जर्मन शेफर्ड कुत्तों की जान के दुश्मन बने बाघ, 15 दिनों में चार को बनाया निवाला
जंगल से निकलकर बस्ती की ओर आ रहे बाघ जर्मन शेफर्ड कुत्तों की जान के दुश्मन बन रहे हैं। बाघ फार्म हाउसों के बाहर रात को मिल रहे इस प्रजाति के कुत्तों पर हमलावर हो रहे हैं। 15 दिनों के अंदर बाघों ने चार जर्मन शेफर्ड कुत्तों को भी निवाला बनाया है।

यूपी के लखीमपुर खीरी में जंगल से निकलकर बस्ती की ओर आ रहे बाघ जर्मन शेफर्ड कुत्तों की जान के दुश्मन बन रहे हैं। बाघ फार्म हाउसों के बाहर रात को मिल रहे इस प्रजाति के कुत्तों पर हमलावर हो रहे हैं। 15 दिनों के अंदर बाघों ने अन्य पशुओं के साथ चार जर्मन शेफर्ड कुत्तों को भी निवाला बनाया है। खास बात यह है कि पालतू कुत्तों के शिकार के बावजूद पशुपालकों को मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा है।
मैलानी और गोला वन रेंज में बाघ जंगल से बाहर निकल रहे हैं। बाघों ने गोला रेंज के फार्म हाउसों समेत कुकरा इलाके की बस्तियों में चहलकदमी की है। खास बात यह है कि 15 दिनों के अंदर बाघ रात को फार्म हाउसों से जर्मन शेफर्ड कुत्ते को खींचकर ले गए और निवाला बना लिया। इन घटनाओं के बाद लोग अब इन कुत्तों को छत पर बांधने लगे हैं। हालांकि बाघ ने इन कुत्तों के अलावा भी कई पालतू पशुओं को अपना निवाला बनाया है। हैरानी की बात यह है कि इन विदेशी नस्ल के कुत्तों पर बाघ ज्यादा हमलावर हैं।
जानकारों का कहना है कि जर्मन शेफर्ड कुत्ते सामान्य कुत्तों के मुकाबले ज्यादा वजन और उंचाई के होते हैं। ये पालतू तो होते हैं लेकिन खतरे के समय सामना करने में पीछे नहीं हटते हैं। इनके कद और स्वभाव की वजह से बाघ कई बार इनको भी वन्यजीव समझ लेता है और हमला कर देता है। हालांकि इन कुत्तों के मालिकों को बाघ के हमले से मौत के बाद भी मुआवजा नहीं मिल रहा है।
वन विभाग के मुताबिक पालतू पशुओं के मामले में मुआवजे का प्रावधान है लेकिन पालतू पशुओं की भी श्रेणी होती है। दक्षिण खीरी के डीएफओ संजय विश्वाल ने बताया कि कुछ जगहों पर बाघ की मौजूदगी की सूचना है। अगर किसी पालतू पशु की मौत होती है तो सर्वे के बाद मुआवजा दिलाया जाता है। जर्मन शेफर्ड का शिकार बाघ किसी खास कारण से कर रहे हैं, यह अभी सामने नहीं आया है।