आपदा के दस माह बाद भी हालात बदहाल
दैवीय आपदा के कारण सूपाकोट में ग्रामीणों को राहत नहीं मिल रही है। पिछले साल आठ मई को आई अतिवृष्टि ने तबाही मचाई थी और अब तक स्थिति जस की तस है। ग्रामीण आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं और प्रशासन से मदद...

दैवीय आपदा से मची तबाही से राहत देने के लिए प्रशासन की हीलाहवाली से लोग परेशान हैं। अब तक देवी आपदा से मिले जख्म जस के तस है। अब सूपाकोट के ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। सोमेश्वर घाटी में आठ मई 2024 को अतिवृष्टि से काफी तबाही मची थी। सूपाकोट के लक्ष्मीपुर स्थित प्राचीन नौला जमीदोज हो गया था। मलबे से ग्रामीणों के मकानों को भी खतरा पैदा हो गया। जबकि चनौदा, गुरुड़ा, लोद घाटी में जमकर तबाही मची थी। रिटायर्ड असिस्टेंट आडिट आफिसर रमेश चन्द्र पाण्डे ने बताया कि आपदा को एक साल पूरा होने को हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं। गधेरे के पानी से रमेश चन्द्र पाण्डे, धीरज पाण्डे, महेश पाण्डे और देवेन्द्र उप्रेती के घरों को खतरा बना हुआ है। पाण्डे के अनुसार अपने घरों की सुरक्षा और नौले की मरम्मत को प्रशासन और शासन स्तर पर पत्राचार किए। अधिशासी अभियन्ता लघु सिंचाई ने आपदा कार्य का 1.99 लाख का आगणन तैयार कर डीएम को भेजने की सूचना दी है। अब ग्रामीण सोमवार को डीएम से मुलाकात करेंगे।
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