अतीक-अशरफ के हत्यारोपियों का क्या होगा? दो साल बीते, पूरी न हुई एक भी गवाही
- लोगों के जेहन में अक्सर सवाल उठता कि सरेआम कैमरों के सामने गोलियां बरसाकर दोनों को मौत के घाट उतारने के आरोपियों का आगे चलकर क्या होगा? अभी तीनों जेल में हैं। देश-दुनिया की सुर्खियां बने इस सनसनीखेज हत्याकांड के मुकदमे में अब तक तीनों आरोपितों के विरुद्ध एक भी गवाही पूरी नहीं हो सकी है।

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या हुए सोमवार को दो वर्ष पूरे हो गए हैं। 2023 में आज ही के दिन यानी 15 अप्रैल को दोनों की सनसनीखेज ढंग से हत्या कर दी गई थी। लोगों के जेहन में अक्सर सवाल उठता कि सरेआम कैमरों के सामने गोलियां बरसाकर दोनों को मौत के घाट उतारने के आरोपियों का आगे चलकर क्या होगा? फिलहाल तीनों जेल में हैं। लेकिन देश-दुनिया की सुर्खियां बने इस सनसनीखेज हत्याकांड के मुकदमे में अब तक तीनों आरोपितों के विरुद्ध एक भी गवाही पूरी नहीं हो सकी है। अधिवक्ता नहीं मिलने पर न्यायालय ने स्वयं सरकारी खर्च पर आरोपितों को अधिवक्ता उपलब्ध कराया है। इस मामले की मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश सीमा सिंह के समक्ष होनी है।
15 अप्रैल 2023 को पुलिस अभिरक्षा में अतीक और अशरफ की कॉल्विन अस्पताल परिसर में कैमरों के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मौके से तीन युवक लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सुरक्षा कारणों से तीनों को नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल भेज दिया गया था। आज दो चित्रकूट जेल और एक आगरा जेल में बंद है। जुलाई 2023 में शाहगंज थाने की पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया था।
तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम ने पुलिस की प्रस्तुत रिपोर्ट पर संज्ञान लेकर मामले को सत्र न्यायालय के समक्ष परीक्षण के लिए भेज दिया। सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार राय के न्यायालय के समक्ष जब इन तीनों आरोपितों की पेशी हुई तब आरोपितों ने कोर्ट को बताया कि उनके पास अधिवक्ता नहीं हैं और अधिवक्ता नियुक्त करने के लिए समय दिया जाए।
इन्हीं आधार पर अग्रिम तारीख नियत कर दी जाती रही। कुछ तारीख के बाद दो आरोपितों ने अपनी ओर से अधिवक्ता नियुक्त किया जबकि तीसरे आरोपित को न्यायालय ने राज्य के खर्चे पर अधिवक्ता उपलब्ध कराया। इसके बाद अगली तारीख पर मामले के त्वरित निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट (दो) के न्यायालय में मुकदमे को ट्रांसफर कर दिया गया।
जहां 10 दिसम्बर 2024 को न्यायाधीश विष्णु देव मिश्र ने आरोप तय किया था। तब से पत्रावली लगातार गवाही दर्ज करने के लिए प्रस्तुत हो रही है लेकिन किसी तारीख पर अधिवक्ता उपलब्ध न होने तो किसी पर आरोपितों के जेल से पेश न होने के कारण तो कभी गवाह के नहीं आने पर सुनवाई टल रही है।