकता है। कौशल विकास मिशन की शुरूआत युवाओं को कंप्यूटर, व्यवहार और संवाद कौशल के प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाने और उन्हें बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के उद्देश्य से की गई थी। हालांकि इन कौशलों के माध्यम से बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। लेकिन जिले में अवसरों की कमी की वजह से तमाम युवा विशेष रूप से युवतियां रोजगार से वंचित रह जाती हैं। कौशल विकास मिशन के ये विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम रोजगार सृजन की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। लेकिन प्रशिक्षण की गुणवत्ता के साथ-साथ, प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। कई केंद्रों पर प्लेसमेंट सेल या तो निष्क्रिय हैं या प्रभावी रूप से काम नहीं कर रहे हैं। कंपनियां इन केंद्रों से प्रशिक्षित युवाओं को भर्ती करने में हिचकिचाती हैं, क्योंकि उन्हें अक्सर आवश्यक कौशल और व्यावहारिक अनुभव की कमी महसूस होती है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद युवाओं को नौकरी ढूंढने के लिए खुद ही प्रयास करने पड़े। केंद्र से कोई मदद नहीं मिली। तमाम युवाओं का कहना है, कि कौशल विकास केंद्र ब्लॉक स्तर तक ही सीमित हैं। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्रों की कमी के कारण तमाम युवतियां इन केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसके अलावा केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षकों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा ग्रामीण युवाओं तक इन कार्यक्रमों की पहुंच नहीं है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रशिक्षकों के पास पर्याप्त अनुभव और विशेषज्ञता की कमी है। किताबी ज्ञान तो दिया जाता है, लेकिन व्यावहारिक प्रशिक्षण अक्सर अधूरा रहता है। आधुनिक तकनीकों और उद्योग की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का अभाव भी एक गंभीर मुद्दा है। कौशल विकास केंद्रो पर प्रशिक्षण ले रहे ज्यादातर युवाओं का कहना है, कि स्किल डेवलपमेंट के साथ जिले में ही रोजगार मिले, यही योजना की वास्तविक सफलता होगी।
कौशल विकास योजना की ग्रामीण अंचलों में पहुंच नहीं
कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षण पाए तमाम युवा आज सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। लेकिन अभी भी कौशल विकास योजना की सुदूर ग्रामीण अंचलों में पहुंच नही है। जिला, तहसील या फिर ब्लॉक स्तर पर संचालित कौशल विकास केंद्रों तक पहुंचने वाले ग्रामीण युवाओं की संख्या सीमित है। कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण की चाहत रखने वाले तमाम ग्रामीण युवा विशेष रूप से युवतियां इसका लाभ नहीं ले पा रहीं हैं। यातायात के संसाधनों का अभाव, सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते ग्रामीण अंचलों की युवतियां इन केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे उनकी प्रशिक्षण लेने की आस अधूरी ही रह जाती है। ग्रामीण अंचलों की तमाम युवतियों का कहना है, कि सरकार को सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक कौशल विकास केंद्रों की स्थापना करना चाहिए। इसके अलावा ऑन लाइन प्रशिक्षण मॉड्यूलऔर मोबाइल प्रशिक्षण इकाइयों की स्थापना जैसा कुछ हो जाए, जिससे योजना का लाभ कहीं अधिक लागों तक पहुंच सकेगा।
अवधि बढ़े तो छात्रों को मिल सकता है बेहतर प्रशिक्षण ---
कौशल विकास केंद्रों पर दो तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम होते हैं। जिसमें प्राइमरी और एडवांस कोर्स के प्रशिक्षण शामिल हैं। प्राइमरी प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि तीन माह, जबकि एडवांस कोर्स की अवधि छह माह की तय की गई है। प्रशिक्षण ले कर रहे युवाओं का कहना है कि प्रशिक्षण की अवधि कम है। इतने कम समय बहुत सारी बातें नहीं सीख पाते हैं। जिसके चलते प्रशिक्षण के बाद नौकरी भी नहीं मिलती। सरकार को प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाकर कम से कम एक साल करनी चाहिए ताकि हम लोग बेहतर तरीके से कंप्यूटर की शिक्षा व संवाद का प्रशिक्षण ले सकें। साथ ही केंद्र स्तर से उनका प्लेसमेंट मिलता तो और बेहतर होता। प्रशिक्षण के दौरान आने वाली कंपनियां उनके कौशल देख उनका प्लेसमेंट करती तो अच्छा होता। प्रशिक्षण लेने के बाद जिले में निबंधन व रोजगार मेले में जाकर रोजगार के लिए प्रयास करना भारी होता है और इसमें लंबा समय भी लगता है। कई बार योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती है। आगे प्रशिक्षण लेना चाहते हैं या पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं तो तीन महीने के प्रशिक्षण पर डिग्री या डिप्लोमा की डिग्री नहीं कर पाते हैं। उनके सामने आर्थिक समस्या भी आती है। बैंक से लोन की प्रक्रिया भी जटिल है। जिसे कौशल विकास से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को न तो बेहतर शिक्षा मिल पाती है और ना ही बेहतर रोजगार ही मिल पाता है।
आवासीय प्रशिक्षण केंद्रो की जरूरत
अधिक से अधिक ग्रामीण युवा कौशल विकास कार्यक्रमों के तहत प्रशिक्षण लेकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ें इसके अभी तमाम सुधार होने बाकी हैं। ग्रामीण युवाओं में कौशल विकास के लिए सामान्य प्रशिक्षण केंद्रों के अलावा आवासीय प्रशिक्षण केंद्र भी होने चाहिए। जिससे दूर दराज के ग्रामीण इलाकों के युवा भी इस योजना का लाभ ले सकें। कौशल विकास केंद्रों पर प्रशिक्षण ले रहे युवाओं ने बातचीत के दौरान बताया कि वे लोग तो गांव से रोज आ-जाकर प्रशिक्षण ले रहे हैं। लेकिन तमाम दूर दराज के गांव ऐसे भी हैं, जहां के युवा कौशल विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहते हैं। लेकिन दूरी अधिक होने की वजह से केंद्रों तक पहुंचना उनके लिए संभव नही है। इसके लिए आवासीय प्रशिक्षण केंद्रो की जरूरत है। हालांकि पहले केंद्र सरकार की दीन दयाल उपाध्याय कौशल ग्रामीण कौशल विकास केंद्रो की भी शुरूआत हुई थी। जिले में इस तरह के सीतापुर और सिधौली दो प्रशिक्षण केंद्र थे। जिनमें सुदूर ग्रामीण इलाके के युवा आवासीय सुविधाओं का लाभ ले रहे थे। जो फिलहाल यह चालू नहीं है। ग्रामीण युवाओं की मांग है, कि उन केंद्रों को फि से शुरू किया जाए। जिससे ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण युवाओं को योजना का लाभ मिल सके।
प्रस्तुति- अविनाश दीक्षित/ रितिक सक्सेना
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