अदालत पहुंचे पति और पत्नी, कोर्ट ने खारिज किया बीवी का मुकदमा, पति का स्वीकार
- आगरा में एक जोड़ा आदालत तक पहुंच गया। दोनों के बीच बढ़ता विवाद कोर्ट तक पहुंचा तो कोर्ट ने पति का केस स्वीकार कर पत्नी का केस खारिज कर दिया। अदालत ने पत्नी द्वारा दायर किया गया मुकदमा खारिज एवं पति द्वारा प्रस्तुत मुकदमा स्वीकार करने के आदेश दिए।

आगरा में एक जोड़ा आदालत तक पहुंच गया। दोनों के बीच बढ़ता विवाद कोर्ट तक पहुंचा तो कोर्ट ने पति का केस स्वीकार कर पत्नी का केस खारिज कर दिया। अदालत ने पत्नी द्वारा दायर किया गया मुकदमा खारिज एवं पति द्वारा प्रस्तुत मुकदमा स्वीकार करने के आदेश दिए। जानकारी के अनुसार मामला आगरा के लोहामंडी का है। बताया जा रहा है कि थाना लोहामंडी क्षेत्र में रहने वाले युवक की शादी जिला झज्जर (हरियाणा) निवासी युवती के साथ फरवरी 2017 को हुई थी। दोनों के मध्य पारिवारिक विवाद एवं कटुता बढ़ने पर पति एवं पत्नी के बीच मुकदमेबाजी शुरू हो गई।
पत्नी ने दहेज के लिए उत्पीड़न करने समेत अन्य आरोप के साथ ससुर एवं देवर पर भी आरोप लगाए। वहीं पति ने पत्नी के समस्त आरोप को गलत बताते हुए उल्टा स्वयं को प्रताड़ित करने की बात कही। पति ने अदालत में तलाक के लिए धारा 13 हिंदू विवाह अधिनियम के तहत याचिका प्रस्तुत की। पत्नी द्वारा धारा 9 हिंदू विवाह हिंदू विवाह अधिनियम (साथ रहने को तैयार) के तहत मामला प्रस्तुत किया। अदालत ने साक्ष्य के आधार पर पत्नी का मुकदमा खारिज एवं पति का केस स्वीकृत कर तलाक के आदेश पारित किए। पति की ओर से पैरवी अधिवक्ता शैलेंद्र पाल सिंह, सत्यप्रकाश बघेल एवं सुमित कुमार ने की।
कार नहीं मिलने पर जर्मनी से पत्नी को वापस भेज दिया
एक विवाहिता ने जगदीशपुरा थाने में ससुरालीजनों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और मारपीट का मुकदमा लिखाया है। आरोप है कि दहेज की मांग पूरी न होने पर पति ने उसे जर्मनी से अकेले घर भेज दिया। एयरपोर्ट पर उसे अकेले घर लेने नहीं आया। ससुरालीजनों ने साफ कह दिया कि वह मायके में ही रहे। मुकदमा बालाजीपुरम निवासी शिवांगी ने दर्ज कराया है। पुलिस को बताया कि वर्ष 2020 में प्रतापनगर निवासी शशांक गोयल से शादी हुई थी। पति जर्मनी में मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता है। पति शादी के बाद उसे ससुराल छोड़कर अकेला गया था। बहुत मिन्नतें करने पर उसे बुलाया।
ससुरालीजन दहेज से खुश नहीं थे। कार की मांग करते थे। पति ने भी अच्छा व्यवहार नहीं किया। उसे अकेले वापस भेज दिया। वह 24 नवंबर 2024 को वापस लौटकर आई थी। ससुरालीजनों ने कहा कि मायके में ही रहे। कार लेकर आने पर ही ससुराल में प्रवेश मिलेगा। एक अप्रैल को उसके घरवाले ससुरालीजनों से बातचीत करने गए थे। ससुर ने उन्हें घर में ही नहीं घुसने दिया। पति को फोन करती है तो वह सीधे मुंह बात नहीं करता। कहता है कि उसे तो विदेश की नागरिकता मिल गई है। भारत लौटकर ही नहीं आएगा।