Lucknow Bench of Allahabad High Court Canceled appointments of principals in funded inter colleges हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया झटका, वित्त पोषित इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों की नियुक्तियां की रद्द, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUP NewsLucknow Bench of Allahabad High Court Canceled appointments of principals in funded inter colleges

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया झटका, वित्त पोषित इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों की नियुक्तियां की रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए, राज्य के सहायता प्राप्त हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में प्राचार्य और हेड मास्टर की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 2 Feb 2023 06:05 AM
share Share
Follow Us on
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया झटका, वित्त पोषित इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों की नियुक्तियां की रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए, राज्य के सहायता प्राप्त हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में प्राचार्य और हेड मास्टर की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। कोर्ट ने साल 2013 के विज्ञापन संख्या 3 के क्रम में की गई सभी भर्तियों को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने इस संबंध में कहा कि नौ साल पहले जारी किए गए विज्ञापन के क्रम में अब नियुक्तियां करना, संविधान में प्रदत्त लोक नियोजन में समान अवसर और विधि के समक्ष समता के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। 

यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया एकल पीठ ने कमेटी ऑफ मैनेजमेंट इंटर कॉलेज नतौली की याचिका समेत 29 याचिकाओं पर पारित किया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता शरद पाठक ने दलील दी कि प्रदेश के वित्तीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति के लिए साल 2013 में विज्ञापन जारी किया गया। इसके तहत 31 जनवरी 2014 तक आवेदन मांगे गए थे। बाद में आवेदन जमा करने की तिथि को फरवरी 2014 तक बढ़ा दिया गया। इसमें इंटर कॉलेजों के दो वरिष्ठ अध्यापकों के चयन पर विचार होना था। आवेदन पत्र लेने के बाद पूरी प्रक्रिया को बंद कर दिया गया। अचानक 10 जनवरी 2022 को आदेश जारी कर इंटर कॉलेजों के दो सबसे वरिष्ठ अध्यापकों को अपना ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गई। नौ साल बाद 11 से 13 नवंबर 2022 के बीच 632 पदों के सापेक्ष 581 पदों का परिणाम घोषित किया गया था। याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए, नियुक्तियों को विधि सम्मत बताया गया।

न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि विज्ञापन जारी करने के नौ साल बाद की गईं नियुक्तियां संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हैं। न्यायालय ने आगे कहा कि वर्ष 2014 के बाद जिन अभ्यर्थियों ने उक्त पद के लिए योग्यता हासिल की है, उनकी नियुक्ति पर विचार करने से उन्हें सिर्फ इसलिए वंचित कर दिया गया क्योंकि नौ वर्षों तक उक्त विज्ञापन के क्रम में नियुक्ति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया गया। न्यायालय ने कहा कि चयन की पूरी प्रक्रिया ही अविधिक है व संविधान के अनुच्छेद 16 का भी उल्लंघन है। न्यायालय ने नियुक्तियों को रद् करने के साथ ही नये सिरे से नियमानुसार नियुक्तियों की प्रकिया जल्द पूरी करने का आदेश दिया है।