मेडिकल कालेज में गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ नहीं
Sultanpur News - न्यूरो सर्जरी, हार्ट सर्जरी व नेफ्रोलॉजी के मरीजों को एसजीपीजीआई व केजीएमयू किया जा रहा रेफरमेडिकल कालेज में गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ

न्यूरो सर्जरी, हार्ट सर्जरी व नेफ्रोलॉजी के मरीजों को एसजीपीजीआई व केजीएमयू किया जा रहा रेफर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के रेफर सेंटर बन जाने के कारण सामान्य मरीजों की लग रही भीड़
सुलतानपुर,संवाददाता
जिले में मेडिकल कालेज स्थापित कर दिया गया है। लेकिन अभी भी कैंसर व हार्ट सर्जरी, न्यूरोलॉजी समेत कई गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति ही नहीं हो पाई है। वहीं गाइनी सर्जरी के मरीजों को रेफर करने में कमी आई है। लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से रेफर किए जा जा रहे मरीजों की भीड़ ने बेड का संकट बढ़ा दिया है।
जनपद के जिला व महिला अस्पताल को चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से एक अप्रैल से वर्ष 2023 से स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में तब्दील कर दिया गया है। जिसमें फिजीशियन, नेत्र, आर्थो,रेडियोलॉजी, जनरल सर्जरी,गाइनी सर्जरी विभागों में विभागाध्यक्ष व असिस्टेंट प्रोफेसर को नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही इन विभागों में सीनियर रेजीडेंट और इन विभागों के मरीजों की देखरेख के लिए जूनियर रेजीडेंट की भी नियुक्ति कर दी गई है। जहां पर पहले जिला चिकित्सालय होने पर कुल 40 पदों पर 20 चिकित्सकों से काम चलाया जा रहा था,वहीं अब करीब 75 चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। सभी विभागों में पांच से छह की संख्या में विशेषज्ञ हो गए हैं। इससे अब मेडिकल कालेज में चिकित्सकों की भरमार हो गई है। नई बिल्डिंग में मरीजों का इलाज शुरू होने से मरीजों को पहले की तरह से परेशान भी नहीं होना पड़ रहा है। मरीजों के इलाज को लेकर 24 घंटे पैथोलॉजी में जांच रिपोर्ट भी उपलब्ध हो जा रही है।
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गम्भीर बीमारियों के मरीजो को किया जा रहा रेफर
सुलतानपुर। चिकित्सालय को मेडिकल कालेज में तब्दील किए जाने के बाद से अभी भी कैंसर, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, हार्ट सर्जरी, एनजीओग्राफी, बाइपास सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रो विभागों में अभी तक विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिसके कारण इन बीमारियों के मरीजों को अभी भी रेफर कर दिया रहा है। ऐसे में अभी तक मेडिकल कालेज से इन बीमारियों के ज्यादातर मरीजों को हायर सेंटर के नाम पर केजीएमयू व एसजीपीजीआई का रास्ता दिखाया जा रहा है।
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अक्सर बना रहता है बेड का संकट
सुलतानपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर करीब 700 बेड की व्यवस्था है। लेकिन रात्रि में सामान्य मरीजों को भी चिकित्सक भर्ती नहीं कर रहे हैं। उन्हें भी मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया जा रहा है। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में मरीजों के लिए 600 बेड पर इलाज की व्यवस्था की गई है। लेकिन नई बहुमंजिला में सिफ्टिंग के बाद भी बेड का संकट खड़ा हो गया है। इमरजेंसी में मरीजों का इलाज चिकित्सकों को स्ट्रेचर पर करना पड़ रहा है। इससे मरीजों व उनके तीमारदारों को परेशान भी होना पड़ रहा है।
कोट
मेडिकल कालेज में अभी आधा दर्जन विभागों में नियुक्तियां नहीं हो पाई है। जिसके कारण उन विभागों से सम्बंधित मरीजों को चिकित्सकों से प्राथमिक उपचार कराने के बाद स्थितियों व परिस्थियों को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है। नई बिल्डिंग में सिफ्टिंग के कारण कुछ बेड की परेशानी हुई है उसे दूर किया जा रहा है।
प्रो.डॉ.सलिल कुमार श्रीवास्तव
प्राचार्य , मेडिकल कालेज
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