काले बादल और ठंडी हवाओं से पारा पांच डिग्री गिरा
Unnao News - शुक्रवार सुबह अचानक मौसम में बदलाव आया, धूप के बाद काले बादल छा गए और ठंडी हवाएं चलने लगीं। तापमान में गिरावट आई और 31 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। अगले 24 घंटे तेज हवाएं चलेंगी और 5-7 मई तक...

सुबह धूप के बाद मौसम ने बदला करवट, 24 घंटे तक तेज हवाएं चलने और सोमवार से बूंदाबांदी की संभावना उन्नाव, संवाददाता। शहर में शुक्रवार सुबह मौसम ने अचानक करवट बदली। सुबह धूप के बाद आसमान में काले बादल छा गए और ठंडी हवाएं चलने लगीं। हालांकि, उमड़ते बदरा शाम तक नहीं बरसे पर लोगों को गर्मी से राहत जरूरी मिली। तापमान में गिरावट देखी गई। सुबह दस बजे के बाद तापमान 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह सामान्य दिनों की तुलना में 4 से 5 डिग्री कम है। आमतौर पर यहां इस समय तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस रहता है।
दोपहर तक यह 41 डिग्री तक पहुंच जाता है। जानकरों का मानना है कि 24 घंटे तक तेज हवाएं चलेंगी। साथ ही, पांच से सात मई तक बूंदाबांदी की भी संभावना जताई गई है। एक सप्ताह पहले से अधिकतम तापमान में भले ही कमी आ गई हो, लेकिन न्यूनतम तापमान में वृद्धि और उमस ने लोगों को बेहाल कर रखा था। गुरुवार को विशेषज्ञ ने रविवार तक तीन दिनों का अलर्ट जारी कर मौसमी बदलाव के आसार जताए थे। यह संभावना रात से ही सही साबित होने लगी। तेज हवा से रात में अधिकतम पारा 31 डिग्री के पास पहुंच गया। इतना ही नहीं भोर भी नमी के साथ हुई। दस बजे से अचानक मौसम बदला और बादल छा गए। सिलसिला शाम तक चलता रहा। इससे अधिकतम पारा 35 डिग्री तो न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। इधर, मौसम विभाग का पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार अगले दो दिन अभी तेज धूल भरी हवाएं चलने की आशंका है। मई में गर्मी का आगाज नहीं, हल्की राहत- मई के साथ ही शहर में भीषण गर्मी का आगाज हो जाता है, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ बनने के कारण फिलहाल तापमान की गति पर नियंत्रण लग गया है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ बनने के कारण अगले दो-तीन दिन तेज धूल भरी हवाएं चलने के साथ ही बौछारे पड़ने की संभावना है। बादल और हवाओं के कारण अगले तीन दिन अधिकतम तापमान सामान्य ही रहने का अनुमान है। आखिरी फेज में गेहूं की कटाई बदलते मौसम व बादलों को देखते हुए किसानों ने भी गेहूं की कटाई भी तेज कर दी है। हालांकि, इन दिनों गेहूं की 75 फीसदी कटाई हो चुकी है। जिन खेतों में मक्का की फसल है, उनके लिए बारिश से कोई नुकसान नहीं है। मक्का की फसल को सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है।
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